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कपास की फसल लगाने के प्रति किसानों का मोहभंग

क्षेत्र में 90 प्रतिशत बोवनी हो चुकी है

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kisan

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छिंदवाड़ा/पांढुर्ना. लगातार दो वर्षों से कपास के कम दाम मिलने के कारण इस साल कपास की बोवनी पर प्रभाव पड़ता नजर आ रहा है। कपास की लागत अधिक और कम दाम मिलने से किासनों का झुकाव मक्का और तुअर की ओर बढ़ रहा है। मृग नक्षत्र लगने के साथ ही क्षेत्र में 90 प्रतिशत बोवनी हो चुकी है।

सोयाबीन में भी बढ़ोतरी
कपास का रकबा कम होने से सोयाबीन के रकबे में भी बढ़ोतरी हो रही है। मंूगफली का रकबा जस का तस बना रह सकता है। पिछले साल से किसानों ने मंूगफली को गर्मी के मौसम में लगाने का नया रिवाज शुरू किया है। इससे मंूगफली सिर्फ असिंचित किसानों के लिए ही महत्व रखेगी।

कपास की लागत अधिक
एक एकड़ में कपास की फसल लेने के लिए किसान को लगभग 15 हजार रुपए का खर्च आता है इसमें 5 से 6 क्विंटल कपास का उत्पादन होता है। उत्पादन के बाद का खर्च करने के बाद भी किसान के हाथ कुछ नहीं लग रहा है। वर्तमान में कपास के दाम लगभग 6900 रुपए है।

फसल पिछले साल का रकबा इस साल का रकबा
कपास
2100 हे. 18000 हेक्टेयर के लगभग
मक्का 11500 15000 हेक्टे.
तूअर 5000 8000 हेक्टे.
सोयाबीन 3000 4000 हेक्टे.