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इस सरकारी स्कूल का परिणाम देख चौक जाएंगे आप, 214 में से 196 बच्चे फर्स्ट डिवीजन पास

जिन बच्चों व पालकों के मन में यह धारणा बन चुकी है कि सरकारी स्कूलों में तो पढ़ाई ही नहीं होती, तो ऐसे लोगों को शहर के सरकारी स्कूल उत्कृष्ट उच्चतर माध्यमिक विद्यालय माधवनगर के रिजल्ट पर जरूर गौर करना चाहिए। यहां अध्ययन करने वाले बच्चों ने न सिर्फ कीर्तिमान रचा है बल्कि ओवरऑल बेहतर परिणाम लाकर यह साबित कर दिया है कि प्राइवेट स्कूलों से कहीं ज्यादा अच्छी सरकारी स्कूलों की पढ़ाई है।

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कटनी

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Balmeek Pandey

Jul 06, 2020

Excellent Higher Secondary School Katni results better

Excellent Higher Secondary School Katni results better

कटनी. जिन बच्चों व पालकों के मन में यह धारणा बन चुकी है कि सरकारी स्कूलों में तो पढ़ाई ही नहीं होती, तो ऐसे लोगों को शहर के सरकारी स्कूल उत्कृष्ट उच्चतर माध्यमिक विद्यालय माधवनगर के रिजल्ट पर जरूर गौर करना चाहिए। यहां अध्ययन करने वाले बच्चों ने न सिर्फ कीर्तिमान रचा है बल्कि ओवरऑल बेहतर परिणाम लाकर यह साबित कर दिया है कि प्राइवेट स्कूलों से कहीं ज्यादा अच्छी सरकारी स्कूलों की पढ़ाई है। एक्सीलेंस स्कूल कक्षा 10वीं का परिणाम 91.6 प्रतिशत है, जबकि जिले का परीक्षा परिणाम 53.70 है। यहां के शिक्षकों ने मन लगाकर विद्यार्थियों को अध्ययन कराया जिसका परिणाम है कि 214 परीक्षार्थियों में से 196 उत्तीण हुए हैं जिनमें से 170 प्रथम श्रेणी में परिणाम अपने नाम किया है। इसी तरह 26 बच्चे सेकंड आए हैं। तीसरे स्थान पर एक भी बच्चा नहीं है। 11 बच्चों की एटीकेटी व कुल 7 बच्चों को असफल रहे हैं। खास बात यह है कि स्कूल में अदिति उरमलिया ने 96.5 अंक के साथ स्कूल में टॉप किया है। इस बच्ची को प्रदेश में टॉप आने की तैयारी कराई जा रही थी, लेकिन अचानक पारिवारिक परेशानी के कारण रिजल्ट बिगड़ गया। इसको लेकर प्राचार्य सहित स्कूल स्टॉफ में मलाल जरूर है, लेकिन फिर आगे बेहतर प्रयास करने के साथ नए सत्र की तैयारी में स्टॉफ जुट गया है।

प्राचार्य की मॉनीटरिंग लाई रंग
एक्सीलेंस स्कूल का रिजल्ट उन शिक्षकों और प्राचार्य के लिए प्रेरणा लेने लायक है जिनका पढ़ाई कराने में मन नहीं लगता या फिर राजनीति सहित अन्य कामों में मशगूल रहते हैं। प्राचार्य विभा श्रीवास्तव बताती हैं कि हर व्यक्ति को अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन पूरी इमानदारी से करना चाहिए। उन्होंने कहा कि तिमारी परीक्षा से ही हर सेक्शन से उन्होंने टॉप-5 बच्चे सिलेक्ट किए। उनकी कमजोरी को समझा, उनकी जरुरतों को जाना और फिर तैयारी शुरू कराई। छैमारी परीक्षा और प्री बोर्ड के बाद उनको और मोटीवेट करना शुरू किया और एक्सट्रा क्लास, निदानात्मक क्लास लगाकर विद्यार्थियों को पढ़ाई के लिए प्रेरित कराया। अंग्रेजी की शिक्षिका होने पर प्राचार्य ने खुद क्लास लिया और बच्चों को परिपक्व किया।

ऐसे बनाया विशेष शेड्यूल
अच्छे बच्चों के लिए एक्सट्रा क्लास, कमजोर बच्चों के लिए निदानात्मक कक्षाएं लगाईं। हर सप्ताह सेक्शन की मॉनीटरिंग की। बच्चों से वन-टू-वन बाद किया। कक्षा 10वीं के प्रत्येक बच्चे की डायरी संधारित की। बच्चों का स्टैंडंर्ड लिखा। उनको कैटेगरी में डिवाइड किया। बच्चे कौन से लोवर कैटेगरी के हैं जिन्हें अपग्रेड करना है, अपर कैटेगरी के जो बच्चे थे, जिनमें थोड़ी मेहनत करनी है, यह बनाया और फिर क्लास लगाकर बच्चों की तैयारी कराई। विशेष कक्षाओं में बच्चों को पढ़ाया। प्रैक्टिकल के बाद बच्चों को नंबर नोट कराया, बच्चों का बुलाकर शिक्षकों से समस्या का समाधान कराया, जिससे परिणाम बेहतर आया।