Snake Bite: सर्प विशेषज्ञों के अनुसार सभी सांप जहरीले नहीं होते। विश्व में पाई जाने वाले ढाई सौ से भी अधिक प्रजातियों में से सिर्फ दस प्रजातियां ही विषैली होती हैं।
राजस्थान के पर्यटन स्थल माउंट आबू में इन दिनों विभिन्न प्रजातियों के सांपों का निकलना जारी है। सांप देखते ही लोग भयभीत हो जाते हैं, लाजिमी भी है, लेकिन सभी सांप जहरीले नहीं होते हैं। सांपों की जानकारी के अभाव में लोग कई सांपों को मौत के घाट उतार देते हैं।
स्नेक कैचर जानकारों की मानें तो राजस्थान में केवल चालीस प्रजातियों के सांप पाए जाते हैं, जिसके तहत कोबरा, कॉमन क्रेट, रसल वाइपर, सॉस्केल्ड वाइपर, सिंध क्रेट, इंडियन एग ईटर, रैट स्नेक धामण, ब्लैक हेडेड रॉयल, रेड स्पॉटेड रॉयल, सिंध ऑल हेडेड, रसेल कुकरी, कॉमन कुकरी, कॉमन ट्रिंकेट, सुंदरी, वी-कॉलर ट्रिंकेट और मोंटेन ट्रिंकेट।
इसके साथ ही चेकर्ड कीलबैक, स्ट्राइप्ड कीलबैक, ग्रीन कीलबैक, इंडियन रॉक पायथन, कॉमन सैंड बोआ, रेड सैंड बोआ, कॉमन कैट, फोर्स्टन कैट, ग्रीन वाइन, लौडैंक वाइन, कॉमन ब्रोंजबैक ट्री, एफ्रो-एशियन सैंड, कोंडानारस सैंड, लेथ सैंड, ग्लॉसी बेलीड, गुंथर रेसर, बैंडेड रेसर, कॉमन वुल्फ, बैरेड वुल्फ, सीबोल्ड वॉटर, डुमेरिल ब्लैक-हेडेड, ब्राह्मिनी वर्म, लार्ज बीक्ड थ्रेड, बीक्ड वर्म व सिंध थ्रेड स्नेक आदि प्रजातियां राज्य में मौजूद हैं।
जानकारों के अनुसार दुनिया में ऑस्ट्रेलियन टाइगर प्रजाति का सांप सर्वाधिक जहरीला होता है। भारत में ऐनेसिस क्रेट से बढ़कर अन्य इतने जहरीले नहीं होते। मीठे पानी में विचरण करने वाला सांप जहरीला नहीं होता। अलबत्ता दरिया में पाए जाने वाले सांप अत्यंत जहरीले होते हैं। भ्रांतियों व अज्ञानता के कारण लोग इसे देखते ही मार डालते हैं।
सर्प विशेषज्ञों के अनुसार इंडियन रॉक पायथन प्रजाति का अजगर झाड़ियों, पत्थर, पहाड़ों, मिटटी के घरौदों में चुपचाप अपने शिकार की ताक में रहता है। शिकार के नजदीक आते ही बिजली की भांति आक्रमण कर ऐसे जकड़ता है कि सांस लेना मुश्किल हो जाता है।
शरीर से ऐसी बदबू फैलाता है, जो शिकार घुटन महसूस कर दम तोड़ देता है। शिकार को साबूत निगल जाता है, दो या तीन दिनों की समयावधि में शिकार को पूर्णत: पिघलाकर हजम कर जाता है। एक बार के भोजन के बाद यदि वर्ष भर तक भी उसे दूसरा भोजन न मिले तो भी वह आसानी से जीवित रह सकता है।
सर्प विशेषज्ञों के अनुसार सभी सांप जहरीले नहीं होते। विश्व में पाई जाने वाले ढाई सौ से भी अधिक प्रजातियों में से सिर्फ दस प्रजातियां ही विषैली होती हैं। प्रदेश की करीब चालीस प्रजातियों के सांपों में से ऐनेसिस क्रेट, कोबरा, रसल वाइपर व सास्केल वाइपर ही जहरीले हैं।
सांप तभी डसता है जब स्वयं को असुरक्षित महसूस करता है। अचानक कभी हमला नहीं करता। कोबरा जैसा खतरनाक सांप भी समीप जाने पर पहले फुंफकारता है, जो वहां से हटने की चेतावनी देता है।
राजकुमार परमार, सांपों के जानकार, माउंट आबू
काटने वाला सांप जहरीला है या नहीं, इसका पता लगाना जरूरी है। काटे गए स्थान पर दो नीले घाव दिखाई दें तो यह विषैला होता है, अन्यथा नहीं। जहरीले सांप के काटने पर काटने की जगह से थोड़ा ऊपर कस कर कपड़ा बांध कर व्यक्ति को तुरंत लिटाकर उपचार करवाना चाहिए।
राजेश गिरी, सर्प विशेषज्ञ, माउंट आबू
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सभी प्रजातियों के सांप जन्मजात बहरे होते हैं। दूध पीने की बात भी कपोल कल्पित है। बदला लेने की प्रवृति भी दंतकथाओं के कारण ही प्रचलित है। सांप डंसने पर जहर के प्रभाव से नहीं वरन दहशत के मारे दिल का दौरा पड़ने से कई बार मौत हो जाती है। मणिधारी व इच्छाधारी नाग होने की बात भी गलत है।
महेंद्र दान चारण उर्फ चार्ली, स्नेक कैचर, माउंट आबू
इसी तरह से सांपों के संरक्षण को लेकर क्षेत्र के जालम सिंह, अरूण सिंह, रमेश अलिका, शिवा राणा, सुशील कुमार, सीलेन्द्र सिंह, जगन्नाथ आदि भी सक्रिय रहते हैं जो लोगों के घरों, बरामदों आदि स्थानों पर घुसे सांपों को पकड़कर वन्य क्षेत्र में सुरक्षित छोड़ देते हैं।