30 दिसंबर 2025,

मंगलवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

बड़े अतिक्रमणों पर चुप्पी क्यों…(टिप्पणी)

सिरोही आधुनिकता की ओर बढ़ रहे शहर ने विकास के कई दौर देखे लेकिन अतिक्रमण की समस्या दूर नहीं हुई। कुछ नेताओं ने राजनीतिक स्वार्थपूर्ति के लिए दबाव बनाकर कार्रवाई रुकवा दी। वहीं अधिकारियों के व्यक्तिगत हितों के कारण भी दूर-दराज की कॉलोनियां हों या बाजार क्षेत्र, कोई भी हिस्सा अतिक्रमण के दंश से बचा […]

2 min read
Google source verification

सतना

image

Amar Singh Rao

Jul 04, 2017

सिरोही आधुनिकता की ओर बढ़ रहे शहर ने विकास के कई दौर देखे लेकिन अतिक्रमण की समस्या दूर नहीं हुई। कुछ नेताओं ने राजनीतिक स्वार्थपूर्ति के लिए दबाव बनाकर कार्रवाई रुकवा दी। वहीं अधिकारियों के व्यक्तिगत हितों के कारण भी दूर-दराज की कॉलोनियां हों या बाजार क्षेत्र, कोई भी हिस्सा अतिक्रमण के दंश से बचा नहीं है। सड़कों से अतिक्रमण हटाने की जिम्मेदारी नगर परिषद की है लेकिन अफसरों ने चुप्पी साध रखी है। जिला कलक्टर तक के आदेश का पूर्ण पालन आयुक्त नहीं कर रहे हैं।

शहर की जनता प्रशासन से एक ही सवाल पूछ रही है क्या मास्टर प्लान के अनुरूप अतिक्रमण और अवैध निर्माण हटेंगे, अगर नहीं हटेंगे तो क्या कारण है? जागरूक जनता इसे अब तक का सबसे नाकारा बोर्ड तक का तमगा दे रही है। क्या अफसरों और जनप्रतिनिधियों को बिना नक्शा पास करवाए हो रहे आवासीय और व्यावसायिक निर्माण नहीं दिखते या वे देखना ही नहीं चाहते। क्या उन्हें सिर्फ जेबें भरने से ही मतलब है। क्षेत्र के पार्षदों का घटिया व अवैध निर्माण के प्रति आंखें मूंदना भी सवाल ही खड़े करता है। हो भी क्यों न, वे भी तो इन गैर कानूनी गतिविधियों में कुछ हद तक लिप्त तो हैं ही। गरीबों के आशियानों पर जेसीबी चलाकर जिम्मेदारी पूरी करने वाले प्रशासन को क्या प्रभावशालियों के सुविधा क्षेत्रों, सड़कों, बरसाती नालों, तालाबों, एतिहासिक स्थलों पर अतिक्रमण नहीं दिखते। यह परिषद का कहीं अतिक्रमण के प्रति भेदभाव तो नहीं दर्शा रहा। अनादरा चौराहे के आसपास सोमवार की फौरी कार्रवाई नाकाफी ही कही जाएगी। इसमें भी प्रभावशालियों के चिह्नित अवैध निर्माण छोडऩा सवाल खड़े कर रहा है।

बढ़ता अतिक्रमण नासूर बन चुका है। प्रमुख सड़कों के फुटपाथ पर भी दिन-प्रतिदिन कब्जे बढ़ रहे हैं। लोग यातायात जाम से जूझते हैं। रेहडिय़ों के साथ जगह-जगह लोगों ने अवैध रूप से खोखे व अस्थाई निर्माण के जरिए अतिक्रमण को स्थाई करने का अभियान सा चला दिया है। खास बात यह है कि सदर बाजार, बस स्टैण्ड क्षेत्र आदि कई जगह तो लोगों ने रेहड़ी वालों से किराया वसूल कर खड़े रहने देने को व्यवसाय बना लिया है। उन्हें बिना किसी किराए के रेहडिय़ां नहीं लगाने दी जाती। ऐसे में सवाल उठता है कि शहर के प्रमुख स्थानों पर फुटपाथों पर खोखे रखवाने और रेहड़ी लगवाने के बदले किराया वसूलने का धंधा किसकी मिलीभगत से किया जा रहा हैï? इससे संकरी गली में एक छोर से दूसरे छोर तक आवागमन लोहे के चने चबाने जैसा है। अब इंतजार है तो बड़ी कार्रवाई का, जिससे लगे कि हाईकोर्ट के आदेश का वास्तव में पालन हुआ है, खानापूर्ति नहीं।