
राजस्थान के इकलौते हिल स्टेशन माउंट आबू में स्थित अचलेश्वर महादेव मंदिर बहुत प्रसिद्ध और प्राचीन है। ऐसा कहा जाता है कि यह मंदिर एक हजार साल पुराना है। अचलेश्वर महादेव के मंदिर में शिवलिंग दिन में तीन बार रंग बदलता है। यह शिवलिंग रंग क्यों बदलता है इसका पता वैज्ञानिक अभी भी नहीं लगा पाए हैं। इस इस मंदिर में भगवान शिव के अंगूठे की पूजा की जाती है।
वैसे माउंट आबू में भगवान शिव के अनेक मंदिर हैं, लेकिन अचलेश्वर महादेव मंदिर की खूब मान्यता है। ऐसा कहा जाता है कि भोलेनाथ के अंगूठे के नीचे एक गड्ढा है जिसमें कितना भी जल डालो वह कभी नहीं भरता है। साथ ही यहां शिवलिंग के ऊपर चढ़ने वाला जल भी नजर नहीं आता है। श्रद्धालु यहां भगवान शिव के पैर के अंगूठे की पूजा करते हैं।
अचलेश्वर महादेव मंदिर में शिवलिंग दिन में तीन बार रंग बदलता है। इस बात से वैज्ञानिक भी हैरान हैं। लेकिन वे भी इस रहस्य से पर्दा नहीं उठा पाए हैं। इतिहास के अनुसार इस मंदिर की स्थापना 813 ईस्वी में की गई थी। मान्यता है कि अचलेश्वर मंदिर में भगवान शिव के पैरों के निशान अब भी मौजूद हैं। शिवरात्रि व सावन के महीने में यहां श्रद्धालुओं की काफी भीड़ होती है। भगवान शिव के अनेक मंदिर होने के कारण माउंट आबू को अर्धकाशी भी कहा जाता है।
बता दें कि इस हिल स्टेशन पर भगवान शिव के 108 से ज्यादा मंदिर हैं। स्कंद पुराण के अनुसार वाराणसी शिव की नगरी है, तो माउंट आबू को उपनगरी कहा जाता है। अचलेश्वर माहदेव मंदिर माउंट आबू से करीब 11 किलोमीटर दूर अचलगढ़ की पहाड़ियों पर स्थित है। ऐसी मान्यता है कि भगवान शिव के अंगूठे ने पूरे माउंट आबू पहाड़ को थाम रखा है। जिस दिन अंगूठे का निशान गायब हो जाएगा, उस दिन माउंट आबू खत्म हो जाएगा। मंदिर के पास ही अचलगढ़ का किला भी स्थित है। यह किला अब खंडहर बन चुका है। ऐसा कहा जाता है कि इस किले का निर्माण परमार राजवंश ने करवाया था।
Published on:
29 May 2023 12:41 pm
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