नई दिल्ली।
अंडरवर्ल्ड डॉन छोटा राजन की इंडोनेशिया में गिरफ्तारी हो ही गई। अब उसे भारत लाने की तैयारी चल रही है। इस खबर में हम आपको छोटा राजन की कहानी बताने जा रहे हैं।
छोटा राजन की कहानी उस फिल्मी डॉन की तरह ही है जो छोटी बस्तियों
से निकल कर टिकट ब्लैक करने के रास्ते जुर्म के महल में घुसता है। मुंबई के उपनगर
चेंबूर में उसका जन्म दलित परिवार में हुआ था। उसके पिता नगर निगम में चपरासी थे पर
उसके सपनों की उड़ान काफी ऊंची थी। राजेन्द्र (छोटा राजन) ने हाजी मस्तान, करीम
लाला और वरदा भाई की बढ़ते असर को ध्यान में रखा और उसी राह पर चल पड़ा। चेंबूर और
घाटकोपर राजन नायर का बड़ा नाम था और इसी के लिए राजेंद्र सिनेमा में टिकट ब्लैक
करने लगा। उसका कद बढ़ता गया और फिर राजेन्द्र, राजन नायर उर्फ बड़ा राजन के साथ
छोटा राजन हो गया। 80 का दशक शुरू होते-होते राजन सुपारी लेकर हत्या करने के धंधे
में आ गया।
इसके बाद राजन का भी अपना एक नाम हो गया और अंडरवर्ल्ड में वह डॉन छोटा राजन के नाम से जाने जाना लगा। भले ही छोटा राजन विदेश में रहकर अपनी गैंग चला रहा था, लेकिन उसके परिवार ने कभी भी चेंबूर इलाका नहीं छोड़ा। आज भी राजन का परिवार इसी इलाके में रहता है। वहीं छोटा राजन का एक और नाम था, उसे नाना कहकर भी बुलाते थे। यह नाम उसे गुजरात के बिल्डर्स ने दिया था।
इसके बाद छोटा राजन ने अंडरवर्ल्ड के सबसे बड़े नाम दाऊद इब्राहिम का हाथ थामा। 90 के दशक के शुरूआत तक दाऊद इब्राहिम और राजन एक दांत काटी रोटी खाते थे।
राजन दाऊद को पूजता था। वह चैम्बूर के शंकर सिनेमा में टिकटों की ब्लैक
मार्केटिंग करते हुए आगे बढ़ा और दाऊद का दायां हाथ बन गया। दाऊद के दूसरे
करीबियों को राजन का ऊपर उठना रास नहीं आया। राजन और दाऊद के बीच पहली बार
जुलाई 1992 में इब्राहिम पारकर की दिनदहाड़े अरूण गवली के आदमियों द्वारा
हत्या के बाद दरार आई। इब्राहिम दाऊद की बहन हसीना का पति था और हसीना से
दाऊद बहुत स्नेह करता था। दाऊद उस समय बहुत बड़ा नाम बन चुका था, लेकिन
बावजूद इसके इब्राहिम की हत्या का बदला नहीं लिया गया। राजन उस समय दाऊद की
आंख और कान था, लेकिन उसने हत्या का बदला लेने के लिए कुछ नहीं किया। इसके
बजाय वह शराब, शबाब और गानों में डूब गया। दाऊद और राजन के बीच अविश्वास
के बीज बोए जा चुके थे।
इसके बाद दाऊद के निशाने पर छोटा राजन आ गया, क्योंकि छोटा शकील और सुनील सावंत ने दाऊद के मन में राजन के खिलाफ जहर घोल दिया था। इसके बाद छोटा राजन और सुनील ने इब्राहिम की मौत का बदला लेने के लिए प्लान बनाया, हालांकि उनके निशाने पर छोटा राजन ही था। 1993 में छोटा शकील ने एक पार्टी का आयोजन किया, जिसमें छोटा राजन को भी बुलाया गया। हालांकि पार्टी एक बहाना था, आखिर मकसद राजन का खात्मा थी। लेकिन राजन को इस बात की भनक लग गई और वह पार्टी में नहीं गया। इसके बाद 2000 में एक बार फिर राजन पर जानलेवा हमला हुआ, लेकिन किस्मत ने उसे फिर बचा लिया। वहीं, छोटा राजन ने अपने गिरोह के शूटरों से दाऊद को दुबई और पाकिस्तान में मारने
की कोशिश की, लेकिन राजन को सफलता नहीं मिल सकी। हालांकि छोटा राजन की गिरफ्तारी के बाद इस गैंगवार का अंत हो गया।