रेल संघर्ष समिति पदाधिकारियों ने स्टेशन अधीक्षक के समक्ष इसका विरोध जताया। लेकिन उन्होंने मामले को उच्चाधिकारियों से संबंधित बताया। जानकारी अनुसार शुक्रवार दोपहर सूरतगढ़ से चलकर आई ट्रेन दो बजकर 44 मिनट पर पहुंची। और गाड़ी में महज पांच यात्री डिब्बे व एक लगेज तथा गार्ड कोच था। ठहराव के निर्धारित समय दो मिनट की बजाय गाड़ी करीब दस मिनट खड़ी रही लेकिन डिब्बो में पहले से ही भीड़ होने से यात्री डिब्बों में चढ़ नहीं सके। शोरगुल व धक्का मुक्की के बीच कुछ लोगों में विवाद भी हो गया।
इधर गाड़ी चलते देख कुछ लोग गार्ड के डिब्बे में चढ़ गए। वहीं करीब पचास लोग टिकट होने के बावजूद ट्रेन पर नहीं चढ़ सके। अजय मौर्य, लाली देवी, जनकराज वर्मा, मोहन लाल आदि यात्री बाद में टिकट वापिस देने गए लेकिन वापसी शुल्क अधिक होने से ऐसा नहीं कर सके। बताया जा रहा है कि पिछले एक सप्ताह से हर दिन ऐसे हालात देखने को मिल रहे हैं।
रेल डिब्बे बढ़ाने के लिए होगा प्रदर्शन
उधर, मामला सामने आने पर रेल संघर्ष समिति संयोजक बलदेव सैन व अन्य पदाधिकारियों ने स्टेशन अधीक्षक के समक्ष इसका विरोध जताया। स्टेशन अधीक्षक रमेश शर्मा ने उन्हें बताया कि डिब्बे कम ज्यादा करना उच्चाधिकारियों के हाथ में है। उन्होंने किसी तकनीकी खराबी के चलते डिब्बों की संख्या में कमी की आशंका जताई।
सैन ने बताया कि करीब छह वर्ष पूर्व ब्रॉडगेज शुरू होने पर 12 कोच के साथ पैसेंजर ट्रेन शुरू की गई लेकिन अब यात्री भार बढऩे के बावजूद डिब्बे घटाकर 5 कर दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि रेल अधिकारियों की मनमानी से यात्रियों को भेड़ बकरियों की तरह खड़े रहकर यात्रा करने की मजबूरी है। खासतौर से महिलाओं, वृद्धों व बच्चों को काफी परेशानी हो रही है। ऐसा सहन नहीं होगा और शीघ्र ही धरना प्रदर्शन किया जाएगा।