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Rajasthan: कहीं हो ना जाए झालावाड़ जैसा हादसा, सरकारी स्कूल में 2 कमरे, दोनों जर्जर, संकट में है 59 बच्चों की जान

सिरोही के लालपुरा के विद्यालय में दो कमरे हैं और दोनों जर्जर हैं। विद्यार्थियों को बाहर बिठाकर शिक्षक पढ़ाते हैं।

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स्कूल के बाहर बैठकर पढ़ाई करते विद्यार्थी। फोटो- पत्रिका

राजस्थान के सिरोही जिले में कई राजकीय स्कूल इतने खस्ताहाल है कि उनमें बच्चों का बैठना मुश्किल है। इन भवनों की मरम्मत को लेकर विभागीय अधिकारियों को अवगत भी करवाया, लेकिन बजट के अभाव में मरम्मत नहीं हो रही। कुछ ऐसे ही हाल जिले के हरणी अमरापुरा के लालपुरा प्राथमिक विद्यालय का है।

स्कूल की हालत इतनी खराब है कि बारिश में बच्चों की जान खतरे में रहती है। राप्रावि लालपुर का भवन पूरा जर्जर है। बरसात में छत से पानी टपकता है, दीवारें कमजोर हैं और बड़ा हादसा हो सकता है। जबकि विद्यालय प्रशासन की ओर से समस्या समाधान के लिए लिखित में अवगत करवाया जा रहा है, लेकिन जिम्मेदार बच्चों की सुरक्षा को लेकर कोई गंभीर कदम नहीं उठा रहे हैं। बता दें कि झालावाड़ जिले के मनोहर थाना उपखंड के पिवलोदी गांव में शुक्रवार को स्कूल हादसे में 7 बच्चों की मौत हो गई थी।

दो कमरे, दोनों जर्जर

लालपुरा के विद्यालय में दो कमरे हैं और दोनों जर्जर हैं। विद्यार्थियों को बाहर बिठाकर शिक्षक पढ़ाते हैं। हादसे के डर से विद्यालय प्रशासन बच्चों को कक्षा कक्ष में नहीं बिठाते। बारिश में स्थिति और गंभीर हो जाती है, जब कमरों की छत से पानी टपकता है।

प्रशासक सदस्य हरजीराम व प्रधानाध्यापक नरेंद्र कुमार ने शिविर में मौजूद अधिकारियों को इस गंभीर समस्या से अवगत कराया। पंचायत को भी लिखित में पत्र सौंपा, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। स्थानीय लोगों का कहना है कि प्रशासन और पंचायत की ओर से अनदेखी की जा रही है।

23 वर्ष पूर्व बना था भवन

करीब 23 वर्ष पूर्व बना स्कूल भवन अब जर्जर है। छत से पानी टपकता है। दीवारों का प्लास्टर गिरने लगा है, जिससे सरिए तक दिखाई देने लगे हैं। स्कूल में कुल 59 बच्चों का नामांकन हुआ है। वहीं दो शिक्षाकर्मी और एक शिक्षक कार्यरत हैं।

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इन्होंने कहा

स्कूल में दो कक्ष हैं और दोनों जर्जर अवस्था में हैं, जिसकी जानकारी सीबीइओ कार्यालय में दे दी है। बारिश में हादसे के डर से बच्चों को घर भेजना पड़ता है।
नरेन्द्र कुमार, प्रधानाध्यापक, लालपुरा

तीन-चार सालों से स्कूल जर्जर है, कई बार ग्राम पंचायत व अधिकारियों और दीनदयाल शिविर में भी लिखित में समस्या से अवगत करवाया, लेकिन कोई समाधान नहीं हुआ। जिसके चलते बच्चों में हादसे का डर बना हुआ है।
हरजीराम, प्रशासक सदस्य, ग्राम पंचायत हरणी अमरापुरा