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अलवर से रूठ रहे ‘पावणे’, आधी रह गई पर्यटकों की संख्या

अलवर जिले के पर्यटक स्थल में विश्व में अपनी अलग पहचान रखते हैं। यहां की विरासत को देखने के लिए बड़ी संख्या में पर्यटक आते हैं, लेकिन अब विदेशी पावणे रूठ गए हैं। विदेशी पावणों की संख्या घटकर आधी से भी कम रह गई है।

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जिले के पर्यटक स्थल में विश्व में अपनी अलग पहचान रखते हैं। यहां की विरासत को देखने के लिए बड़ी संख्या में पर्यटक आते हैं, लेकिन अब विदेशी पावणे रूठ गए हैं। विदेशी पावणों की संख्या घटकर आधी से भी कम रह गई है। यदि ऐसा ही रहा तो आने वाले दिनों में देशी- विदेशी पर्यटक नजर भी नहीं आएंगे।

दरअसल, अलवर के पर्यटक स्थलों के प्रचार-प्रसार को लेकर विभाग उदासीन बना हुआ हैं। इसके चलते ज्यादातर लोगों को यहां के पर्यटन स्थलों की खूबियों का पता नहीं है। अलवर देश की राजस्थानी दिल्ली व राज्य की राजधानी जयपुर के बीच में हैं। दिल्ली एनसीआर से भी जुड़ा हुआ है। पर्यटकों को आने के लिए बडे हाइवे मार्ग बन गए हैं। अगर व्यापक प्रचार-प्रसार हो तो पर्यटकों की संख्या कई गुणा तक बढ़ सकती है।

फैक्ट फाइल

वर्ष देशी विदेशी
2023 867946 12203
2024 872778 16530
2025 115941 3384

सरिस्का, सिलीसेढ़ और भानगढ़ सबसे ज्यादा लोकप्रिय

अलवर में पर्यटन स्थलों की भरमार है। यहां सरिस्का बाघ अभयारण्य है, जहां हर साल लाखों की संख्या में पर्यटक आते हैं। इसके बाद हॉन्टेड पैलस के रूप में मशहूर भानगढ़ किले को देखने के लिए भी लोग बड़ी संख्या में पहुंचते हैं। यहां पर पर्यटकों के लिए अरावली की हरी भरी वादियां हैं। बारिश के दौरान यहां का नजारा देखते ही बनता है। पुराने किले, हवेलियां हैं जिनको देखना पर्यटक पसंद करते हैं।

जिस तरह की सुविधाएं विदेशी पर्यटकों को चाहिए वो अलवर में नहीं मिल रही है। सुरक्षा के इंतजाम कम हैं। पर्यटक स्थलों का रखरखाव भी ढंग से नहीं हो पा रहा है। यही वजह है कि जो पर्यटक यहां आते हैं, उनके मन में अलवर की गलत तस्वीर जाती है। पर्यटन को लेकर ठोस प्लान नजर नहीं आ रहा है। -पवन खंडेलवाल, संरक्षक, होटल एंड रेस्टोरेंट एसोसिएशन ऑफ सरिस्का अलवर

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