राजगढ़ के टहला में तीन साल पहले हुए जमीन के बंदरबाट में सब बच निकले। चार्जशीट 25 से ज्यादा लोगों को दी गई, लेकिन अब तक कार्रवाई किसी पर नहीं हुई। जानकारों का कहना है कि राजनीतिक दबाव के चलते कार्रवाई नहीं हो पा रही है। पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने वर्ष 2021 में प्रशासन गांवों के संग अभियान के तहत टहला में करीब 2500 बीघा जमीन 803 लोगों को आवंटित की गई।
इस जमीन का मूल्य 1500 करोड़ तक आंका गया था। यह जमीन नदी, नाले, पहाड़ से लेकर सिवायचक थी, जो दिया जाना संभव नहीं था। राजनीतिक दबाव के चलते पूर्व एसडीएम, पूर्व तहसीलदार समेत 25 लोगों ने पूरा खेल कर दिया। राजस्थान पत्रिका ने इसका खुलासा किया तो परत-दर-परत खुलती चली गई।
सरकार ने जांच बैठाई और कार्रवाई पहले चरण में शुरू हो गई। पूर्व कलेक्टर जितेंद्र सोनी ने 470 बीघा जमीन का आवंटन निरस्त कर दिया। 95 खातेदारी भी निरस्त कर दी गई, जो रातोंरात पहुंच वाले लोगों ने करवाई थी। उसके बाद आरोपियों पर कार्रवाई होनी थी, जो नहीं हो पाई। प्रशासन अभी भी मामला दबाने की कोशिश में है। बताते हैं कि नेताओं का दबाव महसूस हो रहा है। इन आरोपियों में पूर्व एसडीएम, पूर्व तहसीलदार के अलावा चार पूर्व भू अभिलेख निरीक्षक, कई पटवारी शामिल हैं।
पूर्ववर्ती सरकार में नेताओं के इशारे पर ही अफसरों ने यह जमीन आवंटित की थी। अब वह नेता अंडरग्राउंड हो गए हैं। बताते हैं कि उनके सामने कोई इस मामले की चर्चा भी करता है तो नेता टॉपिक चेंज कर देते हैं। ऐसे में अफसरों पर कार्रवाई होगी तो वह नेताओं के नाम अपने बचाव के लिए लेंगे। ऐसे में उन नेताओं पर भी शिकंजा कसा जा सकेगा। मालूम हो कि कुछ समय पहले प्रशासन ने आरोपियों को चार्जशीट जारी कर दी थी।
यह भी पढ़ें:
रणथम्भौर में टाइगर के अटैक के बाद सरिस्का में अलर्ट, रहें सतर्क और सावधान
Published on:
13 May 2025 11:41 am