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केतळी ज्यादा गर्म

  पॉलिटिकल डायरी

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केतळी ज्यादा गर्म

केतळी ज्यादा गर्म

संदीप पुरोहित

चाय कम गर्म थी, केतळी कहीं ज्यादा गर्म है मारवाड़ में। नेता एक दूसरे पर जमकर आरोप प्रत्यारोप लगा रहे हैं। इससे माहौल गरमा तो गया है, पर लगे हुए आरोप-प्रत्यारोपों का कहीं कोई असर नहीं दिख रहा। न तो कहीं कोई कार्रवाई हो रही है और न ही जनता उद्वेलित हो रही है।

गहलोत के फायरब्रांड तीरों के बाद भाजपा ने भी गहलोत पर पलटवार किया, पर कोई विशेष असर नहीं दिखा। जोधपुर में पुलिस की जांच के मुताबिक तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती परीक्षा में पेपर लीक तो नहीं हुआ, लेकिन मैरिज गार्डन में कथित पेपर सॉल्व करते 37 अभ्यर्थियों के पकड़े जाने का मामला विपक्ष के लिए सोने पर सुहागा साबित हुआ। विपक्ष की जैसे बांछें खिल गई हो। मामला सोशल मीडिया पर ट्रोल हुआ, लेकिन यहां भी चाय से ज्यादा केतळी ही ज्यादा गर्म दिखी। जोधपुर से लेकर प्रदेश की राजधानी तक सोशल मीडिया और नेताओं के बयान सरकार को घेरते रहे। नागौर के कुचामन सिटी में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया और विधानसभा में उप नेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ भी गहलोत सरकार पर कानून व्यवस्था और पेपर लीक के मुद्दे पर सरकार को जोरदार घेरा। माहौल ऐसा बना दिया कि अगले दिन परीक्षार्थियों ने डर और आशंका के बीच परीक्षा दी। हालांकि, पेपर लीक मामलों को अब सख्ती से निबटने का सरकार संदेश भी दे रही है। लेकिन, विपक्ष मुद्दे को भुनाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा। हमलावर भाजपा नेताओं को जवाब देने के लिए कांग्रेस की रणनीति के तहत पिछले सप्ताह प्रभारी मंत्री डॉ. सुभाष गर्ग जोधपुर आए। उन्होंने मीडिया के समक्ष अडाणी मामले में एजेंसियों पर दबाव बनाने जैसे कई आरोप केन्द्र सरकार पर लगाए। उन्होंने जेपीसी और सुप्रीम कोर्ट से जांच कराने की मांग उठाई। जाते-जाते संजीवन मामले में केन्द्रीय मंत्री गजेन्द्रसिंह शेखावत को भी घेर लिया। इस बीच, संजीवनी मामले में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की आक्रामकता के बचाव में भाजपा का स्थानीय नेतृत्व आगे आया। मीडिया के समक्ष उन्होंने केन्द्रीय मंत्री शेखावत के विरुद्ध गहलोत पर राजनीतिक साजिश करने का आरोप लगाया। पश्मिची सीमा वाले थार में सियासत शादी-समारोह तक सिमटी रही। चुनाव निकट होने के कारण विधायक और मंत्री सामाजिक कार्यक्रमों में ज्यादा से ज्यादा खुद को शरीक करने में लगे रहे। पंचायती के लिए प्रसिद्ध पाली में स्थानीय सांसद कार्यकर्ताओं के निशाने पर रहे। गोद लिए गांव में सांसद जब पहली बार पहुंचे तो आऊवा गांव के सरपंच ने गांव में विकास नहीं कराने के मुद्दे पर आड़े हाथ ले लिया। यहां भी केतळी ही ज्यादा गर्म निकली।


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