
desert festival क्यों बंद कर दिया गया बाड़मेर का थार महोत्सव
क्यों बंद कर दिया गया बाड़मेर का थार महोत्सव
रतन दवे
टिप्पणी
राजनीतिक कद के एक ऊंचे और चलती वाले ओहदेदार से पूछा गया कि थार महोत्सव शुरू क्यों नहीं करवाते, जवाब था-पर्यटक आने नहीं है, फिर क्यों? यही प्रश्न अफसर से किया तो बोले-यहां पर्यटक नहीं आएंगे? पर्यटन विभाग के अधिकारी कहते है-पर्यटन का स्कॉप नहीं था,तो फिर बंद करना पड़ा। तीनों ही जवाबों के भीतर झांके-बाड़मेर से लगाव कहीं नहीं है। बस, थार महोत्सव के बंद होने का यही राज है। अफसर बाहर के है, नेता भीतर तक लगाव नहीं रखते और पर्यटन विभाग तो जैसलमेर को केवल विदेशी पर्यटक ही चाहिए....। बाड़मेर में करीब डेढ़ दशक पहले बंद किए गए थार महोत्सव को यही सोच लील गई। असल में केवल और केवल यही सोचा गया कि थार महोत्सव पर्यटकों के लिए होने वाला आयोजन है। सांस्कृतिक विरासत, कलाकारों को प्रोत्साहन, कला-इतिहास से जुड़ाव और अपनी धरती से लोगों के लगाव को समेटने वाले इस उत्सव की तरह किसी ने नहीं देखा। बाड़मेर में बरसों से यह आयोजन हो रहा था और तीन दिन के आयोजन में विदेशी पर्यटक भले ही नहीं आए हों लेकिन स्थानीय लोगों का लगाव रहा। तब न तो सोशल मीडिया का दौर था न ही इतना प्रचार-प्रसार का बड़ा मंच। अब तो एकदम स्थितियां बदल गई है। पर्यटकों को बुलाने के लिए अब कोई बड़ा व्यय नहीं करना है, उन्हें सोशल मीडिया ही बता देगा कि बाड़मेर में कितना बड़ा उत्सव हो रहा है। बजट के लिए परेशान रहने वाला पर्यटन विभाग अब तो बाड़मेर में तेल-गैस-कोयला और अन्य माध्यम से बढ़ रही आय में यह आयोजन बाड़मेर से लेकर धूमधाम तक करने की क्षमता रखता है। रही बात कलाकारों की तो टी वी पर नजर डालिए ऐसा कोई संगीत का शो नहीं है जिसमें बाड़मेर-जैसलमेर के कलाकारों ने धूम मचाकर रखी हुई है, तो ये कला की थाती यहां पर प्रोत्साहित क्यों नहीं हो रही है। अधिकारियों ने तो पिछले साल हमारा तिलवाड़ा मेला भी बंद करने की ठान ली थी लेकिन पत्रिका ने इस मुहिम केा इस तरह चलाया कि सरकार को निर्णय करना पड़ा कि मेला होगा। रही बात हमारे जनप्रतिनिधियों की तो वे केवल उसी पर ध्यान देने लगे है जिससे उनको मनचीता लगे। कला-संस्कृति-पर्यटन के विकास को लेकर उनकी अरूचि का नतीजा है कि अब तक थार महोत्सव बंद पड़ा है। विकास के जिस दौर से बाड़मेर आगे बढ़ रहा है उसमें हमारे मेले और आयोजन बंद हो गए तो फिर हमारे पास अपनी विरासत दिखाने को क्या होगा? बाड़मेर तो सबक जालौर से ले, जिसने 2013 में जालौर महोत्सव प्रारंभ कर दिया। यहां कोई विदेशी पर्यटक आने का संकेत नहीं है लेकिन जालौर के लोगों का तर्क था कि हमारी अपनी विरासत को हम संजोएंगे, क्यों किसी के आने का इंतजार करें। धूम तो रणकपुर महोत्सव की भी है और हर जिला अब अपनी विरासत के लिए यह आयोजन कर रहा है तो फिर बाड़मेर में ऐसा क्यों नहीं? अफसर तो आज आए और कल गए हो जाएंगे लेकिन माननीय जवाब दें कि वे क्यों नहीं साचे रहे इस बारे में? अधिकारियों पर यह दबाव नहीं बनाते कि हमारी विरासत बाड़मेर है,इस बाड़मेर के नाम को रखने वाले थार महोत्सव को क्यों बंद किया है?
Published on:
19 Feb 2022 11:47 am
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