
Plots to Nomadic Community: चित्तौड़गढ़।चित्तौड़गढ़ सहित प्रदेश के 34 हजार विमुक्त तथा घुमंतू परिवारों को अब आशियाने उपलब्ध हो जाएंगे। सरकार गांधी जयंती पर पट्टे देगी। इन परिवारों के चिन्हीकरण का काम अब तक भी जारी है। प्रदेश में पूरी जनसंख्या के 6 से 8 प्रतिशत विमुक्त, घुमंतू, अर्द्ध घुमंतू जाति के लोग हैं। यह लोग एक जगह पर निवास नहीं करते। अधिकांश के पास पहचान पत्र भी नहीं है। इसलिए, इन्हें सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाता है।
इनके उत्थान के लिए राज्य सरकार सभी 32 जातियों के व्यक्तियों को 2 अक्टूबर तक नि:शुल्क भूखंड उपलब्ध कराएगी। ताकि, ऐसे गरीब लोगों को भी अपना आशियाना बनाने का मौका मिल सके। सरकार की मंशा है कि इन जातियों की पूर्व में बहुत उपेक्षा हुई है।
यह प्रदेश की सबसे महत्वपूर्ण जातियां है। देश की आजादी में भी इनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही है। राज्य सरकार ने प्रदेश में विमुक्त, घुमंतू एवं अर्ध घुमंतू जाति के परिवारों की सुध ली है और इन्हें अपना आशियाना बनाने के लिए नि:शुल्क भूखंड दिए जाएंगे। ताकि, वे अपना जीवन यापन कर सके। योजना के तहत 2 अक्टूबर को मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा इन परिवारों को पट्टे देकर अभियान की शुरुआत करेंगे।
इन जातियों के लोग कई बार आवास समेत योजनाओं को लेकर आवाज उठा चुके। इनमें से कई के पास योजनाओं की जानकारियां तक नहीं है। वोटर आइडी के अलावा अन्य कई दस्तावेज की कमी है। ऐसे में यह मुख्यधारा से पिछड़े हुए हैं।
सरकार ने योजना के तहत पट्टे देने के लिए जरूरी नियमों में रियायत भी दी है। अधिकतम 300 वर्गमीटर का पट्टा दिया जाएगा। पट्टे पर लाल स्याही से लिखा जाएगा कि यह खरीदने-बेचने के लिए नहीं है। लगभग सभी को नि:शुल्क पट्टा देने का प्रयास रहेगा।
जिले में कई परिवार तो ऐसे हैं जो तंबूनुमा मकान बनाकर रहते हैं। यह लोग कई प्रकार के कार्य करते हैं। शहर में कई परिवार तो खेल-तमाशा दिखाते हैं। उनके परिवार की आजीविका इसी पर टिकी है। यह परिवार एक से दूसरे शहर व गांव में घूमता रहता है। जहां जगह मिल जाती है। वहीं, तंबू डालकर रहने लगते हैं। इस वर्ग में कई जातियां है। ऐसे डेरे शहर में कई जगह बने हुए हैं।
परिवार की परिभाषा में 21 वर्ष से छोटा यदि अविवाहित है तो उसके माता-पिता सहित सब एक परिवार होगा और 21 वर्ष से बड़ा हो और शादीशुदा हो तो एक परिवार माना जाएगा।
चाहे वे एक ही चूल्हे पर भोजन करते हों। वहीं जाति प्रमाण-पत्र के बारे में संशोधन करने के लिए परफॉर्मा जारी किया गया है। जिसे तहसीलदार की ओर से सत्यापित करने के बाद जाति प्रमाण-पत्र के बजाय जाति पहचान प्रमाण-पत्र दिया जा सकेगा।
Updated on:
23 Sept 2024 11:20 am
Published on:
23 Sept 2024 11:10 am
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