scriptGround Report : पटियाला में उलझा पेंच, हवा के रुख के साथ वोटर्स पाला बदलेंगे या पासा पलटेंगे | Ground Report: A complicated situation in Patiala, will the voters change sides or turn the tables with the change in wind | Patrika News
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Ground Report : पटियाला में उलझा पेंच, हवा के रुख के साथ वोटर्स पाला बदलेंगे या पासा पलटेंगे

Ground Report : पंजाब के दक्षिण पूर्व में फैले पटियाला लोकसभा क्षेत्र की सियासी हवा इस बार बदली बदली नजर आ रही है। जनता ने पटियाला के पूर्व राजपरिवार के सदस्यों को देश और प्रदेश की राजनीतिक बुलंदियों तक पहुंचाया। पढ़िए पटियाला से अनिल कैले की विशेष रिपोर्ट…

नई दिल्लीMay 26, 2024 / 11:21 am

Shaitan Prajapat

Ground Report : पांच दरियाओं के सूबे पंजाब के दक्षिण पूर्व में फैले पटियाला लोकसभा क्षेत्र की सियासी हवा इस बार बदली बदली नजर आ रही है। यहां की जनता ने पटियाला के पूर्व राजपरिवार के सदस्यों को देश और प्रदेश की राजनीतिक बुलंदियों तक पहुंचाया। पंजाब का मुख्यमंत्री बनाया। देश का विदेश राज्य मंत्री बनाया। लेकिन आज उसी पूर्व राजपरिवार के अपनी सियासी विचारधारा के विपरीत बहने वाली पार्टी के साथ मिल जाने से मतदाता ठगा सा महसूस कर रहा है। यह चुनाव इसलिए भी रोचक हो गया है कि राजपरिवार के जिस सदस्य को दस साल पहले जिस निर्दलीय उम्मीदवार ने हराया था, इस बार वही उम्मीदवार राजपरिवार के उसी सदस्य को कांग्रेस का हाथ थामकर दोबारा चुनौती दे रहा है।
दिल्ली से अमृतसर जाने वाली जीटी रोड पर राजपुरा से पटियाला के लोकसभा क्षेत्र की शुरूआत होती है। मुख्य सडक़ से बाईं ओर घूमकर करीब 28 किलोमीटर पटियाला शहर की सरहद शुरू हो जाती है। यह शहर कई मायनों में देश में अलग पहचान रखता है। यहां के रेशमी परांदे महिलाओं में काफी लोकप्रिय हैं। कोलकाता के बाद काली देवी का मंदिर केवल पटियाला में हैं। मशहूर क्रिकेटर और बड़बोले नेता नवजोत सिंह सिद्धू पटियाला के रहने वाले हैं। पटियाला में एशिया का सबसे बड़ा स्पोट्र्स प्रशिक्षण संस्थान नेशनल इंस्टीटयूट ऑफ स्पोट्स एनआइएस भी है। इस संस्थान ने मुल्क को खेलों के सबसे अच्छे प्रशिक्षक दिए हैं। तमाम खूबियों के बावजूद तीन दशक में शहर के हालात में ज्यादा परिवर्तन नहीं आ पाया है। किला चौक पर कपड़ों के व्यापारी हरप्रीत सिंह कहते हैं, पटियाला के लोग महारानी साहिबा परणीत कौर का साथ देते आए हैं। उन्होंने पार्टी बदलकर सबको चौंका दिया है। पता नहीं उनकी क्या मजबूरी रही। इस बार कौन जीतेगा के सवाल पर पास ही बैठे आइसक्रीम विक्रेता रवीन्द्र बोले कुछ कह नहीं सकते। अभी तक वोटर साइलेंट है।

पुराने रणक्षेत्र में नया राजनीतिक चोला-

पटियाला लोकसभा क्षेत्र कांग्रेस का गढ़ रहा है। वर्ष 1952 से अब तक हुए 17 आम चुनावों में ग्यारह बार कांग्रेसी जीती है। चार बार शिरोमणि अकाली दल, एक बार आम आदमी पार्टी और एक बार निर्दलीय सांसद चुना गया। पटियाला के पूर्व राजपरिवार की सदस्य और पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह की पत्नी परणीत कौर कांग्रेस के टिकट पर चार बार जीतकर संसद में पहुंची हैं। पिछले लोकसभा चुनाव में उन्होंने शिरोमणि अकाली दल के सुरजीत सिंह राखरा को पराजित किया था। इस बार की सियासी बिसात बिल्कुल अलग है। पिछले साल पार्टी विरोधी हरकतों के कारण कांग्रेस ने परणीत को पार्टी से निकाला था और उन्होंने भाजपा का दामन थाम लिया। इस बार वे अपने पुराने रणक्षेत्र में नया राजनीतिक चोला पहनकर उतरी हैं। उनका मुकाबला लोगों के दिलों पर राज करने वाले डॉ.धर्मवीर गांधी से है। गांधी पेशे से हृदय रोग विशेषज्ञ हैं। उनकी गांव में विशेष पकड़ है। इसी जनसमर्थन के कारण उन्होंने वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर उस समय कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ी परणीत कौर को पटखनी दी थी। इस बार गांधी को कांग्रेस का हाथ थामकर चुनाव मैदान में उतरे हैं। उनका सामना भाजपा प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ रही परणीत कौर से ही हो रहा है। आम आदमी पार्टी के डॉ.बलबीर सिंह, शिरोमणि अकाली दल के एन के शर्मा सहित 26 प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतरे हैंं।

बम्पर समर्थन को कायम रखना बड़ी चुनौती

पटियाला लोकसभा क्षेत्र में नौ विधानसभा क्षेत्र हैं। सभी सीटों पर आम आदमी पार्टी के विधायकों का कब्जा है। आप के प्रत्याशी डॉ. बलबीर के सामने सबसे बड़ी चुनौती दो साल पहले विधानसभा चुनाव में पार्टी को मिले बम्पर बहुमत को कायम रखने की है। वे पटियाला ग्रामीण से विधायक हैं। राज्य सरकार में केबिनेट मंत्री हैं। शिक्षा स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग देख रहे हैं, लेकिन मतदाताओं ने उनकी राजनीतिक सेहत बिगाड़ रखी है। सनौर गांव के हरबख्श सिंह बताते है कि पंजाब की जनता अकाली दल और कांग्रेस सरकारों से तंग आ चुकी थी। इसलिए आप पार्टी को आजमाया। झाडू वालों की अर्थात आप पार्टी की पोल दो साल में ही खुल गई। छोटे से लेकर बड़ा कार्यकर्ता पैसे बटोरने में लगा है। पुरानी सरकारें पैसा खाती थी, पर कुछ काम तो करती थी। अब तो बिल्कुल जीरो है। समाना के गुरकीरत सिंह और जगरांव के सुरेन्द्र भारद्वाज ने कहा कि आप का नेता जीतने के बाद दिखाई ही नहीं दिया। अभी तक स्थानीय निकायों के चुनाव नहीं करवा पाए। छोटे काम तो पार्षद ही करते हैं। कहां जाएं। कोई सुनने वाला नहीं है।

निजी संबंधों से जीत की उम्मीद

कांग्रेस प्रत्याशी डॉ. धर्मवीर गांधी की शहर के साथ गांव-गांव में चर्चा है। गांधी पटियाला में अपने घर पर ही क्लिनिक चलाते हैं। राजपुरा के हरीश रोहेवाल कहते हैं गांधी की गुडविल अच्छी है। घनौर के चरण सिंह बोले कि कोई गरीब भी उनके पास इलाज कराने चला जाए तो वे मुफ्त इलाज तो करते ही हैं। साथ में दवा भी नि:शुल्क में देते हैं। पटियाला में बर्तन बाजार में व्यापारी रिकी परणीत कौर के कट्टर समर्थक हैं। परणीत के पार्टी बदलने पर रिकी भी भाजपा मेें शामिल हो गए। चुनावी बातचीत में उन्होंने भी स्वीकार किया कि गांधी की फेस वैल्यू है। शहर विशेषकर पटियाला में परणीत को समर्थन मिलेगा पर गांव में गांधी के व्यक्तिगत व्यवहार ने उन्हें चुनावी दौड़ में थोड़ा आगे किया हुआ है।

परणीत के समक्ष दोहरी चुनौती

भाजपा प्रत्याशी परणीत कौर को दोहरी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। पहला राजघराने के विश्वास को मतदाताओं में कायम रख पाना और दूसरा भारतीय जनता पार्टी के भितरघात से निपटना। भाजपा कार्यकर्ताओं को जोड़े रखने और जनता में भरोसा कायम करने के लिए ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की पटियाला में रैली कराई गई। पटियाला में एक परम्परा है। यहां की बड़ी नदी मेंं जब भी पानी बढ़ता है तो शहर में बाढ़ आती है। शाही परिवार की ओर से नथ-चूड़ा चढ़ाने पर नदी शांत हो जाती है। परणीत कौर को अभी उनके खिलाफ चल रहे राजनीतिक ज्वार को शांत करने के लिए जनता के भरोसे की दरकार है। इसके लिए वे केन्द्र सरकार की योजनाओं और नरेन्द्र मोदी के नाम पर वोट मांग रही हैं। शिरोमणि अकाली दल के उम्मीदवार एनके शर्मा किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी, किसान आंदोलन में गिरफ्तार सिखों की रिहाई और आप सरकार की विफलता को मु्द्दा बना रहे हैं। मतदान में कुछ दिन शेष रह गए हैं। मुख्य मुकाबला कांग्रेस के धर्मवीर गांधी और आप के बलबीर सिंह के बीच माना जा रहा है। लेकिन भाजपा भी सीट को जीतने के लिए जोर लगा रही है। मतदाताओं ने पिछले चुनावों की तरह पूर्व राजपरिवार पर भरोसा दिखा दिया तो भाजपा की परणीत कौर चुनावी बाजी पलट भी सकती है।

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