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मां तुझे सलाम : संघर्ष का पर्याय बनी किरण शर्मा

- पति की बीमारी और घर की जिम्मेदारी के बीच भविष्य संवारने का जज्बां मां तुझे सलाम: संघर्ष का पर्याय बनी किरण शर्मा

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श्रीगंगानगर। किसी साहित्यकार ने लिखा हैं..ऊंची चट्टानों को पार करने का जज्बा रखते हैं,
हिम्मत है हौसला हैं खुद पर विश्वास अभी बाकी हैं। इलाके में शिक्षिका किरण शर्मा संघर्ष का पर्याय बन गई हैं। पहले विषम परिस्थतियों में खुद की पहचान बनाने के लिए स्व अध्ययन कर सरकारी स्कूल में अध्यापिका की नौकरी हासिल कर ली। लेकिन संघर्ष से नाता बना रहा। ऐसी िस्थति में पीहर और ससुराल पक्ष ने मुंह मोड़ लिया। वर्ष 2016 में जब पति को ह्रदयघात हुआ तो उपचार कराने के लिए परिजनों का सहयोग नहीं मिला तो खुद मेट्रो सिटी का रुख कर उपचार कराया। कोरोनाकाल में दो बार पति पीडि़त हुए तो फिर घर को संभालने की जिम्मेदारी अकेले इस शिक्षिका पर आ गई। इस दौरान बेटी को अच्छी शिक्षा दिलाने का मानस भी बना लिया। बेटी को पढ़ने के लिए कनाडा भिजवाया ताकि उसके सपने पूरे हो सके। तब सोचा कि संघर्ष पर विराम लगेगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ। पिछले साल पति कैंसर से पीडि़त हो गए। चिकित्सकों के यहां दौड़ धूप करने और स्कूल में बच्चों को पढ़ाने की चिंता की जिम्मेदारी को संभालने में कोई कसर नहीं रखी। यह शिक्षिका गांव मम्मड़खेड़ा के राजकीय माध्यमिक स्कूल में कार्यरत हैं। इस स्कूल में बच्चों के लिए फर्नीचर की जरुरत पड़ी तो भामाशाहों से संपर्क किया, एक लाख रुपए का दान दिलवाकर किरण ने यह प्रयास करने का प्रयास किया कि संघर्ष में सिर्फ एक उम्मीद की किरण ही साथ देती है।