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जानिए हमारे गेस्ट राइटर क्या कहते है मधुमेह के बारे में

- ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों के जीवन स्तर में तेजी से हो रहा बदलाव मुख्य कारण - जीवन शैली में उचित बदलाव से ही मधुमेह पर किया जा सकता है नियंत्रण

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गेस्ट राइटर....... डॉ. प्रवीण गर्ग

पाली. वर्तमान समय में मधुमेह एक आम बीमारी बनती जा रही है। शहरी क्षेत्रों के लोग तो काफी सालों से इस बीमारी से ग्रस्त है। लेकिन पिछले कुछ सालों में मधुमेह ग्रामीण क्षेत्रों में तेजी से फैला है। ग्रामीणों क्षेत्रों में लोगों की जीवन शैली में अचानक से आए बदलाव के कारण यह रोग तेजी से सामने आ रहा है। पूरे भारत में मधुमेह के रोगीयों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। यह एक दीर्घकालीन रोग व धीमी मौत की तरह रोगी के गुर्दो को खराब कर देता है। हृदय रोग, मस्तिक रोग, कोमा की अवस्था व गैंग्रीन रोग भी इसी की ही देन है। इस बीमारी को कोई स्थाई उपचार नहीं है। लेकिन जीवन शैली में बदलाव, जागरूकता व खान-पान की आदतों में सुधार द्वारा इस रोग को पूरी तरह से नियंत्रित किया जा सकता है। इस रोग को एेलोपेथी, आयुर्वेद दवाओं व इंसुलिन बढऩे से रोका जा सकता है।

मधुमेह क्या है

मधुमेह जिसे आम भाषा में डायबिटीज व मेडिकल क्षेत्र में इसे मेलाईट्स है। इस रोग में रक्त में ग्लूकोज का स्तर बढ़ जाता है। साथ ही शरीर की कोशिकाएं शर्करा का उपयोग नहीं कर पाती है। यह रोग इंसुलिन नामक हार्मोन की कमी से होता है। डायविटीज मेलाईट्स का साधारण भाषा में अर्थ है मीठा मुत्र। प्राय देखा गया है कि मधुमेह रोगीयों के मुत्र में शर्करा पाई जाती है।

इस तरह समझे शरीर में ग्लुकोज की मात्रा

वर्ग - खाने से पहले ग्लुकोज की मात्रा - खाने के 2 घंटे बाद ग्लुकोज की मात्रा

1. सामान्य व्यक्ति - 70 से 100 मिलीग्राम - 140 से 160 मिलीग्राम

2. शुरूआती मधुमेह - 110 से 125 मिलीग्राम - 160 से 200 मिलीग्राम

3. डायबिटीज - 126 मिलीग्राम से अधिक - 200 मिलीग्राम से अधिक

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मधुमेह के प्रमुख लक्षण

1. रोगी का मुंह सूखा रहना व अत्यधिक प्यास लगना।

2. भूख अधिक लगना।

3. बिना कारण ही रोगी का वजन कम होना।

4. बार-बार मुत्र अधिक मात्रा मंे आना।

5. शरीर का घाव जल्द नहीं भरना।

6. शरीर में निरंतर खुजली व अंगो का सुन्न पडऩा।

7. आंखों की रोशनी कम होना।

8. पुरूष शक्ति में क्षीणता आना।

9. स्त्रियों मंे मासिक स्त्राव में विकृति आना या बंद हो जाना।

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मधुमेह का ईलाज

1. चिंता व तनाव से मुक्त रहे।

2. तीन माह में एक बार रक्त शर्करा की जांच ।

3. भोजन एक साथ करने के बजाय थोड़ा - थोड़ा व बार - बार करे।

4. भोजन में रेशे युक्त द्रव्य, तरकारी, जौ, चना, गेहूं, बाजरा व सब्जी प्रचुर मात्रा में सेवन करे।

5. प्रतिदिन हल्का व्यायाम व 4 से 5 किलोमीटर पैदल चले।

6. मीठाई व मीठे का सेवन नहीं करे।

7. मधुमेह की दवाईयों का सेवन चिकित्सक की सलाह से करे।

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