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प्रेमचंद की 315 में से 313 कहानियों पर कर चुके हैं नाटक, लिम्का बुक में दर्ज हुआ नाम, अब अपना ही रिकॉर्ड तोड़ेंगे…

जानिए कैसे इस शख्स का नाम मुंशी प्रेमचंद के कारण लिम्का बुक में दर्ज हुआ। ये भी जानें कि उनके लिए वे और क्या कर रहे हैं...

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interview mujeeb khan

mujeeb khan

मुंशी प्रेमचंद का नाम आपने जरूर सुना होगा। बचपन में सिलेबस में उनकी कोई न कोई कहानी भी पढ़ी होगी। आपको शायद ये भी पता हो कि ये शख्स अब इस दुनिया में नहीं है। तो फिर कैसे उन्होंने किसी का नाम लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज करा दिया। तो चलिए हम आपको बताते हैं कि कौन है वो शख्स जिसका नाम लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज हुआ। क्यों और कैसे हुआ। दरअसल कुछ ही दिन पहले वे शख्स दिल्ली में विवेकानंद के जीवन पर आधारित नाटक का मंचन करने आए थे। तब उनसे हुई बातचीत...

प्रेमचंद की 313 कहानियों पर कर चुके हैं नाटक

इस शख्स का नाम है मुजीब खान और पिछले छत्तीस साल से थिएटर से जुड़े हुए हैं। मुजीब एकलौते ऐसे शख्स हैं जो मुंशी प्रेमचंद की 315 में से 313 कहानियों पर नाटकों का निर्देशन कर चुके हैं। इसी कारण उनका नाम लिम्का बुक ऑफ रिकार्ड्स में दर्ज है। इन नाटकों को वे 'आदाब मैं प्रेमचंद हूं' सीरिज के नाम से मुंबई के साठे कॉलेज समेत देश के अलग-अलग शहरों में मंचित कर चुके हैं। जब वह 18 साल के थे, तब मुंबई ड्रामा कंपटीशन में उनका 'लाचार-ए-माई नाटक चौथे स्थान पर रहा था।

अब अपना ही रिकॉर्ड तोड़ेंगे

एक ही लेखक की इतनी कहानियों का मंचन करने पर 2012 में मुजीब खान का नाम लिमका बुक में दर्ज हुआ था। तब उन्होंने केवल 280 कहानियों का ही मंचन किया था। अब तक उन्होंने 313 कहानियों का मंचन कर लिया है। यानी मुंश प्रेमचंद की पूरी की पूरी 315 कहानियों का मंचन करके वे अपना ही रिकॉर्ड तोड़ने वाले हैं।

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10 दिन लगातार चलेंगे नाटक

मजीब खान मुंशी प्रेमचंद को श्रद्धांजलि देने के लिए एक और अनूठा प्रयास करने वाले हैं। इसके लिए वह मुंबई में दस दिन का नॉनस्टॉप कार्यक्रम की रूपरेखा बना रहे हैं, जो चौबीस घंटे चलेगा। इसमें दस दिन और दस रातें लगातार मुंशी प्रेमचंद की कहानियों पर नाटक मंचित किए जाएंगे। सैट बदलते समय या तो प्रेमचंद के पत्र पढ़े जाएंगे या फिर उनका कोई लेख। यानी एक मिनट के लिए भी स्टेज से परफॉर्मेंस बंद नहीं होगी। यह वल्र्ड रिकॉर्ड होगा। दुनिया में अभी तक 70 घंटे लगातार मंचन का रिकॉर्ड है। अगर यह योजना सिरे चढ़ती है तो यह कुल 240 घंटे लगातार नाटक मंचन का रिकॉर्ड होगा।

मुंशी प्रेमचंद का साहत्य अंग्रेजी में

मुजीब ख़ान की पत्नी आलिया खान मुंशी प्रेमचंद की कहानियों पर होने वाले नाटकों के पात्रों के लिए कॉस्ट्यूम डिजाइन करती हैं। अब वह इन सब नाटकों को इंटरनैशनल ऑडियंस के लिए अंग्रेजी में अनुवाद कर रही हैं। मुंशी जी की सभी कहानियों के नाट्य रुपांत्रण को 'आदाब, मैं प्रेमचंद हूं' नाम की सीरिस में प्रकाशित भी किया जा रहा है।

कैसे आया नाटक करने का आइडिया

मुंशी प्रेमचंद की कहानियों को मंचित करने का आइडिया कैसे आया? पूछने पर मुजीब बताते हैं- 'सन 2005 में सरकार ने ऐलान किया कि वह मुंशी प्रेमचंद की 12वीं जयंती को सेलिब्रेट करेंगे। तो हमने सोचा कि इतने महान राइटर को कैसे श्रद्धांजलि दे सकते हैं? तो कहानियों पर नाटक करने का विचार आया। इनकी 315 कहानियां हैं। इन सब पर नाटक किए जाएं, तो इतने ही नाटक हो जाएंगे। इससे अच्छी श्रद्धांजलि शायद ही किसी लेखक को मिली हो। आज ये नाटक उपलब्ध हैं और लोग देख भी रहे हैं।'

गांधी और टैगोर के रिश्तों पर बनाना चाहते हैं नाटक

मुजीब खान बताते हैं कि इस समय में रश्मिरथी नाटक पर काम कर रहा हूं जिसमें संवाद कविता की फॉर्म में होंगे। पात्र एक दूसरे से बात कविता में करेंगे। इसके अलावा महात्मा गांधी और गुरु रवींद्रनाथ टैगोर के संबंधों पर नाटक बनाने की मेरी इच्छा शुरू से रही है।

लेखक को नहीं मिलती आजादी

कई टीवी सीरियलों की स्क्रिप्ट लिख चुके मुजीब खान बताते हैं कि एक ऐसा समय भी आया जब मुझे लगा कि फिल्मों का भी निर्देशन किया जाना चाहिए। लेकिन जिन फिल्मों का मैं निर्माण करना चाहता हूं, उसके लिए इंवेस्टर्स नहीं मिलते। कमर्शियलाइजेशन इतनी हो चुकी है कि लोग आर्ट फिल्मों से नहीं जुड़ रहे हैं। दूसरा हम कोई दूसरी फिल्म भी बनाते हैं तो उसमें भी पूरी तरह से एक लेखक को आजादी नहीं मिलती। उसे प्रोड्यूसर के हिसाब से लिखना पड़ता है।

कमर्शियलाइजेशन पर रखते हैं बेबाक राय

मुजीब खान कमर्शियलाइजेशन पर खुलकर कहते हैं- 'आर्ट हो या एंटरटेनमेंट, हर जगह कमर्शियलाइजेशन हो चुकी है। जो बिकता है, वहीं दिखाया जाता है। अब सीरियस आर्ट को देखने वाली ऑडियंस नहीं है। कबीर दास, मिर्जा गालिब, चंद्रशेखर आजाद, भगत सिंह जैसी प्रतिभाओं के आदर्श, विचार और उनका दृष्टिकोण हर पीढ़ी तक पहुंचना चाहिए। क्योंकि ऐसी प्रतिभाएं युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणा स्रोत हैं और यह युवाओं का मार्गदर्शन करती हैं। यहीं कारण है कि मैं एंटरटेनमेंट से जुड़े विषयों पर नाटक निर्देशन करने की बजाय ऐसे मुद्दों को उठाता हूं, जिनका हमारे इतिहास या देश में अहम रोल रहा हो।

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विवेकानंद पर स्क्रिप्ट तैयार करने में लगे आठ महीने

मुजीब खान बताते हैं कि स्वामी विवेकानंद पर नाटक लिखने में उर्दू के लेखक सैयद हामिद को आठ महीने का वक्त लगा। स्वामी विवेकानंद पर कई पुस्तकों और पत्रों को पढ़ने के बाद नाटक लिखा गया, लेकिन स्क्रिप्ट 10-12 घंटे का समय मांग रही थी। हमने काफी मुश्किल से स्वामी विवेकानंद के जीवन के जरूरी और अनछुए पहलुओं को 45 मिनट के नाटक में समेटा।

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