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GSI Survey: ग्रेनाइट मिला तो रातोंरात बदल जाएगी सोनभद्र की सूरत, पहाड़ियां उगलेंगी ‘सोना’

GSI Survey: उत्तर प्रदेश के सोनभद्र की पहाड़ियों में बीते दिनों 170 करोड़ साल पुराना ग्लूकोनेटिक सैंड स्टोन मिला था। अब जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया ने यहां ग्रेनाइट मिलने का दावा किया है।

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GSI team engaged in survey of possibility of finding granite stones in Sonbhadra hills

सोनभद्र में पहाड़ियों का जीएसआई सर्वे।

GSI Survey in Sonbhadra: पूर्वी उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले में पहाड़ों ग्रेनाइट मिलने की पूरी संभावना है। इसको लेकर जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया की लखनऊ टीम दो दिनों तक ग्रेनाइट की खोज में लगी रही। दो दिन तक चोपन इलाके की सोन नदी के तटवर्ती पहाड़ों से जुटाए गए छोटे-छोटे पत्‍थरों के टुकड़ों को लेकर टीम लखनऊ स्थित परीक्षण लैब के लिए रवाना हो गई। जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया की लखनऊ जोन इंचार्ज विपाशा सिन्हा ने बताया कि लखनऊ लैब में परीक्षण के बाद तय होगा कि यहां ग्रेनाइट पत्‍थर है या नहीं। उन्होंने कहा कि चोपन के हरा गांव की पहाड़ियों के 10 किमी क्षेत्र में ग्रेनाइट मिलने की पूरी संभावना है। इससे पहले यहां 170 करोड़ साल पुराना ग्लूकोनेटिक सैंड स्टोन मिला था।

जीएसआई टीम की जोनल हेड विपाशा सिन्हा ने बताया कि उनकी टीम लगभग एक सप्ताह से सोनभद्र के हरा गांव की पहाड़ियों में धातुओं और खनिजों की खोज में लगी थी। यहां आपको बताना जरूरी है कि विपाशा सिन्हा से पहले लखनऊ विश्वविद्यालय के भूविज्ञान विभाग के अध्यक्ष प्रो. विभूति राय ने भी इस क्षेत्र में ग्रेनाइट मिलने का दावा किया था। इसके बाद जीएसआई की टीम ने यहां सर्चिंग अभियान शुरू किया। अब जीएसआई की टीम यह पुष्टि करने में जुटी है कि यहां कितनी मात्रा में ग्रेनाइट मौजूद है। जीएसआई की टीम का कहना है कि अगर यहां ग्रेनाइट पत्‍थर का प्रचुर भंडार मिलता है तो केंद्र सरकार को रिपोर्ट भेजकर इस क्षेत्र को ग्रेनाइट खनन के लिए सुरक्षित कराया जाएगा।

अभी राजस्‍थान से यूपी में मंगाया जाता है ग्रेनाइट पत्‍थर
जीएसआई की जोनल हेड विपाशा सिन्हा ने बताया कि अभी तक उत्तर प्रदेश समेत तमाम राज्यों में राजस्‍थान से ग्रेनाइट पत्‍थर की सप्लाई की जाती है। राजस्‍थान महंगे दामों में ये पत्‍थर दूसरे राज्यों को बेचता है। अगर यूपी के सोनभद्र में इसका भंडार मिलेगा तो राजस्‍थान पर निर्भरता कम होगी। साथ ही मकान और होटलों में ग्रेनाइट लगवाना आसान हो जाएगा। इसके अलावा यहां भारी मात्रा में रोजगार मिलने की संभावना बढ़ेगी।

विपाशा सिन्हा बताती हैं "सोनभद्र के हरा गांव की पहाड़ी के बगल में पिपरहवा टोले की सोन पहाड़ी और कोन क्षेत्र की कई पहाड़ियों में दुर्लभ खनिज संपदा मिलने की प्रबल संभावना है। जीएसआई लखनऊ जोन की टीम खजिन संपदा की नियमित जांच कर रही है। ग्रेनाइट मिलने की संभावना के बाद हम अपनी जांच रिपोर्ट केंद्र सरकार को भेजेंगे। जांच रिपोर्ट तैयार करने के लिए तथ्य जुटाए जा रहे हैं। इसमें थोड़ा समय लग सकता है।"

वहीं लखनऊ विश्वविद्यालय के प्रो. विभूति राय और वाराणसी स्थित बीएचयू के भू वैज्ञानिक वैभव श्रीवास्तव का कहना है कि कनहर किनारे की 160-170 करोड़ साल पुरानी चट्टानों में भी दुर्लभ धातुओं के मिलने की संभावना है। भू वैज्ञानिकों का कहना है कि जबलपुर से लेकर सोनभद्र के हरा गांव तक 180 करोड़ साल पहले महाकौशल नाम का समुद्र था। इसलिए यहां कई दुर्लभ धातुएं होने की प्रबल संभावना है, क्योंकि समुद्र के गर्भ में कई दुर्लभ पत्‍थर और धातु पाए जाते हैं। यानी अगर इन पहाड़ियों पर करोड़ों साल पुरानी धातु और खनिज पदार्थ निकलने लगे तो यह क्षेत्र विकसित होने में ज्यादा दिन नहीं लगेंगे। भू वैज्ञानिकों का कहना है कि यहां पहाड़ियों में पुराना ‘सोना’ यानी दुर्लभ धातु और पत्‍थर मिलने की पूरी संभावना है।