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नहर में सफाई के दौरान मिले 15 बम, डिफ्यूज़ करने पर हुए कई जोरदार धमाके

इन्दिरा गांधी नहर की मुख्य नहर की सफाई कार्य के दौरान बिरधवाल हैड के पास गत माह करीब 15 बम मिले। जिन्हें बिरधवाल चौकी पुलिस ने उन्हें सुरक्षित रखवाया। सोमवार को सेना के मेजर नवनीत सिंह के नेतृत्व में बम निरोधक दस्ते ने सुरक्षित स्थान पर ले जाकर बमों को निष्क्रिय किया।

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पत्रिका न्यूज नेटवर्क/सूरतगढ़. इन्दिरा गांधी नहर की मुख्य नहर की सफाई कार्य के दौरान बिरधवाल हैड के पास गत माह करीब 15 बम मिले। जिन्हें बिरधवाल चौकी पुलिस ने उन्हें सुरक्षित रखवाया। सोमवार को सेना के मेजर नवनीत सिंह के नेतृत्व में बम निरोधक दस्ते ने सुरक्षित स्थान पर ले जाकर बमों को निष्क्रिय किया। इस मौके पर बिरधवाल हैड चौकी पुलिस भी मौजूद रही।

बिरधवाल हैड चौकी प्रभारी सत्यप्रकाश जांगिड़ ने बताया कि गत माह नहरबंदी के दौरान इन्दिरा गांधी नहर की मुख्य नहर की सफाई कार्य किया गया। बिरधवाल हैड के पास सफाई कार्य में करीब 15 बम मिले। सूचना मिलने पर बिरधवाल चौकी पुलिस मौके पर पहुंची तथा बमों को सुरक्षित स्थान पर रखा गया। सोमवार को सेना के मेजर नवनीत सिंह के नेतृत्व में बम निरोधक दस्ते ने बमों को निष्क्रिय किया। इस दौरान आसमान में धूलभरे गुब्बार उड़ गए।
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इससे पूर्व भी 13 मई को इन्दिरा गांधी नहर में बिरधवाल हैड के पास नहर की खुदाई कार्य के दौरान एक साथ पांच बम मिले थे। जिन्हें बाद में सेना के बम निरोधक दस्ते ने निष्क्रिय कर दिया। गौरतलब है कि गत वर्ष भी नहरबंदी के दौरान इन्दिरा गांधी नहर की मुख्य नहर व इससे निकलने वाली नहरों से दस जिन्दा बम मिले थे। हालांकि पुलिस व प्रशासन की ओर से सेना के उच्चाधिकारियों से इन्दिरा गांधी नहर में सर्च अभियान चलाकर बमों को निष्क्रिय करने का आग्रह किया। लेकिन सेना के बम निरोधक दस्ते की मदद से इन बमों को महाजन फिल्ड फायरिंग रेंज में भेजकर निष्क्रिय करवाया गया।
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आयुध डिपो में हुई थी भीषण आगजनी,उछलकर गिरे थे बड़ी संख्या में बम
बिरधवाल हैड पर स्थित सेना के आयुध डिपो में 24 मई 2001 को भीषण आगजनी हुई थी। उस वक्त डिपो से बड़ी संख्या में बम व रॉकेट बाहर खेतों व नहर में उछलकर गिरे थे। इसमें से कुछ बम रेत की टिल्लों में दब गए थे। आगजनी घटना के बाद सेना द्वारा बमों की तलाशी के लिए क्षेत्र में सर्च अभियान चलाया गया। इसमें कुछ बम मिले थे लेकिन रेत के नीचे अभी भी बड़ी संख्या में बम पड़े हैं। बम यदाकदा खेतों में काम करने वाले किसानों को मिलते रहते हैं। इससे जान माल का खतरा सदैव बना रहता है। वर्ष 2013 में एक जिंदा बम तोडऩे पर हुए विस्फोट में एक बालक व एक बकरी की मौत हो गई थी।