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सडक़ पर खतरे की सवारी, नौनिहालों की जान सांसत में!

पत्रिका पड़ताल :700 से अधिक बाल वाहिनियों में उड़ रही सुरक्षा नियमों की धज्जियां चार विभागों की जिम्मेदारी, फिर भी अनदेखी हो रही

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  • श्रीगंगानगर. जिले में हर दिन सैकड़ों स्कूली बच्चे ऐसी बाल वाहिनियों में सफर करते हैं, जो खुद हादसों को न्योता देती नजर आती हैं। ओवरलोड बसें, बिना फिटनेस परमिट वाले वाहन और अनुभवहीन चालक नौनिहालों की सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा हैं। जिले में करीब 700 से अधिक बाल-वाहिनियां संचालित हैं, लेकिन इनमें से अधिकांश परिवहन विभाग की गाइडलाइन पर खरी नहीं उतरती हैं।
  • पत्रिका टीम ने गुरुवार को पुरानी आबादी सहित शहर के कई क्षेत्र में निरीक्षण किया। स्कूल समय के दौरान कई बाल वाहिनियों में निर्धारित क्षमता से कहीं अधिक विद्यार्थियों को ठूंसकर बैठाया गया था। बच्चे ऑटो, वैन और बसों में असुरक्षित ढंग से यात्रा कर रहे हैं।

गाइड लाइन की पालना नहीं

  • विभागीय गाइडलाइन के अनुसार, हर स्कूल वाहन की फिटनेस जांच, जीपीएस और स्पीड गवर्नर की अनिवार्यता, प्राथमिक उपचार बॉक्स और प्रशिक्षित चालक की मौजूदगी जरूरी है। इसके बावजूद अधिकांश वाहनों में इन नियमों को दरकिनार किया जा रहा है।

कुछ समय बाद हालात फिर जस के तस हो गए

  • परिवहन विभाग ने हाल ही में एक विशेष जांच अभियान शुरू किया है। पिछले वर्ष भी ऐसा अभियान चलाया गया था और तब कई वाहनों के चालान काटे गए थे, लेकिन फिर हालात जस के तस हो गए। सुरक्षा नियमों की पालना के लिए जिम्मेदार शिक्षा, परिवहन, पुलिस और जिला प्रशासन स्थिति सुधारने में असफल नजर आ रहे हैं।

नहीं हो रही गाइडलाइन की पालना

-स्कूल बस का रंग सुनहरी पीला होना चाहिए तथा बस के आगे और पीछे स्कूल ऑन ड्यूटी स्पष्ट रूप से लिखा होना अनिवार्य है।

-प्रत्येक बस, कैब या ऑटो के पीछे विद्यालय का नाम और फोन नंबर अंकित होना चाहिए, ताकि आपात स्थिति या चालक की लापरवाही पर तुरंत सूचना दी जा सके।

-बस में चालक का नाम, पता, लाइसेंस नंबर, मोबाइल नंबर, यातायात पुलिस व परिवहन विभाग का हेल्पलाइन नंबर तथा वाहन का पंजीयन क्रमांक कॉन्ट्रास्ट रंग में स्पष्ट रूप से प्रदर्शित किया जाना चाहिए।

-प्रत्येक बाल वाहिनी के पास परिवहन विभाग का वैध फिटनेस प्रमाणपत्र होना चाहिए।

-सभी स्कूल बसों में जीपीएस सिस्टम और स्पीड गवर्नर लगे होना अनिवार्य है।

चालक व सुरक्षा प्रावधान

  • -बस चालक के पास कम से कम पांच वर्ष का अनुभव होना चाहिए और उसका ड्राइविंग लाइसेंस पांच वर्ष से अधिक पुराना होना आवश्यक है।
  • -ऑटोरिक्शा में बच्चों की सुरक्षा हेतु बायीं ओर लोहे की जाली लगाई जानी चाहिए।
  • -स्कूल बस में आपात स्थिति के लिए प्राथमिक उपचार बॉक्स और अग्निशमन यंत्र अनिवार्य रूप से लगे होने चाहिए।
  • -चालक को सीट बेल्ट लगाकर ही वाहन चलाना चाहिए।
  • -बाल वाहिनी के चालक व परिचालक खाकी वर्दी में रहेंगे।

चालान की कार्रवाई की

  • जिला मुख्यालय पर दो बाल वाहिनियों में निर्धारित क्षमता से अधिक विद्यार्थियों को बैठाने पर चालान की कार्रवाई की गई है। विभाग समय-समय पर ऐसे अभियान चलाकर कार्रवाई करता रहता है।
  • देवानंद, जिला परिवहन अधिकारी, श्रीगंगानगर