विश्व मृदा दिवस: नाइट्रोजन की कमी से पौधों में हरापन एवं ग्रोथ न होने से नहीं मिल रही पर्याप्त उपज
जिले की मिट्टी में आ रही नाइट्रोजन की समस्या, 5 ब्लॉक से अब तक 8800 नमूनों का परीक्षण
शहडोल. मिट्टी को पर्याप्त पोषक तत्व न मिलने के कारण अब पैदावार में कमी आ रही है। कृषि विभाग के विशेषज्ञों की माने तो जिले की मिट्टी में बीते 4-5 वर्षों से 60 प्रतिशत नाइट्रोजन की कमी पाई गई है। इसका प्रमुख कारण किसान खेती के वास्तविक नियमों को नहीं अपना रहे हैं और अपने तरीके से खेती कर रहे हैं। इससे किसानों को अर्थिक क्षति तो हो रही है, साथ ही धीरे-धीरे भूमि की उपजाऊ क्षमता पर भी असर पड़ रहा है। जिले के पांच विकासखंडों से अब तक 8800 मिट्टी नमूनों का परीक्षण किया जा चुका है। इसमें नाइट्रोजन की कमी के कारण पौधों में हरापन व ग्रोथ की समस्या सामने आई है। कृषि विभाग कृषकों को अपने खेतों में रासायनिक खाद का उपयोग कम एवं जैविक खाद का उपयोग अधिक करने पर जोर दे रहा है। साथ ही हर फसल में उसके मापदंड के अनुसार खाद का उपयोग करने की समझाइश दे रहा है।
12 थेक्टर से की जा रही मिट्टी की जांच
कृषि विभाग से बताया गया कि 12 थेक्टर से मिट्टी की जांच की जाती है। इसमें ईसी, पीएच, नाइट्रोजन, फास्फोरस, जिंक, आयरन, कार्बन, सल्फर, कैल्शियम, मैग्नीशियम, जिंक एवं बोरान शामिल है। मिट्टी परीक्षण में पाया गया है कि सोहागपुर एवं ब्यौहारी की मिट्टी सामान्य है, जबकि बुढ़ार, जयसिंहनगर, गोहपारू की मिट्टी अमलीय है। कुछ जगहों पर जिंक की कमी पाई गई है। जिंक की कमी से फसल में चमक नहीं आती इसके साथ ही पौंधों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है। इसके लिए किसान प्रति हेक्टेयर 25 किग्रा. यूरिया एवं एनपीके खाद का उपयोग कर जिंक की कमी को दूर कर सकते हैं।
उर्वरक डालकर पूरी की जा रही कमी
किसान अपने खेतों में नाइट्रोजन और फास्फोरस की पूर्ति के लिए उर्वरक डालते हैं। इससे फसल की लागत मूल्य बढ़ जाती है। कृषि अधिकारी रमेन्द्र सिंह बताते हैं कि किसानों को धान की पराली और खरपतवारों को खेत में जलाने से होने वाली हानि के बारे में जागरूक किया जाता है। इसके बावजूद किसान खेतों में आग लगा कर एक तो वायु प्रदूषण करते हैं, दूसरी ओर अपना नुकसान भी करते हैं। इसके अलावा खेतों में गोबर की खाद अथवा जैविक खाद डालने का भी किसानों में रुझान नहीं हैं। कई किसान उचित जानकारी के अभाव में रासायनिक उर्वरकों का आवश्यकता से अधिक प्रयोग कर रहे हैं। यह प्रयोग भी उनके लिए हानिकारक साबित हो रहा है।
इनका कहना है
किसान कृषि सूत्र के अनुसार खेती नहीं करते, इसके कारण मिट्टी के पोषक तत्व नष्ट होते जा रहे हैं। कृषकों को खेतों में कितनी मात्रा में खाद का उपयोग करना चाहिए इसकी जानकारी दी जा रही है।
आरपी झारिया, उप संचालक कृषि
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