विधानसभा में गृह विभाग या शिक्षा की बहस पर मैंने प्रभावी तरीके से बार-बार पेपर लीक का मुद्दा उठाया लेकिन पायलट ने इस पर साथ नहीं दिया। अब चुनावी साल में बेरोजगारों की याद क्यों आ रही है, पिछली सरकार के घोटालों की याद क्यों आ रही है। लोढ़ा ने कहा कि वे अपने आपको हंसी का पात्र नहीं बनाएं। जिस पार्टी में है, उसकी मर्यादा में रहे। पायलट गुट की तरफ से बयानबाजी तेज है। इस सब के बीच एक ही सवाल है कि अब 11 जून को क्या होगा। 11 अप्रैल को अनशन और 11 मई को पदयात्रा। इसके बाद सचिन पायलट 11 जून को क्या करेंगे।
यही घोड़े और यही मैदान है, सामने आ जाएगा हिसाब
विधायक लोढ़ा ने पायलट के चुनावी साल में पेपर लीक और बीजेपी राज के करप्शन का मुद्दा उठाने पर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने दावा किया कि जनसंघर्ष यात्रा और पायलट के आंदोलन का कोई भी सियासी असर नहीं होने वाला है। उसे कोई गंभीरता से नहीं ले रहा है और न लेगा। पायलट के पास जो यह समूह दिख रहा है, वो सब प्रायोजित समूह है। यही घोड़े और यही मैदान है, सब का हिसाब सामने आ जाएगा।
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सरकारी बंगले का सुख भोग रहे पायलट
विधायक लोढ़ा ने कहा कि पायलट ने शुरूआत में विधानसभा में जहां उपमुख्यमंत्री की गाड़ी नहीं जा सकती, वहां गाड़ी ले जाने की जिद्द की। सीएमओ में कमरा लेने की जिद्द पकड़ ली। पद से हट गए, तब भी सरकारी बंगला आज तक खाली नहीं किया।यहीं नहीं बंगले को सामान्य प्रशासन विभाग से निकलवाकर विधानसभा के पूल में डलवाया और आज तक सुख भोग रहे हैं। लाेढ़ा ने कहा कि पायलट विधानसभा में सीट बदलने पर भी नाराज हुए और दिल्ली से फोन करवाकर पहली पंक्ति में सीट ली।