
बजरंगी भाई जान की फिल्म की तरह सरहद पार से हुई वतन वापसी
श्रीगंगानगर. सीमा पार से नापाक इरादे के अलावा कुछ एेसे लोग भी होते है जिनका सरहद की लकीर से संबंध नहीं होता, वे अपने भूलवश या मामूली से गलती से यह भी ख्याल नहीं रख पाते कि वे जिस भूमि पर पहुंचे है वहां देश की सीमा खत्म हो चुकी है या नहीं।
सीमा पार आने और वापस जाने की कहानी पर बनी हिन्दी फिल्म बजरंगी भाई जान के असली किरदार की हकीकत इस इलाके में हो चुकी है। इसमें सबसे पहला नाम है पाकिस्तानी किशोर मुनीर खां और दूसरा है रावला एरिया की छह साल की बालिका पूजा का।
इन दोनों में कॉमन बात यह थी कि दोनों अपने अपने घर का रास्ता भूल कर बॉर्डर एरिया मे आ गए। लेकिन यदि जब तकदीर और नेक इरादे हो तो कोई सरहद की लकीर रोक नहीं सकती। इन दोनों बच्चों के साथ हुए घटनाक्रम की घंटिया देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजयेयी के ऑफिस तक पहुंची।
श्रीगंगानगर इलाके में सबसे ज्यादा चर्चित पाकिस्तानी किशोर मुनीर खान का मामला रहा है। यह किशोर केसरीसिंहपुर एरिय में अन्तरराष्ट्रीय सीमा पार कर भारत की सीमा में 27 जून 2००३ को घुस गया था।
बीएसएफ के जवानों ने उसे काबू कर लिया था। वह बकरियां चराता हुआ रास्ता भटक गया, तब इससे संयुक्त जांच एजेसिंयों की जांच में पूछताछ भी गई तो वह ग्रामीण बालक निकला था।
इस बालक ने अपने घर जाने के लिए बीएसएफ जवानों से गुहार लगाई तो पाक रेंजर्स ने इंकार कर दिया। तब बालक मुनीर को लेकर राजस्थान पत्रिका ने समाचार श्रृंखला चलाई। इसका परिणाम भी सार्थक रहा। विभिन्न संगठनों और जनप्रतिनिधियों ने पत्रिका समाचारों के आधार पर उसे दिल्ली स्थित पाक दूतावास से संपर्क कराया गया।
तब तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के हस्तक्षेप से वाघा बोर्डर से इस बालक को पाकिस्तान वापसी की राह हुई।
इधर, पाक रेंजर्स ने भी इंसानियत की मिसाल पेश भी की। रावला-खाजूवाला के बीच चक 4 केवाईडी की बालिका छह वर्षीय पूजा के सीमा पार करने और वतन वापसी का घटनाक्रम किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं था।
पूजा न केवल पाक रेंजर्स से भरपूर दुलार मिला, बल्कि उसके बाल सुलभ नाज-नखरे भी उठाए गए। विदाई के वक्त उसे नए कपड़े और सैंडल भी दिलाए गए। चक 4 ए केवाईडी की ढाणी में रहने वाली सुखराम की छह साल की बेटी पूजा 29 मार्च 2019 को रास्ता भटककर कर सीमा पार चली गई थीं। सिर पर लकड़ी उठाए वह तारबंदी पार कर पाकिस्तान पहुंच गईं।
वह जीरो लाइन से 5 किमी पैदल चली गईं। थकी होने के कारण वह पशु बाड़े में सो गईं। सुबह जब उठी तो पाक रेंजर्स उसे बहालवपुर के पुलिस थाने ले जाया गया।
वहां इस मासूम के आंसुओं से पाकिस्तानी अफसर पसीजे और उन्होंने उसकी खूब आव भगत की। आखिरकार पाकिस्तानी अफसरों ने इस बालिका को वापस भारत को सौंपने के लिए इरादा बनाया और सुपुर्द किया।
Updated on:
01 Mar 2021 01:29 pm
Published on:
01 Mar 2021 01:16 pm
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