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एक साल की उम्र में हुआ पोलियो, पैसे की कमी के चलते नहीं हुआ इलाज़, भावुक कर देगी गोल्ड मेडलिस्ट भाविना पटेल की कहानी

CWG 2022: भाविना पटेल ने कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 में महिला एकल पैरा टेबल टेनिस इवैंट में गोल्ड मेडल जीता है। भाविना का जीवन बेहद संघर्ष भरा है। एक साल की उम्र में पोलिया होने और उसके बाद समय पर इलाज़ न मिलने के चलते भाविना को व्हीलचेयर का सहारा लेना पड़ा।

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Bhavina Patel Commonwealth Games 2022: इंग्लैंड के बर्मिंघम में खेले गए कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 अब समाप्त हो चुका है। इस साल भारत ने ऐतिहासिक प्रदर्शन करते हुए 22 गोल्ड, 16 सिल्वर और 23 ब्रॉन्ज समेत 61 मेडल अपने नाम किए। यह भारत का अबतक का सबसे अच्छा प्रदर्शन है। इस साल शूटिंग को कॉमनवेल्थ गेम्स से बहार रखा गया था। ऐसे में अन्य खेलों में भारतीय खिलाड़ियों ने दम दिखाया और मेडल तालिका में चौथे स्थान पर सफर समाप्त किया। इन खिलाड़ियों में पैरा-एथलीट्स भी शामिल थे। महिला एकल पैरा टेबल टेनिस इवैंट में भारत का प्रतिनिधित्व करने वाली पैरा-एथलीट भाविना पटेल ने CWG में गोल्ड मेडल जीतकर इतिहास रच दिया।

भाविना पटेल बेहद संघर्ष और मेहनत के बाद यहां तक पहुंची हैं। टोक्यो पैरालंपिक खेलों में सिल्वर मेडल जीतने वाली भाविना का CWG में फाइनल मुक़ाबला नाइजीरिया की पैरा एथलीट इफेचुकुडे क्रिस्टियाना इकपोयी से हुआ था। इस मैच में उन्होंने 12-10, 11-2, 11-9 से जीत दर्ज़ की और गोल्ड मेडल जीता।

यह भी पढ़ें- CWG 2022 Medal tally: 22 गोल्ड, 16 सिल्वर और 23 ब्रॉन्ज के साथ भारत ने रचा इतिहास

यह पहली बार नहीं है जब भाविना ने अपने प्रदर्शन से सब को प्रभावित किया हो। टोक्यो पैरालंपिक से पहले अक्टूबर 2013 में बिजिंग एशियन पैरा टेबल टेनिस चैंपियनशिप में उन्होंने महिलाओं के सिंगल क्लास 4 इवेंट में सिल्वर मेडल जीता था। 34 वर्षीय भाविना की मौजूदा वर्ल्ड रैंकिंग 12 हैं।

भाविना की कहानी -
भाविना का जन्म 6 नवंबर 1986 को गुजरात के मेहसाणा जिले के वडनगर के पास एक छोटे से गांव में हुआ था। भाविना जब मात्र एक साल की थी तब उन्हें पोलिया हो गया। उन दिनों भारत में पोलिया बहुत तेजी से फ़ेल रहा था। गरीब परिवार में जन्मी भाविना के पिता के पास बेटी के इलाज के लिए पैसे नहीं थे। जैसे तैसे धन जोड़ा और जब वे चौथी कक्षा में गई तब उनकी सर्जरी कराई। लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला। इसके अलावा जब वे रिहैब में थीं तो उनपर ज्यादा ध्यान भी नहीं दिया गया। जिसके चलते उनकी हालत में ज्यादा सुधार नहीं हुआ। जिसके चलते उन्हें व्हीलचेयर का सहारा लेना पड़ा।

शौक के तौर पर बिल टेनिस खेलना शुरू किया -
भाविना ने शौक के तौर पर टेबिल टेनिस खेलना शुरू किया। उन्होंने खुद को फिट रखने के लिए टेबिल टेनिस सीखा। 2014 में भाविना के पिता ने अहमदाबाद में दृष्टिहीन लोगों के लिए बनाए गए एक संगठन में ले गए, जहां से भाविना के टेबल टेनिस के करियर की शुरूआत हुई। यहां पर भाविना को आर्थिक तौर पर मदद भी मिली।

यह भी पढ़ें- शूटिंग के बिना भारत ने जीते 61 मेडल, चौथे नंबर पर खत्म किया कॉमनवेल्थ का सफर

भाविना ने 2018 में एशियाई पैरा खेलों में ब्रॉन्ज मेडल जीता। 2019 में बैंकाक में उन्होंने अपना पहला अंतर्राष्ट्रीय एकल गोल्ड मेडल जीता। टोक्यो पैरालंपिक्स में उन्होंने सिल्वर जीत कर इतिहास बनाया और अब कॉमनवेल्थ गेम्स में जीत के उस क्रम को जारी रखा है।