
मेडिकल कॉलेज के बाहर हर्षद परिहार (फोटो: पत्रिका)
Thalassemia Afflicted Student Will Become Doctor: उम्र में थैलेसीमिया बीमारी ने हर्षद परिहार को ऐसा जकड़ा कि माता-पिता उसके बचने की उम्मीद छोड़ चुके थे लेकिन बेहतर जांच, उपचार और नियमित काउंसलिंग के साथ परिजन के प्रोत्साहन ने उसे ताकतवर बना दिया।
बीमारी से संघर्ष कर हर्षद ने 82% अंक के साथ 12वीं पास की। माता-पिता को लक्ष्य बता मेडिकल फील्ड में जाने की ठानी। जज्बा ऐसा दिखाया कि पहले ही प्रयास में नीट परीक्षा क्रेक की। अब वह डॉक्टर बनेगा। हर्षद का बांसवाड़ा के मेडिकल कॉलेज में प्रवेश हो गया है। दावा किया जा रहा कि वह राजस्थान में मेडिकल में चयनित पहला थैलेसीमिया ग्रस्त छात्र है।
वर्ष 2012 में चार साल की उम्र में हर्षद के स्वास्थ्य में तेजी से गिरावट हुई। डॉक्टर ने रक्त चढ़ाया और दवाइयां दी लेकिन 15 दिन बाद स्वास्थ्य फिर बिगड़ गया। डॉक्टर ने जांचें करवाई तब थैलेसीमिया का पता चला।
सिरोही जिले के पिंडवाड़ा वन विभाग में सेवारत मां अंजु परिहार ने बताया कि हर्षद के बचने की उम्मीद नहीं थी लेकिन वह एक योद्धा की तरह आगे बढ़ता रहा। एक मां के रूप में अंजु ने अपने बेटे की पीड़ा को महसूस किया तो इस बीमारी से पीड़ित दूसरे बच्चों की मदद के लिए आगे आई।
उन्होंने जिले में उनके लिए निःशुल्क उपचार शुरू करवाया। वह ऐसे मरीजों को बीपीएल में शामिल करवाने के लिए तत्कालीन राज्यपाल और मुख्यमंत्री से मिली और ऐसे मरीजों को बीपीएल में शामिल करवाया।
Published on:
19 Aug 2025 08:57 am
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