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हाइवे पर गोवंश का जमावड़ा, सावधानी से चलें, नहीं तो हो सकता है हादसा

बस्सी. बरसात का मौसम शुरू होते ही जयपुर-आगरा राष्ट्रीय राजमार्ग पर निराश्रित गोवंश मण्डराने लग गया है, यदि एनएचएआई व टोल कम्पनी सावचेत नहीं रहे तो इनसे कभी भी सड़क हादसे हो सकता है। जानकारी के अनुसार जयपुर-आगरा राष्ट्रीय राजमार्ग का करीब 35 किलोमीटर हिस्सा बस्सी उपखण्ड से गुजर रहा है। बरसात का मौसम शुरू […]

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बस्सी. बरसात का मौसम शुरू होते ही जयपुर-आगरा राष्ट्रीय राजमार्ग पर निराश्रित गोवंश मण्डराने लग गया है, यदि एनएचएआई व टोल कम्पनी सावचेत नहीं रहे तो इनसे कभी भी सड़क हादसे हो सकता है। जानकारी के अनुसार जयपुर-आगरा राष्ट्रीय राजमार्ग का करीब 35 किलोमीटर हिस्सा बस्सी उपखण्ड से गुजर रहा है। बरसात का मौसम शुरू होते ही हाईवे पर डिवाइडर के बीच व सड़क के दोनों ओर हरा चारा उग आता है। चारे को खाने के लिए गोवंश हाईवे पर आ जाता है।

डिवाइडर पर चढ़कर चारा विचरण करता गोवंश सड़क पर किस साइड में उतर आए पता नहीं। इससे हाईवे पर कभी भी सड़क हादसा हो सकता है। समय पर कटे चारा, दोनों ओर लगे रेलिंग जयपुर-आगरा राष्ट्रीय राजमार्ग पर हर 24 घंटे में करीब 25 हजार वाहनों का आवागमन होता है। हाईवे पर वाहनों की कतार लगी रहती है। वहीं बरसात के मौसम में जगह-जगह पर गोवंश का झुण्ड विचरण करता रहता है। एनएचएआई की टोल कम्पनी डिवाइडर पर अंकुरित हरे चारे को समय-समय पर कटवाना चाहिए। गोवंश सड़क पर नहीं आए, इसके लिए एक्सप्रेस हाईवे की तर्ज पर सड़क के दोनों ओर रेलिंग लगानी चाहिए, ताकि निराश्रित जानवर हाईवे की सड़क की सीमा में प्रवेश नहीं करें। यदि एनएचएआई एवं टोल कम्पनी ने सुरक्षा के उपाय नहीं किए तो बरसात के मौसम में पता नहीं कितने सड़क हादसे होंगे।

टोल वसूली पूरी, सुरक्षा का जिम्मा नहीं

हाईवे पर टोल कम्पनी वाहन चालकों से नियमानुसार टोल वसूल रही है तो एनएचएआई एवं टोल कम्पनी को वाहन चालकों की सुरक्षा के भी उपाय करने चाहिए। ताकि वाहन चालक हाईवे पर बेफि्रक होकर चल सके। अब एनएचएआई ने दिल्ली-मुम्बई एक्सप्रेस वे बनाया है, उस पूरे सड़क मार्ग पर दोनों ओर मजबूत रेलिंग लगा रखी है, ताकि इस पर कोई निराश्रित जानवर नहीं आ सके।

हर पंचायत में हो गोशालाएं

यदि हर ग्राम पंचायत में गोशाला खुल जाए तो निराश्रित गोवंश को उसमें आश्रय दिया जा सकता है। सरकार ने हर ग्राम पंचायत में गोशाला खोलने की योजना बनाई थी, लेकिन अभी तक यह योजना धरातल पर नहीं आई। यदि ग्राम पंचायतों में गोशालाएं खुल जाए तो किसानों को भी उनकी फसलों से नुकसान से बजाया जा सकता है और हाईवे व अन्य सड़क हादसों से निजात मिल सकती है। (कासं.)