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कृषि महाविद्यालय: उधार के भवन में मेहमान शिक्षकों के भरोसे

कृषि उत्पादन में सिरमौर:विद्यार्थियों के भविष्य को संवारने वाले संसाधन अधूरे

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  • श्रीगंगानगर.कृषि उत्पादन में सिरमौर माने जाने वाले श्रीगंगानगर जिले का सरकारी कृषि महाविद्यालय पांच साल बाद भी व्यविस्थत नहीं हो सका है। 18 जून 2020 को राज्य सरकार ने जिले में कृषि महाविद्यालय की स्थापना की थी, लेकिन अब तक न तो भवन तैयार हो सका और न ही स्थायी स्टाफ की नियुक्ति हुई है। फिलहाल कृषि अनुसंधान केंद्र के भवन में पढ़ाई हो रही है। यहां अनुसंधान केंद्र के बजट से चार अतिरिक्त कक्षा-कक्ष भी बनाए गए हैं, लेकिन विद्यार्थियों के भविष्य को संवारने वाले संसाधन अधूरे हैं।

वहां भवन बन गए, यहां अभी सपना

  • कृषि विश्वविद्यालय बीकानेर के अधीन वर्ष 2020-21 में श्रीगंगानगर के साथ ही हनुमानगढ़, मंडावा (झुंझुनूं) और चांदगोठी (चूरू) में कृषि महाविद्यालय स्वीकृत हुए थे। तीनों जगह भूमि आवंटित कर भवन भी खड़े हो गए, लेकिन श्रीगंगानगर में न तो भूमि आवंटन हुआ और न ही बजट मिला। यहां महाविद्यालय आज भी किराएदार की तरह संचालित हो रहा है।

विद्यार्थियों में नाराजगी

  • कृषि महाविद्यालय के छात्र अधूरी सुविधाओं से जूझ रहे हैं। सरकार की वादा खिलाफी को लेकर विद्यार्थियों में नाराजगी है। वे भवन निर्माण और स्थायी स्टाफ की नियुक्ति की मांग उठा रहे हैं।

स्टाफ की कमी से पढ़ाई प्रभावित

  • महाविद्यालय में स्थायी स्टाफ की स्थिति चिंताजनक है। अधिष्ठाता का एक पद, सह आचार्य का एक पद और सहायक आचार्य के तीन पद ही कार्यरत हैं, जबकि सहायक आचार्य के दस सहित अधिकांश पद रिक्त पड़े हैं। विद्या संबल योजना के तहत आठ अतिथि व्याख्याता पढ़ा रहे हैं। तकनीकी सहायक, कृषि पर्यवेक्षक, मंत्रालयिक और चतुर्थ श्रेणी पद भी खाली हैं। स्थायी संकाय की अनुपस्थिति में छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा व उचित मार्गदर्शन नहीं मिल पा रहा।

बजट का इंतजार

  • कृषि महाविद्यालय की स्थापना के समय 60 सीटें स्वीकृत हुई थीं। अब यह संख्या बढकऱ 120 हो गई है। विद्यार्थियों के बेहतर भविष्य के लिए भवन निर्माण और स्थायी स्टाफ की नियुक्ति जरूरी है। एक बार एआरएस के पश्चिम क्षेत्र में भूमि चिन्हित की गई थी, लेकिन बजट का इंतजार है।
  • डॉ.बीएस मीणा, अधिष्ठाता, कृषि महाविद्यालय,श्रीगंगानगर।