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उस्मानखेड़ा में सन्नाटा और सिसकियां

locationश्री गंगानगरPublished: Feb 10, 2018 08:16:41 am

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pawan uppal

असमय जान गंवाने वाले पांचों परिवार आर्थिक रूप से काफी कमजोर हैं, उनके लिए तो अब टाइम पास करना मुश्किलहो जाएगा।

road accident
श्रीगंगानगर.

सड़क हादसे में एक-दो नहीं, पांच जनों को खोने वाला उस्मानखेड़ा गमगीन है। जिला मुख्यालय से लगभग 10 किलोमीटर दूर पंजाब के इस गांव की कच्ची गलियों और कच्चे-पक्के मकानों में पसरे सन्नाटे में बस सिसकियां सुनी जा रही है। मृतकों के घर शुक्रवार को सांत्वना देने आने वालों का तांता लगा रहा, अंतिम संस्कार के समय तो जैसे पूरा गांव उमड़ पड़ा। कालूराम के घर पर शोक व्यक्त करने आया हुआ महेंद्रसिंह ‘जिन्दगी ने दिता धोखा, हुण टाइम पास ओखा बोलते-बोलते फफक पड़ा। उसका एवं पास बैठे कइयों का कहना था कि असमय जान गंवाने वाले पांचों परिवार आर्थिक रूप से काफी कमजोर हैं, उनके लिए तो अब टाइम पास करना मुश्किलहो जाएगा।
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…और इनकी बच गई जान
उस्मानखेड़ा के संजय को भी गांव की लेबर के साथ किन्नू कटाई के लिए जाना था लेकिन एक परिचित ने किसी काम से पड़ोसी गांव कल्लरखेड़ा भेज दिया। उत्तरप्रदेश के गांव अयाना का संतोष श्रीगंगानगर रहता है। रोजाना तीन पुली पर ऑटो में बैठ काम करने जाता था, गुरुवार को कपड़े धोने के लिए ऐसा रुका कि दुर्घटना की चपेट में आने से बच गया।

जैसे टूट पड़ा कहर
लगभग 55 वर्षीय जगसीर उर्फ जग्गा के जाने से उसके परिवार पर जैसे कहर टूट पड़ा है। पांच-छह साल पहले उसके जवान बेटे दौलत की मृत्यु हो गई। परिवार में तीनों पुत्रियां हालांकि ब्याही हुई लेकिन पत्नी, बहू, बहन एवं पोता-पोती का पालन-पोषण करने वाला वह अकेला ही था। बहन छिन्द्रपाल तो कैंसर पीडि़त है। हादसे के बाद उसकी पत्नी की आंखें तो जैसे पथरा गई है, समधिन वीरपाल ने रोते हुए कहा कि परिवार को पूरी मदद दी जानी चाहिए।
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कैसे पड़ेगी पार
गांव की ढाणी में रहने वाले टहलाराम की आयु करीब 45 साल थी। परिवार में तीन पुत्रियां एवं दो पुत्र हैं। दुख जताने आए तिरपाल पर बैठे कई जनों का कहना था कि कमाने वाला वह अकेला था, सबसे बड़ी बेटी 12-13 वर्ष की है। उसकी पत्नी एवं बच्चों की पूरी उम्र पड़ी है, पता नहीं कैसे पार पड़ेगी।
‘आवाज मारदे इक बार
पांच बेटियों एवं एक बेटे के पिता लगभग 50 साल के बलौरसिंह की मौत से परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है। टूटे-फूटे मकान में चारपाई पर पड़े शव को घेर कर बैठी महिलाओं का रो-रोकर बुरा हाल था। उसकी बेटी ‘आवाज मारदे इक बारÓ बोलते-बोलते बेसुध हो गई।

रह गया ख्वाब अधूरा
लगभग 50 साल के ज्ञानीराम का छोटे बेटे बलजीत को ब्याहने का ख्वाब अधूरा रह गया। बड़े बेटे, पौत्र लवप्रीत एवं खुशा तथा दो बेटियों के साथ परिवार की जीवन गाड़ी ठीकठाक चल रही थी कि अचानक गुरुवार रात हुए हादसे ने सब कुछ तहस-नहस कर दिया।

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