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जानिए PoK में तबाही मचाने वाले पैरा कमांडो को कैसे किया जाता है ट्रेंड

पैरा कमांडो भारतीय सेना की पैराशूट रेजीमेंट की स्पेशल फोर्स यूनिट है, इनके पास सबसे मुश्किल काम आते हैं

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Rakesh Mishra

Sep 30, 2016

Para commando

Para commando

नई दिल्ली। उरी में सेना के मुख्यालय पर हुए आतंकी हमले के दस दिन बाद भारतीय सेना ने उसका बदला ले लिया है। एलओसी को पार सात आतंकी कैंपों को तबाह कर दिया गया। इतना ही नहीं इस सर्जिकल स्ट्राइक में 38 आतंकियों को भी मौत की नींद सुलाया गया। इस खतरनाक ऑपरेशन को पूरा किया था भारतीय सेना की उत्तरी कमान की चौथी व नौवीं बटालियन की स्पेशल फोर्स पैरा कमांडो ने। इन्हीं पैरा कमांडो की टीम ने म्यांमार में घुसकर वहां के आतंकी कैंपों को तबाह किया था। ऐसे में यह जानना बेहद जरूरी है कि आखिर कौन हैं ये पैरा कमांडो और कैसे इनको टे्रंड किया जाता है।

पैरा कमांडो भारतीय सेना की पैराशूट रेजीमेंट की स्पेशल फोर्स यूनिट है। इनके पास सबसे मुश्किल काम आते हैं। इसमें स्पेशल ऑपरेशन, आतंकवाद विरोधी अभियान, विदेश में आतंरिक सुरक्षा और विद्रोह को कुचलने जैसे काम शामिल हैं। एक पैरा कमांडो की काम के साथ-साथ ट्रेनिंग करीब साढ़े तीन साल तक चलती है। एक पैरा कमांडो को साढ़े 33 हजार की फुट की ऊंचाई से कम से कम 50 जंप लगानी होती है।

इतना ही नहीं ट्रेनिंग के दौरान थकावट, मानसिक और शारीरिक यातना भी दी जाती है। शरीर पर 60 से 65 किलो वजन और 20 किलोमीटर की दौड़ से पैरा कमांडो के दिन की शुरुआत होती है। एयरफोर्स के पैरा ट्रेनिंग स्कूल आगरा में इन्हें ट्रेनिंग दी जाती है। पानी में लडऩे के लिए नौ सेना डाइविंग स्कूल कोच्चि में ट्रेनिंग दी जाती है। ट्रेनिंग के दौरान ही करीब 90 प्रतिशत जवान ट्रेनिंग छोड़ जाते हैं। कई बार ट्रेनिंग के दौरान ही जवानों की मौत भी हो जाती है।

इस कमांडो यूनिट का
निर्माण भारत और पाकिस्तान के बीच 1965 में हुई जंग के दौरान हुआ था।
इंडियन आर्मी के ट्रेंड कमांडो दुश्मनों को छलने के लिए विशेष ड्रेस का
इस्तेमाल करते हैं। इन ड्रेसों का हल्का रंग रेगिस्तान में और गाढ़ा रंग
हरियाली के बीच उन्हें छिपने में मदद करता है। कमांडो एक खास झिल्लीदार सूट
भी पहनते हैं, जिन्हें किसी वातावरण में छिपने के लिए इस्तेमाल किया जा
सकता है। स्पेशल फोर्स पर्पल बैरेट पहनते हैं और इनकी इजराइली टेओर असॉल्ट
राइफल इन्हें पैरामिलिट्री फोर्स से अलग बनाती है।


marcos commando





















इन कमांडो फोर्सेस पर भी है हमें नाज


एनएसजी
एनएसजी देश के सबसे अहम कमांडो फोर्स में एक
है जो गृह मंत्रालय के अंदर काम करते हैं। एनएसजी में चुने जाने वाले जवान
तीनों सेनाओं, पुलिस और पैरामिलिट्री के सबसे अच्छे जवान होते हैं।
आतंकवादियों की ओर से आंतरिक सुरक्षा के मोर्चे पर लडऩे के लिए इन्हें
विशेष तौर पर इस्तेमाल किया जाता है। 26/11 मुंबई हमलों के दौरान एनएसजी की
भूमिका को सभी ने सराहा था। इसके साथ ही वीआईपी सुरक्षा, बम निरोधक और
एंटी हाइजैकिंग के लिए इन्हें खासतौर पर इस्तेमाल किया जाता है। इनमें
आर्मी के लड़ाके शामिल किए जाते हैं, हालांकि दूसरे फोर्सेस से भी लोग
शामिल किए जाते हैं। इनकी फुर्ती और तेजी की वजह से इन्हें ब्लैक कैट भी
कहा जाता है।

मार्कोस
मार्कोस का नाम आपने कम ही सुना होगा।
इंडियन नेवी के स्पेशल कमांडोज जिन्हें आम नजरों से बचा कर रखा गया है।
मार्कोस को जल, थल और हवा में लडऩे के लिए विशेष ट्रेनिंग दी जाती है।
समुद्री मिशन को अंजाम देने के लिए इन्हें महारत है। 20 साल उम्र वाले
प्रति 10 हजार युवा सैनिकों में एक का सिलेक्शन मार्कोस फोर्स के लिए होता
है। इसके बाद इन्हें अमेरिकी और ब्रिटिश सील्स के साथ ढाई साल की कड़ी
ट्रेनिंग करनी होती है। स्पेशल ऑपरेशन के लिए इंडियन नेवी के इन कमांडोज को
बुलाया जाता है। मार्कोस हाथ पैर बंधे होने पर भी तैरने में माहिर होते
हैं। ये कमांडो हमेशा सार्वजनिक होने से बचते हैं। नौसेना के सीनियर
अफसरों की मानें तो परिवार वालों को भी उनके कमांडो होने का पता नहीं होता
है। 26/11 हमले में आतंकवादियों से निपटने में इनकी खास भूमिका थी।

एसपीजी
एसपीजी को प्रधानमंत्री की सुरक्षा के लिए
खास तौर पर तैयार किया गया है। हालांकि वह अपनी ट्रेडमार्क सफारी सूट में
हमेशा दिखते हैं, लेकिन कुछ खास मौकों पर एसपीजी कमांडोज को बंदूकों के साथ
काली ड्रेस में भी देखा जाता है। एसपीजी के जवान बहुत ही ज्यादा चुस्त और
समझदार होते हैं। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद 1985
में इसे बनाया गया, अब यह कमांडो फोर्स पूर्व प्रधानमंत्री और उनके
परिवारों को सुरक्षा प्रदान करते हैं।


spg commando





















स्वात कमांडोज
अमेरिका के तर्ज पर बनी है भारत की
स्वात कमांडोज की टीम, किसी भी हालत से निपटने में माहिर है। दिल्ली पुलिस
के स्वात कमांडो मतलब सुरक्षा की गारंटी दिलाते है। स्वात कमांडो की
ट्रेनिंग बेहद कठिन होती है। ये कमांडो फोर्स किसी भी हालात में दुश्मन का
खात्मा करने के लिए ट्रेंड होते हैं। इसमें इन्हें हवा में, पानी में और
जंगल में घात लगाकर मार करने की तकनीक सिखाई जाती है। आधुनिक हथियारों से
लैस ये कमांडो रात के अंधेरे में भी दुश्मन को पहचान उनका खात्मा करने के
लिए ट्रेंड होते हैं। आतंकियों और नक्सलियों से निपटने के लिए तैयार किया
जाता है। बता दें कि 2008 में मुंबई हमले के बाद दिल्ली पुलिस के स्वात
कमांडोज का गठन किया गया।

garud commando force





















गरुण कमांडोज
इंडियन एयरफोर्स ने 2004 में अपने एयर
बेस की सुरक्षा के लिए इस फोर्स की स्थापना की। मगर गरुण को युद्ध के दौरान
दुश्मन की सीमा के पीछे काम करने के लिए ट्रेंड किया गया है। आर्मी
फोर्सेस से अलग ये कमांडो काली टोपी पहनते हैं। गरुड़ जवान पानी, हवा और
रात में मार करने की अनोखी क्षमता रखते हैं और इन्हें मुख्य तौर पर
माओवादियों के खिलाफ मुहिम में शामिल किया जाता रहा है।



cobra commando force





















कोबरा कमांडो
कोबरा यानी की कमांडो बटालियन फॉर
रिजॉल्यूट एक्शन। कोबरा के जवानों को गुरिल्ला ट्रेनिंग द्वारा तैयार किया
जाता है। कोबरा के जवानों को वेश बदलने से लेकर घात लगाकर हमला करने में
कोई मात नहीं दे सकता। संसद भवन और राष्ट्रति भवन की सुरक्षा का जिम्मा
कोबरा के पास ही है। कोबरा का गठन 2008 में किया गया था।

फोर्स वन कमांडो
फोर्स
वन कमांडो अपनी तेज प्रतिक्रिया के लिए पूरे विश्व में प्रसिद्ध है। जिसे
महाराष्ट्र सरकार ने 2010 मुंबई आतंकवादी हमलों के बाद बनाया गया है। इनका
मुख्य काम मुंबई मेट्रोपॉलिटेन को सुरक्षित रखना है। यह स्पेशल फोर्स
दुनिया के सबसे तेज और चपल स्पेशल फोर्सेस में से एक हैं, जिन्हें किसी भी
आपदा से लडऩे के लिए सिर्फ 15 मिनट की जरूरत होती है।


force 1 commando






















आईटीबीपी कमांडोज
आईटीबीपी के स्पेशल कमांडोज ने
मुंबई के 26/11 आतंकी हमले के बाद मुख्य अभियुक्त अजमल कसाब को मुंबई जेल
में रखने में अहम भूमिका निभाई थी। दिल्ली की तिहाड़ जेल की निगरानी की
कमान भी इन्हीं के हाथों में है। इसके साथ ही ये भारत-चीन सीमा की भी विशेष
निगरानी करते हैं।


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सीआईएसएफ कमांडोज
सीआईएसएफ के कमांडोज को आमतौर पर
वीवीआईपी, एयरपोर्ट और इंडस्ट्रियल इलाकों के लिए खास तौर पर तैनात किया
जाता है। अंतर्राष्ट्रीय एयरपोट्र्स जैसे दिल्ली और मुंबई इन्हीं की
निगरानी में सुरक्षित रहते हैं। मुंबई के 26/11 हमले के बाद इनका इस्तेमाल
प्राइवेट सेक्टर की सिक्युरिटी के लिए भी होने लगा है। इसका अपना स्पेशल
फायर विंग भी है, साथ ही यह फोर्स दिल्ली मेट्रो की सुरक्षा भी करती है।

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