अफसोस की बात है कि नगर निगम अपनी अकर्मण्यता को छिपाने के लिए बजट का रोना रोता रहा और इसकी ओर दशकों से कोई विशेष ध्यान नहीं दिया। निगम के आला अधिकारियों और न ही निर्वाचित प्रतिनिधियों के पास गुलाब सागर, रानीसर, पदमसर और फतेह सागर के पुनरुत्थान का न ही कोई ब्ल्यू प्रिंट है और न ही कोई विजन है, पर पत्रिका के लगातार प्रयासों से मेहनत रंग लाई। आवाज राज्य सरकार तक पहुंची। सरकार ने गंभीरता दिखाई। प्राचीन जलाशयों के संरक्षण के लिए आगे आई। सरकार की चिंता बजट प्रावधानों में साफतौर पर परिलक्षित हो रही है। सभी की भावना को ध्यान में रखते हुए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने न केवल गुलाब सागर बल्कि रानीसर, पदमसर और फतेह सागर के जीर्णोद्धार-सौंदर्यीकरण के लिए पांच करोड़ रुपए का बजट प्रावधान किया है। सरकार के इस सहयोग के लिए साधुवाद। शहर के इन प्राचीन जलाशयों को कुछ सहारा मिलेगा, लेकिन इनके समग्र संरक्षण के लिहाज से यह राशि पर्याप्त नहीं है। अभी थोड़ा मिला है बहुत बाकी है। राज्य सरकार के बजट में शहर के प्राचीन जलाशयों के सौंदर्यीकरण के लिए दी गई राशि कम है, लेकिन इससे संरक्षण के प्रयासों को मजबूती मिलेगी…गति मिलेगी। राजस्थान पत्रिका की इस मुहिम को मिले जन आशीर्वाद से हम सभी अभिभूत हैं। पत्रिका अपने पाठकों के हितों के संरक्षण के लिए सदैव आवाज उठाता रहा है। जलाशयों के संरक्षण के यह मुहिम खत्म नहीं हुई है, बल्कि यह तो अभी शुरू हुई है। आशा करते हैं कि आपका यह आशीर्वाद आगे भी मिलता रहेगा।