script400 वर्ष पुराना है यह शिवमंदिर, यहां स्वयं प्रकट हुआ था ज्योतिर्लिंग, पूरा गांव है शिवभक्त | 400 Year old Lord Shiva Temple in Sultanpur Self Manifested Jyotirlinga whole Village is Shivbhakt | Patrika News
सुल्तानपुर

400 वर्ष पुराना है यह शिवमंदिर, यहां स्वयं प्रकट हुआ था ज्योतिर्लिंग, पूरा गांव है शिवभक्त

महादेव की नगरी काशी से 140 किमी दूर स्थित दूर जिले में देखा जाए तो लगभग हर गांव में एक शिवमंदिर है। लेकिन जिला मुख्यालय से करीब 10 किमी दूर विकास खण्ड भदैया के मुरारपुर गांव के हनुमानगंज-शुभगंज मार्ग पर महादेव का 400 वर्ष पुराना मंदिर स्थित है।

सुल्तानपुरJul 18, 2022 / 09:17 pm

Karishma Lalwani

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Symbolic Image of Shivling

सावन के पहले सोमवार पर हर शिव मंदिर में शिवभक्तों का तांता लगा है। वहीं, महादेव की नगरी काशी से 140 किमी दूर स्थित दूर जिले में देखा जाए तो लगभग हर गांव में एक शिवमंदिर है। लेकिन जिला मुख्यालय से करीब 10 किमी दूर विकास खण्ड भदैया के मुरारपुर गांव के हनुमानगंज-शुभगंज मार्ग पर महादेव का 400 वर्ष पुराना मंदिर स्थित है। मान्यता है कि यहां स्थित ज्योतिर्लिंग खुद प्रकट हुआ था।। इस शिवमंदिर का कई बार जीर्णोद्धार हो चुका है। कालांतर में इस मंदिर का जीर्णोद्धार मुरारपुर गांव के कालका प्रसाद उपाध्याय ने वर्ष 1940 में कराया गया था और उसके बाद उन्हीं के पौत्र दिनेश कुमार उपाध्याय ने मंदिर को भव्य रूप दिया। दिलचस्प बात यह है कि सिर्फ सावन ही नहीं बल्कि हर सोमवार यहां शिवभक्तों की भीड़ रहती है।
108 ज्योतिर्लिंग में से एक का महत्व

यहां के निवासी मंदिर में स्थित ज्योतिर्लिंग को 108 ज्योतिर्लिंगों में से एक महत्व माना जाता है। मंदिर को लेकर ऐसा कहा जाता है कि अंग्रेजों के समय करीब 30 फीट की खुदाई के बाद भी मंदिर में स्थित शिवलिंग का दूसरा सिरा नहीं खोजा जा सका था। जो भक्त यहां सच्चे मन से दर्शन और परिक्रमा करता है व जल चढ़ाता है, भगवान शिव उसकी सभी मुराद पूरी करते हैं। सावन माह में यहां पर भक्तों का दर्शन पूजन के लिए तांता लगा रहता है। सावन मास में शिव भक्त पूजा पाठ के साथ जलाभिषेक कर मन से मांगते हुए मन की मुराद के लिए बाबा से अर्ज लगाते हैं। बाबा भोलेनाथ भक्तों की मांगी हुई मुराद को पूरी करते हैं। आसपास गांव के लोगों से ही बाबा भोलेनाथ का जयकारा लगाते ही जलाभिषेक करने पहुंचते हैं।
पूरी होती है हर मन्नत

आस्था व श्रद्धा और भक्ति का संगम कराता यह बाबा भोलेनाथ का मंदिर प्राचीन कथाओं को समेटे क्षेत्र में विश्वास का प्रतीक माना जाता है। भोलेनाथ के इस प्राचीन मन्दिर में सावन मास के सोमवार को श्रद्धा, भक्ति और विश्वास का महासंगम देखने को मिलता है। कहते हैं यहां जो भी श्रद्धा, भक्ति और विश्वास से जो कुछ भी शिवशंकर से मांगा, बाबा ने उसे निराश नहीं किया। उसकी मनौती पूरी हुई और उसकी झोली खुशियों से भर गई। सावन माह में यहां भोर से ही दर्शन पूजन के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ लग जाती है।

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