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बसपा प्रदेश अध्यक्ष का बड़ा बयान- मायावती ही होंगी विपक्ष का पीएम चेहरा

महागठबंधन की अटकलों के बीच बसपा चौकन्नी है, पार्टी के वोट बैंक पर कोई और न सेंध लगा ले, इसे लेकर पार्टी नेता व पदाधिकारी सजग हैं।

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mayawati

बसपा प्रदेश अध्यक्ष का बड़ा बयान- मायावती ही होंगी विपक्ष का पीएम चेहरा

सुलतानपुर. उत्तर प्रदेश में महागठबंधन की अटकलों के बीच बसपा चौकन्नी है। पार्टी के वोट बैंक पर कोई और न सेंध लगा ले, इसे लेकर पार्टी नेता व पदाधिकारी सजग हैं। मंगलवार शाम को बसपा के प्रदेश अध्यक्ष आरएस कुशवाहा सुलतानपुर पहुंचे और खास कार्यकर्ताओं संग मीटिंग की, उन्हें जरूरी टिप्स भी दिये। बसपा की जीत का दावा करते हुए आरएस कुशवाहा ने कहा कि 2019 के लोकसभा चुनाव में मायावती ही देश की प्रधानमंत्री बनेंगी।

बसपा प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि पूरा विपक्ष एक सुर से प्रधानमंत्री पद के लिये बहनजी के नाम पर सहमत हो जाएगा, क्योंकि हाल ही में संपन्न हुए राज्यसभा चुनाव में बसपा ने उनका समर्थन किया था। पिछले दिनों हुए कई राज्यों के चुनाव में मायावती विपक्ष का समर्थन कर चुकी हैं। इस का ताजा उदाहरण कर्नाटक चुनाव है। वहां पर मायावती ने जनता दल सेकुलर के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था, जिसमें जनता दल सेकुलर को जीत मिली थी। उन्होंने कहा कि कर्नाटक के विधानसभा चुनाव में भले ही एक सीट जीत सकी थी, लेकिन वोट प्रतिशत के मामले में पार्टी चौथे नंबर पर रही थी। बसपा का ही प्रभाव था कि भाजपा और कांग्रेस को भारी नुकसान उठाना पड़ा था और उनकी सरकार नहीं बन पाई।

उपचुनाव में भी बसपा बनी थी खेवनहार
उत्तर प्रदेश के गोरखपुर, फूलपुर, नूरपुर और कैराना उपचुनाव में भी विपक्ष बसपा पर ही निर्भर था। इसके चलते नतीजन उपचुनाव में भाजपा प्रत्याशी को हार का सामना करना पड़ा। बसपा सुप्रीमो मायावती के समर्थन की वजह से विपक्ष मजबूत हुआ, इसी के चलते भाजपा को गोरखपुर, फूलपुर और कैराना के लोकसभा उपचुनाव में हार का मुंह देखना पड़ा था। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि उपचुनाव में मायावती बसपा के वोट सपा में ट्रांसफर करवाने में सफल रही थीं।

..तो संयुक्त विपक्ष का चेहरा बनेंगी मायावती
तो क्या विपक्ष मायावती को प्रधानमंत्री के पद के लिए उमीदवार बना सकता है? सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव पहले ही कह चुके हैं कि वे दिल्ली नहीं, बल्कि वे उत्तर प्रदेश की राजनीति में ही सक्रिय रहना चाहते हैं। भाजपा से मुकाबले के लिये विपक्ष ने मायावती को तरजीह दी है। इसकी वजह है कि भले ही पिछले चुनावों में बसपा अधिक सीटें नहीं जीत पाई, लेकिन उसका वोट प्रतिशत बहुत कम नहीं हुआ।