scriptDhanteras 2018 : धनतेरस पर शुभ मुहूर्त में ही करें लक्ष्मी की पूजा, जानें- क्या है पूजा का शुभ मुहूर्त | dhanteras 2018 puja time shubh puja muhurat 2018 | Patrika News

Dhanteras 2018 : धनतेरस पर शुभ मुहूर्त में ही करें लक्ष्मी की पूजा, जानें- क्या है पूजा का शुभ मुहूर्त

locationसुल्तानपुरPublished: Nov 03, 2018 05:57:11 pm

Submitted by:

Hariom Dwivedi

आचार्य रामपाल बताते हैं कि धनतेरस के दिन शुभ मुहूर्त में कई पूजा विशेष फल देने वाली होती है… देखें वीडियो

dhanteras 2018 puja time shubh puja

Dhanteras 2018 : धनतेरस पर शुभ मुहूर्त में ही करें लक्ष्मी की पूजा, जानें- क्या है पूजा का शुभ मुहूर्त

सुलतानपुर. 5 नवम्बर को धनतेरस है। इसके बाद नरक चतुर्दशी, दीपावली, यम द्वितीया (भैया दूज), देवोत्थानी एकादशी और कार्तिक पूर्णिमा आदि पर्व हैं। मान्यता के अनुसार, धनतेरस पर धन की देवी लक्ष्मी की पूजा का विधान है। इस दिन लक्ष्मी की पूजा से वैभव की प्राप्ति होती है, लेकिन अगर यह पूजा शुभ मुहूर्त में हो तो विशेष लाभकारी होती है। आइए जानते हैं कि इस धनतेरस पर पूजा का शुभ मुहूर्त क्या है?
आचार्य रामपाल शास्त्री के अनुसार, इस वर्ष धनतेरस का त्योहार 05 नवम्बर 2018 को मनाया जाने वाला है। धनतेरस के दिन पूजा का शुभ समय शाम 6 बजकर 05 मिनट से रात को 8 बजकर 01 मिनट तक है। यानी की धन की देवी लक्ष्मी के आगमन के लिए भक्त कुल 1 घंटे 55 मिनट तक ही लक्ष्मी व कुबेर की पूजा कर सकेंगे।
यह भी पढ़ें

धनतेरस पर भूलकर भी न खरीदें ये चीजें, वरना होगा बड़ा नुकसान

होती है भगवान धन्वंतरि की पूजा
भगवान धनवन्तरि को आयुर्वेद का जनक माना जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान भगवान धन्वंतरि हाथ में अमृत का स्वर्ण कलश लेकर प्रकट हुए। माना जाता है कि इस दौरान कई प्रकार की औषधियां उत्पन्न हुईं और उसके बाद अमृत निकला। उन्होंने विश्व भर की वनस्पतियों पर अध्ययन कर उसके अच्छे और बुरे प्रभाव-गुण को प्रकट किया। धनवन्तरि के हजारों ग्रंथों में से अभी भी केवल धन्वंतरि संहिता ही पाई जाती है, जो आयुर्वेद का मूल ग्रंथ है।
यह भी पढ़ें

इस राशि के लोग धनतेरस पर न खरीदें सोना, नहीं तो हो सकता है नुकसान

आयुर्वेद के आदि आचार्य सुश्रुत मुनि ने धन्वंतरि से ही इस शास्त्र का उपदेश प्राप्त किया था। बाद में चरक आदि ने इस परम्परा को आगे बढ़ाया। उन्होंने कहा कि जरा-मृत्यु के विनाश के लिए ब्रह्मा आदि देवताओं ने सोम नामक अमृत का आविष्कार किया था। धन्वंतरि आदि आयुर्वेदाचार्यों अनुसार 100 प्रकार की मृत्यु है। उनमें एक ही काल मृत्यु है, शेष अकाल मृत्यु रोकने के प्रयास ही आयुर्वेद निदान और चिकित्सा है। आयु के न्यूनाधिक्य की एक-एक माप धन्वंतरि ने बताई है। आचार्य रामपाल बताते हैं कि इस दिन की गई पूजा विशेष फलदायक होती है। आचार्य ने बताया कि दवाओं के कारोबारी इस दिन भगवान धन्वंतरि की विशेष रूप से पूजा- अर्चना करते हैं।
यह भी पढ़ें

धनतेरस पर इस मुहूर्त में करें भगवान धनवंतरि की पूजा, अच्छे स्वास्थ्य के साथ धन लाभ भी होगा


वीडियो में देखें- धनतेरस पर आचार्य रामपाल क्या बता रहें पूजा की विधि और शुभ मुहूर्त…

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो