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​SriGanganagar शिक्षक को अब बच्चों की यूनिफॉर्म का रखना होगा हिसाब किताब

teacher have to keep an account of the uniform of the children- शिक्षक समुदाय में नाराजगी और बोले, पहले भोजन, फिर दूध और अब कपड़ा वितरण का भार

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​SriGanganagar शिक्षक को अब बच्चों की यूनिफॉर्म का रखना होगा हिसाब किताब

​SriGanganagar शिक्षक को अब बच्चों की यूनिफॉर्म का रखना होगा हिसाब किताब

श्रीगंगानगर। सरकारी विद्यालयों में अब शिक्षक बच्चों की यूनिफॉर्म का नाप लेंगे और कैंची से काटकर नाप अनुसार कपडे़ का वितरण करेंगे। कितने बच्चों को कितने कपड़े का वितरण किया और कितना शेष रहा, यह पूरा हिसाब किताब बनाने के लिए शिक्षक की जिम्मेदारी रहेगी। सरकारी स्कूलों में पढ़ाई के साथ साथ कपड़े का वितरण और उसकी क्वालिटी की जिम्मेदारी तय होने पर शिक्षक समुदाय में नाराजगी है।

शिक्षा विभाग के इस आदेश का शिक्षक संगठनों ने विरोध करना शुरू कर दिया है। राजस्थान शिक्षक संघ शेखावत के प्रवक्ता तेज प्रताप यादव ने प्रदेश की सरकारी स्कूलों के विद्यार्थियों को यूनिफार्म के लिए कपडा वितरण करने में शिक्षकों की ड्यूटी लगाने का विरोध करते हुए शिक्षकों को इस गैर शैक्षिक कार्य से मुक्त करने की मांग की हैं। इसी तरह अन्य शिक्षक संघों और सरकारी स्कूलों में कार्यरत शिक्षकों ने बताया कि प्रदेश में शिक्षक अब कपड़ा व्यापारी की तरह कपड़ा नाप कर व कैंची से काटकर यूनिफॉर्म के लिए विद्यार्थियों को वितरित करेंगे।

आगामी 14 नवम्बर को बाल दिवस पर विद्यार्थियों को यूनिफॉर्म वितरण करने की संभवाना है। इसके लिए विभिन्न जिलों में कपड़ा वितरण के लिए संग्रहण केन्द्र भी स्थापित किए है।
शिक्षक संघ शेखावत के प्रदेश अध्यक्ष महावीर सिहाग का कहना है कि मिड डे मील योजना शुरू होने पर शिक्षकों ने भोजन पकवाने के साथ ही वितरण करने व व्यवस्थाओं को संभालने की जिम्मेदारी निभाई। इसके बाद दूध योजना शुरू हुई। उसके वितरण करने की जिम्मेदारी भी शिक्षकों को दी गई। वहीं अब सरकार ने कक्षा पहली से आठवीं तक के विद्यार्थियों को स्कूल ड्रेस देने का निर्णय किया है। इसकी जिम्मेदारी भी शिक्षकों को दी गई।
सरकार की घोषणा के मुताबिक सरकारी स्कूल के कक्षा पहली से आठवीं तक के विद्यार्थियों को दो-दो यूनिफॉर्म निशुल्क दी जाएगी। पहले यूनिफॉर्म सिलवाकर देने की योजना थी। लेकिन कई बार उच्च स्तर पर इसमें बदलाव हुआ। अब यूनिफॉर्म का कपड़ा स्कूलों तक भिजवाया जाएगा। हालांकि प्रत्येक ब्लॉक मुख्यालय पर कपड़ों की गांठों के संग्रहण के लिए संग्रहण केन्द्र बनाए गए है। यहां से संबंधित ब्लॉक के स्कूलों में भेजे जाएंगे। इस काम में भी शिक्षकों की भूमिका रहेगी। प्रत्येक विद्यार्थी को दो यूनिफॉर्म का कपड़ा नापकर देना है।