बड़े संघर्ष से यहां तक पहुंची हैं सुप्रीति
बता दें कि सुप्रीति ने हाल में ही खेलो इंडिया यूथ गेम्स में 3000 मीटर में दौड़ लगाई थी। सुप्रीति ने इस दौड़ में 4 साल पहले बने रिकॉर्ड को तोड़ते हुए मात्र 9.46 सेकंड में यह दौड़ पूरी की, इससे पहले यह रिकॉर्ड हिमाचल प्रदेश की सीमा के नाम था जिन्होंने 9.50 मिनट में इस दौड़ को खत्म किया था। बेहद गरीब परिवार और आर्थिक रुप से कमजोर वर्ग से आने वाली इस खिलाड़ी के पास नए जूते खरीदने के लिए पैसे नहीं है।
बता दें कि सुप्रीति झारखंड के जिस इलाके से आती हैं वह नक्सल प्रभावित इलाका है। एक इंटरव्यू के दौरान उन्होंने बताया था कि वह जब 1 साल की थी तब उनके पिता की नक्सलियों ने हत्या कर दी थी। इसके बाद पूरे परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट गया और मां ने ही मुझे पाला पोसा। इसके बाद जिला मुख्यालय के एक स्कूल में मेरा एडमिशन कराया।
यह भी पढ़ें –
दिनेश कार्तिक के साथ खेलने वाला खिलाड़ी अब बन चुका है एंपायर, भारत और इंग्लैंड के बीच पहले टी20 में था साथ इसी दौरान राज्य सरकार के एक एथलेटिक्स कोच रंजन तिवारी की नजर उन पर पड़ी और उनका नामांकन एथलेटिक सेंटर में कराया। इसके बाद सुप्रीति की किस्मत चमक गई और एक के बाद एक उन्होंने दौड़ लगाकर कुल 13 पदक हासिल किए। लेकिन उन्हें पहचान खेलो इंडिया यूथ गेम 2022 में मिली, जब उन्होंने रिकॉर्ड बनाते हुए गोल्ड मेडल जीता।
यह भी पढ़ें –
सुरेश रैना से लेकर अमित मिश्रा तक, इन फेमस क्रिकटरों को खानी पड़ी है जेल की हवा