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Tokyo Olympics 2020 : टूटी कलाई भी नहीं तोड़ पाई नीरज चोपड़ा का हौंसला, जानिए पिछले 10 साल का सफर

भारतीय जेवलिन थ्रोअर नीरज चोपड़ा टोक्यो ओलंपिक के क्वालीफिकेशन राउंड में पहले स्थान पर रहे हैं। उन्होंने 86.65 मीटर थ्रो किया है।  

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Tokyo Olympics 2020 : पुरुष भाला फेंक के क्वालीफिकेशन राउंड में नीरज चोपड़ा (Neeraj Chopra) ग्रुप में पहले स्थान पर रहे। उन्होंने पहले प्रयास में 86.65 मीटर थ्रो किया। नीरज अब 7 अगस्त को फाइनल मुकाबले में उतरेंगे। भारत को नीरज चोपड़ा से मेडल की आस है। 23 वर्षीय एथलीट ने 87.86 मीटर के थ्रो के साथ ओलंपिक के लिए क्वालीफाई किया। जनवरी, 2020 में दक्षिण अफ्रीका के पोटचेफस्ट्रूम में आयोजित एक इवेंट में 85 मीटर के ओलंपिक क्वालीफाइंग मार्क को तोड़कर उन्होंने कोटा हासिल किया।किशोरावस्था में एक मोटे बच्चे से लेकर देश के सबसे शानदार ट्रैक और फील्ड एथलीट बनने तक Chopra ने एक लंबा सफर तय किया है। आइए जानते हैं नीरज के जीवन से जुड़ी कुछ अनजानी बातें।

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कलाई टूटने के बाद भी नहीं मानी हार
हरियाणा के सोनीपत के रहने वाले जैवलिन थ्रोअर नीरज चोपड़ा की बास्केटबॉल खेलने के दौरान कलाई की हड्डी टूट गई थी जिसके बाद डॉक्टरों ने उन्हें 6 महीने तक आराम करने की सलाह दी थी। कलाई टूटने के बाद खुद नीरज और उनके परिवार को लोगों ने मान लिया था कि अब उनका कॅरियर खत्म हो गया है। लेकिन नीरज ने हार नहीं मानी। इस दौरान उनका वजन 82 किलो तक बढ़ गया था। कलाई ठीक होने के बाद लगातार 4 महीेने तक एक्सरसाइज कर उन्होंने अपने वजन को मेंटेन किया।

जयवीर से प्रेरित होकर जेवलिन को चुना
पानीपत स्टेडियम में नीरज, वरिष्ठ जेवलिन (भाला फेंक) खिलाड़ी जयवीर को प्रैक्टिस करते देख प्रभावित हुए और इसके बाद उन्होंने जेवलियन थ्रोअर बनने की ठान ली। शुरुआत में वह जयवीर द्वारा फेंके गए जेवलिन को उठाकर लाने का काम करते थे, इस बीच जब भी उन्हें टाइम मिलता वह भाला फेंकने की प्रैक्टिस करते थे। उन्होंने जेवलिन फेंकने की जयवीर की तकनीक को समझा और उनसे प्रेरित होकर आगे बढ़ा। इसके बाद से ही इन्होंने जेवलिन खिलाड़ी बनने के लिए मेहनत शुरू की थी।

ऐसा रहा नीरज चोपड़ा का पिछले 10 साल का सफर

2021
कोरोना के कारण लगे लॉकडाउन के कारण ज्यादा अभ्यास नहीं कर पाने के बाद भी नीरज ने इंडियन ग्रां पी में शानदार खेल दिखाते हुए 88.70 मीटर भाला फेंक अपने पहले सर्वश्रेष्ठ रिकॉर्ड को बेहतर किया। ओलंपिक से कुछ दिन पहले ही नीरज चोपड़ा ने कहा था कि इस साल कई अच्छे थ्रोअर ओलंपिक में भाग ले रहे हैं। ऐसे में मुझे पदक जीतने के लिए कम से कम 92 मीटर का थ्रो करना होगा।

2020
नीरज ने दक्षिण अफ्रीका के पोटचेफस्ट्रूम में 28 जनवरी को 87.86 मीटर थ्रो के साथ अपना ओलंपिक का टिकट कटाया।

2019
नीरज में अपने थ्रो करने वाले हाथ की कोहनी की सर्जरी करवाई। इस कारण वो प्रतिस्पर्धाओं में भाग नहीं ले सके।

2018
2018 में उन्होंने दोहा डायमंड लीग में 87.43 मीटर के थ्रो के साथ राष्ट्रीय रिकॉर्ड तोड़ा। 27 अगस्त को उन्होंने 2018 एशियाई खेलों में अपना ही राष्ट्रीय रिकॉर्ड तोड़ते हुए स्वर्ण जीतने के लिए 88.06 मीटर की दूरी तय की।

2017
पटियाला में आयोजित फेडरेशन कप नेशनल सीनियर एथलेटिक्स चैंपियनशिप में नीरज चोपड़ा ने अपनी काबिलियत साबित कर हरियाणा के एथलीट के मीट रिकॉर्ड तोड़ा और 85.63 मीटर का रिकॉर्ड बनाकर स्वर्ण पदक जीता।

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2016
नीरज उन्होंने अपने प्रदर्शन को और बेहतर बनाते हुए विश्व चैंपियनशिप जीतने वाले पहले भारतीय एथलीट बनकर इतिहास रच दिया। उन्होंने पोलैंड के ब्यडगोस्जकज में अंडर-20 विश्व चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीता। इस दौरान नीरज ने 86.48 मीटर जेवलिन थ्रो किया, जो एक विश्व रिकॉर्ड बन गया और यह उस श्रेणी में आज तक कायम है।

2015
2015 में नीरज ने प्रदर्शन में एक लंबी छलांग लगाई। पटियाला में इंटर-यूनिवर्सिटी चैंपियनशिप का स्वर्ण जीतने के लिए उन्होंने पहली बार 81.04 मीटर जेवलिन थ्रो कर 80 मीटर का आंकड़ा पार किया।

2014
दो साल के कठोर प्रशिक्षण के बाद वह पटियाला में 70 मीटर का आंकड़ा पार करने में सफल रहे। Chopra सुधार के संकेत दे रहे थे, लेकिन उनकी प्रगति धीमी थी और देश के सर्वश्रेष्ठ जेवलिन थ्रोअर बनने से बहुत दूर थे।

2013
Chopra ने अपनी दूरी में सुधार किया और 2013 में केरल के तिरुवनंतपुरम में आयोजित हुए एक नेशनल इवेंट में 69.66 मीटर का स्कोर करने में सफल रहे।

2012
लखनऊ में आयोजित 2012 की राष्ट्रीय जूनियर चैम्पियनशिप में Chopra ने 68.46 मीटर जेवलिन थ्रो कर स्वर्ण पदक जीता। जिससे उन्हें बेहतर प्रशिक्षण के लिए राष्ट्रीय शिविर में शामिल होने की मंजूरी मिली।