
Businessman Rishikesh
सूरजपुर. ऐसे कम लोग ही होते हैं जो मृत्यु के बाद भी किसी के दिल में धड़कन बनकर धड़कते हैं या फिर दूसरों की आंखों की रौशनी बन जाते हैं। जो ऐसा करने के लिए अपने नश्वर शरीर के बेशकीमती अंगों को दान कर देते हैं, वे सही मायने में कालजयी बनकर दानवीर कहलाते हैं।
सूरजपुर के युवा व्यवसायी ऋषिकेश अग्रवाल पिता स्व. जयनारायण अग्रवाल 4३ वर्ष ने ऐसी ही मिशाल पेश की है। उन्होंने मृत्यु से पूर्व परिजन के समक्ष अंगदान करने की इच्छा जताई थी जो पूरी कर दी गई है। नगर के व्यवसायी ऋषिकेश अग्रवाल हृदय रोग से पीडि़त थे। उन्हें जबलपुर में एक बड़े निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
यहां उनका इलाज जारी थी। इसी बीच ऋषिकेश को मृत्यु से पूर्व ही अपने जीवन के अंतिम क्षणों का आभास हो गया था। उन्होंने पत्नी मंजू अग्रवाल, पुत्र यशवर्धन तथा भतीजे सतीश अग्रवाल के समक्ष मृत्यु उपरांत अंगदान कर देने की इच्छा जताई थी। रविवार को की सुबह उनका निधन हो गया।
परिजन ने अंगदान कर पूरी की अंतिम इच्छा
व्यवसायी ऋषिकेश अग्रवाल के निधन उपरांत रविवार को जबलपुर में ही उनके परिजन ने अस्पताल प्रबंधन से संपर्क कर अंगदान की प्रक्रिया पूरी की। विशेषज्ञ चिकित्सकों की टीम ने इच्छा के अनुरूप ऋषिकेश अग्रवाल के शरीर से दोनों बेशकीमती आंखों के अलावा किडनी और बेसमेकर जैसे महत्वपूर्ण और अनमोल अंगों को सुरक्षित निकाल लिया। इन अंगों को अन्य जरूरतमंद के शरीर में प्रत्यारोपण की दृष्टि से पूर्ण सुरक्षा के साथ रख लिया है।
आज हुआ अंतिम-संस्कार
मृत्यु उपरांत शरीर के महत्वपूर्ण एवं अनमोल अंगों को दान करने के पश्चात स्व. ऋषिकेश अग्रवाल के पार्थिव देह को सूरजपुर के लिए रवाना कर दिया गया। उनके पार्थिव देह का दाह-संस्कार सोमवार को स्थानीय रेणुका नदी के तट पर परिजन, रिश्तेदारों व गणमान्यजनों की उपस्थिति में किया गया।
Published on:
27 Nov 2017 03:31 pm
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