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पांच साल हुए फुर्र, डॉक्टर मिले न सरकारी कॉलेज

locationश्री गंगानगरPublished: Nov 10, 2018 02:54:39 pm

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Rajaender pal nikka

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पांच साल हुए फुर्र, डॉक्टर मिले न सरकारी कॉलेज

TOTAL SCAN रायसिंहनगर विधानसभा क्षेत्र
पांच साल हुए फुर्र, डॉक्टर मिले न सरकारी कॉलेज
पांच साल क्या हाल
फितरत से समझौता करना नहीं सीखा इस विधानसभा क्षेत्र
के मतदाताओं ने
सोहनलाल

रायसिंहनगर. श्रीगंगानगर जिले का रायसिंहनगर विधानसभा क्षेत्र राजनीति का प्रमुख केन्द्र रहा है। यही वजह है कि सभी राजनीतिक दल हर बार सोच समझकर टिकट देते हैं। रायसिंहनगर एक तरफ पूर्व केन्द्रीय मंत्री एवं पांच बार सांसद रहे निहालचंद मेघवाल का गृह क्षेत्र है, वहीं किसी समय प्रदेश की राजनीति में अहम भूमिका रखने वाले कांग्रेस के पूर्व मंत्री दुलाराम का भी गृह क्षेत्र है।
1952 में पहली बार अस्तित्व में आए इस विधानसभा क्षेत्र से चुन्नीलाल निर्विरोध निर्वाचित हुए थे। क्षेत्र के लोगों ने पिछली बार जमींदारा पार्टी की उम्मीदवार सोनादेवी बावरी को विधानसभा में भेजा। भाजपा सरकार से पटरी नहंीं बैठ पाने के कारण विधायक के पांच साल आरोपों में ही गुजर गए। कभी विधानसभा में धरने लगाकर तो कभी राष्ट्रपति चुनावों का बहिष्कार कर देने जैसे बयानों को लेकर राज्यभर में चर्चा का विषय रही विधायक के कार्यकाल में आम जनता की अपेक्षा के अनुरूप काम नहीं हो पाए। चुनावों के समय विधायक ने कई ऐसे वादे किए गए थे जोधरातल पर नहीं उतर पाए।
जमींदारा पार्टी से विधायक होने के कारण कांग्रेस ने विधायक की राह में कभी रोड़ा नहीं अटकाया। विधायक भाजपा नेताओं पर काम में अड़ंगा डालने के आरोप लगाती रही। लेकिन भाजपा नेताओं ने आरोपों को लेकर कभी प्रतिक्रिया नहीं दी। रायसिंहनगर में सबसे बदहाल स्थिति यहां के राजकीय चिकित्सालय की है। यह ऐसा चिकित्सालय है जिसमें आज तक चिकित्सकों के रिक्त पद नहीं भर पाए। महिला मरीजों के लिए महिला चिकित्सक की नियुक्ति महिला विधायक होने पर भी नहीं हो पाई।
चिकित्सालय में ब्लड स्टोरेज यूनिट बंद पड़ी है, वहीं अल्ट्रासाउंड मशीन विशेषज्ञ के अभाव में काम नहीं आ रही। चिकित्सालय में डॉक्टरों के कुल 13 पद स्वीकृत हैं जिनमें से केवल 3 पद भरे हुए हैं। कमोबेश यही हालत उच्च शिक्षा के क्षेत्र में है। रायसिंहनगर की सैकड़ों लड़कियां इसलिए स्नातक में प्रवेश से वंचित हो गई कि यहां सरकारी महाविद्यालय नहीं है जबकि निजी महाविद्यालयों में फीस ज्यादा होने से हर किसी के लिए प्रवेश ले पाना संभव नहीं ।
रायसिंहनगर विधानसभा क्षेत्र का अधिकांश इलाका अनुसूचित जाति बहुल है तथा यह सीट भी अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है। लेकिन इस वर्ग के छात्र-छात्राओं को सरकारी स्तर पर उच्च शिक्षा की व्यवस्था नहीं। ग्रामीण क्षेत्र के स्कूलों में खेल सामग्री व खेल मैदानों का अभाव यहां की खेल प्रतिभाओं के लिए अभिशाप बना हुआ है। भारत-पाक सीमा से सटे इलाके के कई गांव तो आज भी सडक़ सुविधा से वंचित हैं। शुद्ध पेयजल भी उन गांवों में सपना है।
विधायक का रायसिंहनगर को ग्रीन सिटी बनाने का वादा हवाई साबित हुआ है। इसके बावजूद विधायक की लोग इस बात को लेकर सराहना भी करते हैं कि साधारण परिवार से उठकर आई महिला विधानसभा में सर्वाधिक समस्या उठाने वाले विधायकों में शामिल रही। विशेषकर गन्ना उत्पादक किसानों की समस्याओं को लेकर विधायक ने विधानसभा में धरना भी लगाया। बेरोजगारों की पीड़ा को विधानसभा में लेकर गई तो कर्मचारियों की मांगों को लेकर भी गंभीर रही।
किसानों की समस्याओं को लेकर तो विधायक ने राष्ट्रपति चुनाव के बहिष्कार तक की घोषणा कर दी थी। रायसिंहनगर में सडक़ों की हालत को देखकर जरूर लगता है कि काम हुआ है। शहरी इलाके के साथ ग्रामीण इलाके में सडक़ों और गौरव पथ का काम दिखाई देता है। लेकिन इसका श्रेय भाजपा ले रही है।
दोनों जनता के बीच बने रहे
सोनादेवी- पूरे पांच साल तक सक्रिय रही, फिर चाहे वह विधानसभा हो या फिर किसान समस्याओं को लेकर हुए आंदोलन हो। लोगों के बीच पहुंची, सरकारी दफ्तरों में न्यूनतम हस्तक्षेप के कारण कर्मचारी व अधिकारी वर्ग में अधिक लोकप्रिय है।
बलवीर लूथरा- आमजन के बीच में रहे तथा लोगों के दुख दर्द में भी पहुंचते रहे हैं, सत्ता पक्ष से संबंधित होने के कारण विधायक की भूमिका भी इन्होंने निभाई तथा अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं के कार्यों को लेकर गंभीर रहे। आम लोगों से नजदीकी बनाने में कामयाब रहे।
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काम जो अधूरे रह गए
रायसिंहनगर को ग्रीन सिटी बनाने का वादा अधूरा।
चिकित्सा व्यवस्था को पटरी पर लाने का वादा पूरा नहंीं।
डबल डेकर नहर बनाने का सपना पूरा नहीं।
आवारा पशुओं का प्रबंधन नहीं हो पाया।
सीमा पार की जमीनों का मुआवजा नहीं मिला।
सिंचाई पानी संबंधी सुविधाओं का अभाव।
खाटां माइनर का सर्वे नहीं।
सबसे बड़ा मुद्दा चिकित्सा एवं उच्च शिक्षा
दूरस्थ ग्रामीण इलाके की जनता व युवाओं के लिए सबसे बड़ा मुद्दा चिकित्सा सुविधाओं का अभाव व सरकारी महाविद्यालय का नहीं होना है। लोगों को भले ही अन्य सुविधाएं नहीं मिले। लेकिन समय पर बेहतर चिकित्सा सुविधाओं का मिलना राहत भरा हो सकता था। ऐसा नहीं होने से लोगों में खासी नाराजगी है। कमोबेश यही स्थिति युवाओं की है जिन्हें सरकारी महाविद्यालय नहीं मिलने से उनके कॅरियर की संभावनाएं सीमित हो गई। मजबूरन उन्हें या तो पढ़ाई छोडऩी पड़ रही है या फिर महंगी फीस भरकर निजी महाविद्यालयों में पढऩा पड़ रहा है।
क्षेत्र की प्रमुख समस्याएं
नहरी तंत्र व सिंचाई खाळों का विकास।
श्रीबिजयनगर व रायसिंहनगर में राजकीय महाविद्यालय।
खाटां माइनर का सर्वे व
निर्माण।
व्यक्तिगत लाभ की योजनाओं की गरीब तबके तक सीधी पहुंच।
आवारा पशुओं का प्रबंधन।
चिकित्सा सुविधाओं का पर्याप्त विस्तार एवं सुदृढ़ीकरण।
2013 में हार जीत का अंतर

65,782
मत मिले जमींदारा पार्टी की सोना देवी बावरी को
44,544
मत मिले भाजपा के बलवीर लूथरा को
21,238
हार जीत
का
अंतर
रायसिंहनगर में 2013 का चुनाव परिणाम
नाम पार्टी प्रतिशत
केसराराम 0.83
बलवीर लूथरा भाजपा 21.05
राजेन्द्रसिंह भाकपा 1.5
श्योपत मेघवाल माकपा 5.28
सोहन नायक कांग्रेस 20.14
अमरचंद 0.91
सोनादेवी बावरी जमींदारा 31.08
हेतराम 0.96
महावीर 0.57नाम पार्टी प्रतिशत
केसराराम 0.83
बलवीर लूथरा भाजपा 21.05
राजेन्द्रसिंह भाकपा 1.5
श्योपत मेघवाल माकपा 5.28
सोहन नायक कांग्रेस 20.14
अमरचंद 0.91
सोनादेवी बावरी जमींदारा 31.08
हेतराम 0.96
महावीर 0.57
विधायक निधि का हिसाब
10 करोड़ 75 लाख पांच साल में उपलब्ध राशि
11 करोड़ रुपए विधायक की अनुशंसा
प्रशासनिक स्वीकृति 10.75
वित्तीय स्वीकृति 10 करोड़ 50 लाख
25 लाख रुपए की वित्तीय स्वीकृति चुनाव आचार संहिता लागू होने के कारण जारी नहीं
(स्रोत: पंचायत समिति रायसिंहनगर) क्षेत्र की प्रमुख समस्याएं
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