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गायों को मारने के जुर्म में पांच साल कारावास

दो गायों को जहर देकर मारने के जुर्म में एक जने को दोषी मानते हुए अदालत ने पांच साल कठोर कारावास व पन्द्रह हजार रुपए जुर्माना सुनाया।

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श्रीगंगानगर.

पिछले साल पुरानी आबादी के रवि चौक पर दो गायों को जहर देकर मारने के जुर्म में एक जने को दोषी मानते हुए अदालत ने पांच साल कठोर कारावास व पन्द्रह हजार रुपए जुर्माना सुनाया।यह निर्णय बुधवार को अपर जिला एवं सत्र न्यायालय संख्या दो ने सुनाया। गोवंश की हत्या के मामले में इतनी बड़ी सजा का यह संभवत: पहला मामला है। विशिष्ट लोक अभियोजक दिनेश नागपाल ने बताया कि 17 जून 2016 को पुरानी आबादी वार्ड नौ रवि चौक निवासी विनोद बिश्नोई पुत्र हेतराम ने पुरानी आबादी थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि वह मोहल्ले के लोगों के साथ रवि चौक पर पानी की छबील लगा रहा था। तब एक व्यक्ति नशे की हालत में गायों को गुड़ का पेड़ा दे रहा था और कुछ देर बाद गायों की मौत हो गई। लोगों ने उसे पकड़ लिया। गुड़ देखा तो उसमें बदबू आ रही थी। पेंट की तलाशी ली तो उसमें जहर था। पकड़े गए युवक की पहचान छजगरिया मोहल्ला मीरा चौक निवासी चालीस सोनू उर्फ मोहित अरोड़ा पुत्र सुभाषचन्द्र अरोड़ा के रूप में हुई।

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सोनू ने बताया कि उसे जहर देकर गोवंश मारने के लिए ठेकेदार सतपाल ने भेजा था। यह ठेकेदार इस काम के एवज में उसे स्मैक की पुड़ी देता है। दो गायों को मरने के बाद पुरानी आबादी के राजकीय पशु चिकित्सालय में पोस्टमार्टम करवाया गया। वहां चिकित्सकों ने जहर देकर मारने की पुष्टि की। पुलिस ने आरोपित सोनू उर्फ मोहित अरोड़ा को राजस्थान गोवंशीय पशु (वध का प्रतिषेध और अपर्वजन प्रवजन या निर्यात का विनियमन) अधिनियम 1995 की धारा 3-8, भादंसं की धारा 429 व धारा 120 बी में गिरफ्तार किया। इसके अलावा पुलिस ने ठेकेदार छजगिरिया मोहल्ला निवासी सतपाल पुत्र जेठाराम छजगरिया को भी गिरफ्तार किया लेकिन उसे जमानत पर रिहा कर दिया गया।

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एफएसएल बनी सजा का आधार
विशिष्ट लोक अभियोजक नागपाल ने गवाहों के बयान से पहले अदालत में एफएसएल की रिपोर्ट मंगवाने के लिए पुलिस अधीक्षक से गुहार की। इस रिपोर्ट में जहर की पुष्टि हुई। बयानों और एफएसएल रिपोर्ट के आधार पर सोनू को गोवंश अधिनियम में पांच साल कठोर कारावास व दस हजार रुपए जुर्माना, आईपीसी की धारा 429 में तीन साल कठोर कारावास व पांच हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई। वहीं, षड्यंत्र रचने के आरोप में संदेह का लाभ देते हुए ठेकेदार सतपाल को दोषमुक्त कर दिया।