
अलवर.
सरिस्का के बाघों को खतरा बढ़ता जा रहा है। सरिस्का की टेरेटरी के गांवों में फसलों को बचाने के लिए खुले में विस्फोटक रखा जा रहा है। इसके सेवन से आए दिन जानवर मारे जा रहे हैं। वन विभाग को इसकी खबर है, लेकिन आज तक विस्फोटक रखने वालों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करना अधिकारियाें की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर रही है।
दरअसल, सरिस्का से सटे गांवों का आज तक विस्थापन नहीं हो पाया है। इस वजह से ग्रामीण खेतीबाड़ी करते हैं। वनक्षेत्र के खेत नजदीक हैं, इस वजह से आए दिन जंगली सूअर, नीलगाय और सांभर आए दिन फसलों को नुकसान पहुंचाते हैं। इससे बचने के लिए खेत मालिक विस्फोटक रखवाते हैं। मगर यह जानवरों के लिए घातक साबित हो रहे हैं।
सरिस्का के बाघ कई बार खेतों की तरफ विचरण करते हैं। ऐसे में विस्फोटक का सेवन करने से उनकी मौत भी हो सकती है। इन गांवों के विस्थापन को लेकर अभी तक सरिस्का प्रशासन कोई ठोस रणनीति नहीं बना पाया है। अभी तक पांच गांवों का ही विस्थापन हो पाया है।
दो प्रकार से बम रखे जाते हैं। शाकाहारी पशु जगली सूअर, नील गाय, सांभर के लिए आटे की बॉल बनाकर उसमें बारूद भरकर रख दिया जाता है। जैसे ही जानवर चबाता है तो प्रेशर से फट जाता है और मौत हो जाती है। इसी तरह मांसाहारी जानवरों के लिए मांस के टुकड़े के अंदर बारूद भरकर उन जगहों पर रखा जाता है जहां मांसाहारी जानवरों का आवागमन रहता है। इसका सेवन करने से विस्फोट होता है और जानवर मारे जाते हैं।
सरिस्का टाइगर कंजर्वेशन ऑर्गेनाइजेशन के सचिव चिन्मय मक मैसी ने बताया कि जंगल में विस्फोटकों की जांच क्यों नहीं होती ? जब तक टेरेटरी में आने वाले गांवों का विस्थापन नहीं होता, तब तक इस तरह की समस्या बनी रहेगी। विभाग को गंवों का विस्थापन करना चाहिए।
Published on:
04 Sept 2024 12:10 pm
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