
Mumbai Siddhivinayak Temple Dress Rule : मुंबई के प्रसिद्ध श्री सिद्धिविनायक मंदिर में आज (30 जनवरी) से भक्तों के लिए ड्रेस कोड का नियम लागू हो गया है। सिद्धिविनायक मंदिर प्रशासन ने कुछ दिन पहले भक्तों के लिए नए दिशा-निर्देश जारी किये थे, जो गुरुवार सुबह से लागू हो गए। इसके तहत भक्तों को स्कर्ट, कटे-फटे कपड़े, स्लीवलेस कपड़े और अन्य रिवीलिंग ड्रेस पहनकर आने पर मंदिर में प्रवेश नहीं मिलेगा। उधर, भक्तों ने मंदिर प्रशासन के इस निर्णय का स्वागत किया है।
सिद्धिविनायक मंदिर ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष आचार्य पवन त्रिपाठी ने कहा, सिद्धिविनायक मंदिर सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि दुनियाभर के सनातनी और गणेश भक्तों के आस्था का एक प्रमुख केंद्र है। यहां बप्पा के दर्शन के लिए लाखों लोग आते हैं। यहां आने वाले श्रद्धालुओं की मनोकामना पूरी होती है। लेकिन, जब लोग किसी पवित्र स्थल पर जाते हैं, तो वहां कुछ नियमों का पालन करना आवश्यक होता है, ताकि उस स्थान की पवित्रता बनी रहे।
उन्होंने आगे कहा कि ड्रेस कोड (Siddhivinayak Mandir Dress Code) का निर्णय मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं के सुझावों के आधार पर लिया गया है। कई भक्तों ने मंदिर में दर्शन करने के दौरान कुछ श्रद्धालुओं के पहनावे को लेकर चिंता जताई थी, जिनके कपड़े शालीन नहीं होते थे। इस पर विचार करते हुए मंदिर ट्रस्ट ने दर्शन के लिए आने वालों को शालीन कपड़े पहनने होंगे ऐसा निर्णय लिया है। यह कोई राजनीति का विषय नहीं है। यह एक धार्मिक और आस्था से जुड़ा मामला है। यह नियम सिर्फ सिद्धिविनायक मंदिर की पवित्रता और भक्तों की आस्था को ध्यान में रखते हुए लिया गया है।
आचार्य पवन त्रिपाठी ने आगे कहा कि देशभर में कई मंदिरों में ड्रेस कोड लागू है और वहां जाने वाले श्रद्धालु उन नियमों का पालन करते है। हमें विश्वास है कि सिद्धिविनायक मंदिर आने वाले श्रद्धालुओं तक धीरे-धीरे इस नियम के बारे में जानकारी पहुंचेगी और वे भी इसका पालन करेंगे।
आज सुबह दर्शन के लिए सिद्धिविनायक मंदिर पहुंची एक भक्त ने कहा, "मुझे ड्रेस कोड का नियम अच्छा लगा, क्योंकि इसके लागू होने से लोग अच्छे से मंदिर आएंगे। मंदिर में हमें अच्छे कपड़े पहनने चाहिए क्योंकि हम भगवान के दर्शन के लिए जाते हैं..."
एक महिला भक्त ने कहा, “कई सारे पबों में ड्रेस कोड लागू है, जब वहां हो सकता है तो मंदिर में क्यों नहीं हो सकता है। हर निर्णय का कुछ लोग विरोध करते ही है।”
एक अन्य भक्त ने कहा, "यह बिल्कुल सही निर्णय है, और मैं इससे पूरी तरह सहमत हूं। जो भी यहां के प्रभारी हैं, आयोजक हैं, और जिन्होंने भी यह निर्णय लिया है, वे बिल्कुल सही हैं... गुरुद्वारों, चर्च, दरगाह में भी नियम है।"
Updated on:
30 Jan 2025 11:55 am
Published on:
30 Jan 2025 11:48 am
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