
सौलह साल बाद बना किसान चौक फिर भी लीपापोती
श्रीगंगानगर। इलाके में विकास कार्य के लिए नगर विकास न्यास अब तक सिर्फ अपने गाल ही बजा रही है। चिर और स्थायी के साथ साथ दीर्घकालीन विकास कार्य कराने के लिए न्यास अधिकारियों ने कभी प्रयास तक नहीं किए। यहां तक कि करीब साढ़े चार साल से अधिक का समय बीतने के बावजूद इलाके में सूरतगढ़ बाइपास पर किसान चौक के नाम पर भी खानापूर्ति की गइ्र है। आचार संहिता लगने से ऐनवक्त पर इस चौक की रंगाई पुताई की जा रही हैं। लेकिन यह बजट भी खपाने में ठेकेदार और न्यास के अभियंताओं ने खूब दरियादिली दिखाई हैं। इस चौक के निर्माण में गुणवत्ता का ख्याल नहीं रखा गया और बिखरने लगा तो इस पर अब रंगाई की गई है। यह भी आधी अधूरी। वहीं चौक का सौन्दर्यीकरण के नाम पर लगाई गई लाइनिंग टूट चुकी है। विदित रहे कि न्यास प्रशासन ने करीब सौलह साल पहले वर्ष 2007 में सूरतगढ़ बाइपास पर किसान चौक के निर्माण का दावा किया था। इस मार्ग पर इस चौक के निर्माण के लिए दो साल पहले सत्तर लाख रुपए का बजट भी खर्च करने की बात कही गई लेकिन यह बजट कागजों में निपटा दिया गया हैं। इस चौक से एक दिशा में हनुमानगढ़ बाइपास है तो दूसरी दिशा में पदमपुर बाइपास, तीसरी दिशा में श्रीगंगानगर तो चौथी दिशा में सूरतगढ़ की ओर मार्ग हैं।
इस किसान चौक पर इलाके में करीब 11 साल पहले जमींदारा पार्टी ने सर छोटूराम की प्रतिमा लगाने का संकल्प लिया था। तब यह भी दावा किया गया था कि इस चौक को भव्य रूप दिया जाएगा। लेकिन राजनीतिक खींचतान का दौर जारी रहा। यह पार्टी जब हाशिये पर आई तो इस चौक के भव्य बनने का सपना भी धूमिल हो गया। हालांकि दो साल पहले यूआइटी की ट्रस्ट बैठक में इस चौक को भव्य रूप देने के लिए गुजरात के महानगरो की तर्ज पर रात को दिखने वाले रंगीन फव्वारे और आकर्षक लाइटिंग से किसान चौक बनाने का फिर से सपना दिखाया गया था। लेकिन सरकारी फाइल में यह भी प्रस्ताव दब कर रह गया। हालांकि इस चौक के आसपास कृषि भूमियां अब प्राइवेट कॉलोनियों में जरूर तब्दील हो चुकी है।
न्यास की स्थापना वर्ष 1980 में हुई थी। तब से लेकर अब तक 43 सालों में सिर्फ छह जनें ही अध्यक्ष बने हैं। इसमें राधेश्याम गंगानगर 20.06.1981 से 05.06.1987 तक, जे.बी. जोशी 01.05.1994 से 21.04.1997 तक, राजकुमार गौड़ 03.06.2000 से 05.06.2003 तक, सीमा पेड़ीवाल 16.07.2007 से 22.12.2008 तक, ज्योति कांडा 08.12.2011 से 18.12.013 तक और संजय महिपाल 09.07.2016 से 31.12.2018 तक समय अवधि में अध्यक्ष रहे। इस गहलोत सरकार के साढ़े चार साल बीतने के बावजूद नया अध्यक्ष नहीं बन पाया हैं। इसके पीछे कांग्रेसियों की आपसी खींचतान बताई जा रही है। ऐसे में न्यास के करीब 32 में से 27 साल का कार्यकाल प्रशासक के हाथ रहा हैं।
निर्माण के लिए अधिकृत कौन= यूआईडी बनाम पीडब्ल्यूडी
इस बीच, नगर विकास न्यास के कार्यवाहक सचिव और एक्सईएन मंगतराय सेतिया का कहना है कि किसान चौक का निर्माण और सौन्दर्यीकरण का काम सार्वजनिक निर्माण विभाग करवा रहा हैं। यह बजट कितना खर्च किया जा रहा है, यह तो पीडब्ल्यूडी अधिकारी ही बताएंगे। पीडब्ल्यूडी ने ही किसान चौक के निर्माण के साथ साथ वहां इंटरलाॅकिंग टाइल्स तक बिछाई हैं। यह काम न्यास प्रशासन का नहीं है। न्यास ने तो सिर्फ किसान चौक से राजकीय मेडिकल कॉलेज तक डिवाइडर बनाने का काम शुरू कर रखा हैं। यह डिवाइडर अगले चार दिन में पूरा होने की उम्मीद है।
इधर, सार्वजनिक निर्माण विभाग के एक्सईएन संजय अग्रवाल का कहना है कि सूरतगढ़ बाइपास पर किसान चौक का निर्माण और इस पर रंगाई पुताई का काम यूआईटी प्रशासन के जिम्मे हैं। न्यास प्रशासन ही सारा काम करवा रहा हैं। न्यास के अधिकारी ही इस कार्य कराने या बताने के लिए अधिकृत हैं, पीडब्ल्यूडी का इसमें कोई रोल नहीं है। पीडब्ल्यूडी ने नेतेवाला से किसान चौक तक सड़क निर्माण कराया था। इसके बाद किसान चौक से राजकीय मेडिकल कॉलेज तक करीब डेढ़ किमी सड़क बनाई, इस सड़क के बीचों बीच डिवाइडर का निर्माण यूआईटी के जिम्मे हैं।
Published on:
10 Aug 2023 12:29 am
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