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सरिस्का में पड़े ‘राजमाता’ के पांव, फिर कभी कम नहीं हुई जंगल में दहाड़

सरिस्का को बाघ विहीन घोषित करने के पीछे का कारण बाघों का शिकार करना था। वर्ष 2005 से पहले सरिस्का में बाघों की संया 40 से अधिक थी, लेकिन शिकार के कारण यह संख्या कम होती गई।

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चार शावकों के साथ बाघिन एसटी-19 (फोटो सोर्स: सोशल)

सरिस्का को बाघ विहीन घोषित करने के पीछे का कारण बाघों का शिकार करना था। वर्ष 2005 से पहले सरिस्का में बाघों की संया 40 से अधिक थी, लेकिन शिकार के कारण यह संख्या कम होती गई। अंतत: सरिस्का में एक भी बाघ नहीं बचा। वर्ष 2008 में रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान से दो बाघ सरिस्का टाइगर रिजर्व में ट्रांसलॉकेट किए गए।

फरवरी 2009 में एक और बाघिन को भी यहां स्थानांतरित किया गया। इसका नाम यहां एसटी-2 रखा गया, जो बाद में राजमाता के नाम से जानी गई। इस बाघिन के पांव जैसे ही सरिस्का में पड़े फिर जंगल में बाघों की दहाड़ कम नहीं हुई। अब रविवार को एसटी-19 ने चार शावकों को अलवर बफर क्षेत्र में जन्म दिया है। इसी के साथ बाघों की संख्या बढ़कर 48 हो गई है।

सरिस्का एक नज़र में

एरिया : 1213 वर्ग किमी
बाघों की संख्या: 48
शावकों की संख्या : 26
सबसे ज्यादा शावक जन्मे : वर्ष 2023-2024 में
हाल ही में चार शावकों को जन्म देने वाली बाघिन : एसटी-12 और एसटी-22
सबसे ज्यादा आयु जीने वाली बाघिन : एसटी-2, करीब 19 साल
लेपर्ड की संख्या: करीब 2 हजार
पक्षियों की प्रजातियां : 250 से ज्यादा
प्राकृतिक व कृत्रिम तालाब : 300

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