
हास्य कलाकार राजू श्रीवास्तव हंसी दवा है, लीजिए और दीजिए और बांटते रहिए
जाने माने हास्य कलाकार राजू श्रीवास्तव का मानना है कि हंसी एक दवा है और इसको लेना भी चाहिए और देना भी। अपने जीवन के संघर्ष के दौर में जब सौ रुपए कमाता था तब भी हंसाता था और आज भी। पिछले एक दशक में मंच पर जो हंसी के फव्वारे सुनने लोग पहुंच रहे है, वह कलाकारों की बड़ी हौंसला अफजाही है। कोरोना के बाद में फिर से एक बार खुलकर हंसने का समय आया है।
बाड़मेर .
हास्य कलाकार राजू श्रीवास्तव थार महोत्सव में हिस्सा लेने बालोतरा पहुंचे। यहां उन्होंने पत्रिका से विशेष बातचीत में कहा कि पुरानी फिल्मों में महमूद जैसे हास्य कलाकार थे जो बेमिसाल थे। फिल्मों में कॉमेडियन का होना जरूरी तब से है जबसे फिल्में बन रही है। मंच पर हंसी का दौर पिछले एक दशक में एकदम बढ़ा है। टी वी शो और सोशल मीडिया का इसमें बड़ा रोल है। राजू कहते है कि यूट्यूब पर जो हमें देखते है उनकी दाद से ज्यादा जब सामने लोगों को सुनाते है और आती है,उसका मुकाबला नहीं।
कलाकार जिंदा रहे
बाड़मेर जैसलमेर के कलाकारों की तारीफ करते हुए राजू ने कहा कि यहां तो सरस्वती का वरदान है। मांगणिहारी लोक गायकी का कोई मुकाबला नहीं है। उन्होंने कहा कि एक चित्रकार का चित्र भी कला है। सही मायने में कला हर जगह है,बस इसको जिंदा रहने दे। आधुनिकता के इस दौर में कलाकारों को कद्रदानी मिलती रहे।
संघर्ष खूब देखा
राजू श्रीवास्तव कहते है कि मायानगरी मुम्बई पहुंचकर संघर्ष का एक पूरा दौर देखा है लेकिन सच में वहां की जिंदगी का मजा नहीं है। लोग एक दूसरे को जानते नहीं है। पड़ौसी पड़ौसी को नहीं जानता है। यहां जब दूर कस्बाई संस्कृति में आते है,जिसमेे हम भी पले बढ़े है तो लगता है ङ्क्षजदगी है। वो कहते है कि हमारी हंसी इन्हीं गांवों से चुनी हुई है जो बेहद पसंद की जाती है।
Published on:
31 Mar 2022 12:01 pm
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