धनतेरस पर भूलकर भी न खरीदें ये चीजें, वरना होगा बड़ा नुकसान
होती है भगवान धन्वंतरि की पूजाभगवान धनवन्तरि को आयुर्वेद का जनक माना जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान भगवान धन्वंतरि हाथ में अमृत का स्वर्ण कलश लेकर प्रकट हुए। माना जाता है कि इस दौरान कई प्रकार की औषधियां उत्पन्न हुईं और उसके बाद अमृत निकला। उन्होंने विश्व भर की वनस्पतियों पर अध्ययन कर उसके अच्छे और बुरे प्रभाव-गुण को प्रकट किया। धनवन्तरि के हजारों ग्रंथों में से अभी भी केवल धन्वंतरि संहिता ही पाई जाती है, जो आयुर्वेद का मूल ग्रंथ है।
इस राशि के लोग धनतेरस पर न खरीदें सोना, नहीं तो हो सकता है नुकसान
आयुर्वेद के आदि आचार्य सुश्रुत मुनि ने धन्वंतरि से ही इस शास्त्र का उपदेश प्राप्त किया था। बाद में चरक आदि ने इस परम्परा को आगे बढ़ाया। उन्होंने कहा कि जरा-मृत्यु के विनाश के लिए ब्रह्मा आदि देवताओं ने सोम नामक अमृत का आविष्कार किया था। धन्वंतरि आदि आयुर्वेदाचार्यों अनुसार 100 प्रकार की मृत्यु है। उनमें एक ही काल मृत्यु है, शेष अकाल मृत्यु रोकने के प्रयास ही आयुर्वेद निदान और चिकित्सा है। आयु के न्यूनाधिक्य की एक-एक माप धन्वंतरि ने बताई है। आचार्य रामपाल बताते हैं कि इस दिन की गई पूजा विशेष फलदायक होती है। आचार्य ने बताया कि दवाओं के कारोबारी इस दिन भगवान धन्वंतरि की विशेष रूप से पूजा- अर्चना करते हैं।धनतेरस पर इस मुहूर्त में करें भगवान धनवंतरि की पूजा, अच्छे स्वास्थ्य के साथ धन लाभ भी होगा
वीडियो में देखें- धनतेरस पर आचार्य रामपाल क्या बता रहें पूजा की विधि और शुभ मुहूर्त…