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कांग्रेस के 17वें अध्यक्ष बनेंगे राहुल गांधी, जानिए उनसे पहले के 16 अध्यक्षों की कहानी

locationनई दिल्लीPublished: Dec 04, 2017 04:30:49 pm

Submitted by:

Ekktta Sinha

132 साल पुरानी इस पार्टी के पूर्व अध्यक्षों और उनके कार्यकाल से जुड़े कुछ रोचक तथ्य

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नई दिल्ली। कांग्रेस पार्टी के उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने पार्टी के अध्यक्ष पद के लिए आज नामांकन दाखिल किया है। अब यह उम्मीद जताई जा रही है कि 11 तारीख को उनका कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष के रूप में ताजपोशी की जाएगी। ऐसे में आइये जानते हैं 132 साल पुरानी इस पार्टी के पूर्व अध्यक्षों और उनके कार्यकाल से जुड़े कुछ रोचक तथ्यों के बारे मेंनई दिल्ली। कांग्रेस पार्टी के उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने पार्टी के अध्यक्ष पद के लिए आज नामांकन दाखिल किया है। अब यह उम्मीद जताई जा रही है कि 11 तारीख को उनका कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष के रूप में ताजपोशी की जाएगी। ऐसे में आइये जानते हैं 132 साल पुरानी इस पार्टी के पूर्व अध्यक्षों और उनके कार्यकाल से जुड़े कुछ रोचक तथ्यों के बारे में।
सबसे लंबे समय तक सोनिया रही अध्यक्ष
28 दिसंबर 1885 को इंडियन नेशनल पार्टी की स्थापना हुई। आजादी से पहले इस पार्टी का कोई राजनीतिक रूप नहीं था, इसका मकसद एक जन आंदोलन रहा। समय के साथ इस पार्टी में कई तरह के परिवर्तन दिखाई दिए नहीं बदला तो इसके साथ जुड़ा गांधी शब्द। नेहरू गांधी परिवार से मोतीलाल नेहरू 2 बार, जवाहरलाल नेहरू 6 बार, इंदिरा गांधी 7 साल, राजीव गांधी 7 साल पार्टी के अध्यक्ष रहे। वहीं सोनिया गांधी 1998 से अब तक अध्यक्ष के पद पर हैं। वे सोनिया गांधी पार्टी की सोलहवीं कांग्रेस अध्यक्ष हैं और राहुल सत्रवें अध्यक्ष बनने वाले हैं।
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गांधी-नेहरू परिवार के सदस्यों के अलावा आजाद भारत से लेकर अब तक ये भी रहें कांग्रेस अध्यक्ष
जे बी कृपलानी, पट्टाभि सीतारमैया, पुरुषोत्म दास टंडन, उच्छंगराय नवलशंकर ढेबर, नीलम संजीव रेड्डी, के कामराज, एस निजालिंगाप्पा, जगजीवन राम, शंकर दयाल शर्मा, देवकांता बरुआ, पीवी नरसिम्हा राव, सीता राम केसरी।
जेबी कृपलानी आजादी के समय कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष के तौर पर निर्विरोध रुप से चुने गए थे। हालांकि बाद में पार्टी अध्यक्ष के तीसरे चुनाव में नेहरु के समर्थन के बावजूद वो पटेलों के उम्मीदवार पुरुषोत्तम दास टंडन से हार गए थे।
सीतारमैया की हार यानि मेरी हार : महात्मा गांधी
पट्टाभी सीतारमैया 1948-49 तक कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष रहे थे, हालांकि वो आजादी से पूर्व (1938 में) भी पार्टी अध्यक्ष का चुनाव लड़ चुके थे और इस चुनाव में उन्हें सुभाष चंद्र बोस से हार का सामना करना पड़ा था।
इस हार को गांधी जी ने व्यक्तिगत हार के तौर पर लिया था और कहा था कि सीतारमैया की हार यानि मेरी हार।इसके बाद जवाहर लाल नेहरु प्रधानमंत्री होने के साथ-साथ निर्विरोध रुप से कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष (1951-54 तक) रहे।
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– नेहरु के बाद यूएन देहबर (1955-59) में कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने।
– यूएन देहबर के बाद 1959 में इंदिरा गांधी अपने पिता जवाहर लाल नेहरु के प्रधानमंत्री कार्यकाल के दौरान पहली बार कांग्रेस अध्यक्ष बनी थी।
– इंदिरा गांधी के बाद नीलिमा संजीव रेड्डी 1960 से 1963 तक कांग्रेस अध्यक्ष रहे।
– 1964 में कामराज कांग्रेस अध्यक्ष बने और इस दौरान खुद प्रधानमंत्री पद को न स्वीकार कर इन्होंने संगठन को मज़बूत करने की ज़िम्मेदारी उठाई। उन्होंने देश को दो कद्दावर प्रधानमंत्री दिए, लाल बहादुर शास्त्री और इंदिरा गांधी।
– कामराज के बाद 1968-69 तक एस निजलिंगप्पा कांग्रेस के अध्यक्ष रहे और वो कांग्रेस पार्टी के विभाजन से पहले संयुक्त कांग्रेस के आखिरी राष्ट्रीय अध्यक्ष थे।
– पार्टी विभाजन के बाद बाबू जगजीवन राम इंदिरा गांधी के गुट वाली कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष बने और इस दौरान उन्होंने रक्षा मंत्रालय समेत कई विभागों को संभाला।
– जगजीवन राम के बाद 1972-74 तक कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष पद की कमान शंकर दयाल शर्मा ने संभाली।
– इमरजेंसी के दौरान कांग्रेस पार्टी पद की अध्यक्षता देवकांत बरुआ ने संभाली।
– देवकांत बरुआ के बाद खुद प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने कांग्रेस पद की अध्यक्षता की और वो साल 1978-84 तक इस पद पर बनी रहीं।
– इंदिरा गांधी की मौत के बाद राजीव गांधी ने प्रधानमंत्री पद के साथ-साथ पार्टी अध्यक्ष की कुर्सी भी संभाली और 1991 तक इस पद पर बने रहे।
– राजीव गांधी की मृत्यु के बाद कांग्रेस के अध्यक्ष (1992-96) और अगले प्रधानमंत्री बने थे नरसिम्हा राव।
– 1996-98 तक सीताराम केसरी पार्टी अध्यक्ष बने। इस चुनाव में राजेश पायलट ने उन्हें कड़ी टक्कर दी थी। हालांकि चुनाव में जीत सीताराम केसरी की हुई, लेकिन उनका चुनाव दूसरे गुट के कांग्रेसियों को रास नहीं आया और अंदरखाने उन्हें गतिरोध का सामना करना पड़ा था।
– पार्टी की कमान सीताराम केसरी के बाद सोनिया गांधी ने (1998 में) संभाली। हालांकि साल 2000 में सोनिया गांधी के खिलाफ पूर्व कांग्रेसी नेता जितेंद्र प्रसाद ने चुनाव लड़ा था लेकिन उन्हें जीत नहीं मिली और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ही बनीं।
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