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तलाक के बाद भी पति को घरेलू हिंसा के आरोप से मुक्ति नहीं

कोर्ट ने पत्नी की याचिका रद्द करने की मांग ठुकराई

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सूरत. तीन तलाक बोल देने से पति-पत्नी के बीच तलाक हो गया हो, ऐसा मान लिया जाए तो भी घरेलू हिंसा के आरोप से पति को मुक्त नहीं किया जा सकता। यह फैसला शुक्रवार को सूरत के तीसरी ज्युडिशियल मजिस्ट्रेट फस्र्ट क्लास कोर्ट के न्यायाधीश ने सुनाया और घरेलू हिंसा की याचिका रद्द करने की पति की मांग ठुकरा दी।


वर्ष 2012 में हुआ निकाह


लिंबायत निवासी गजाला असलम पटेल की शादी 14 अक्टूबर, 2012 को असलम रहीम पटेल से हुई थी। उनका मजीद नाम का एक पुत्र है। शादी के बाद पति तथा ससुराल वाले गजाला को प्रताडि़त कर रहे थे। पुत्र के भविष्य को देखते हुए गजाला प्रताडऩा सहती रही है।


...और एक दिन क्लीनिक में ही तीन बार तलाक बोल दिया


10 फरवरी, 2017 को गजाला की तबीयत खराब होने पर असलम उसे क्लीनिक ले गया और वहां उसकी पिटाई करने के बाद तीन बार तलाक बोलकर चला गया। तीन तलाक बोलकर पति के चले जाने के बाद एक महीने से गजाला अपने पीहर में रह रही है।


कोर्ट से की घरेलु हिंसा की शिकायत


गजाला ने अधिवक्ता प्रीति जोशी के जरिए कोर्ट में पति तथा ससुराल पक्ष के लोगों के खिलाफ घरेलू हिंसा की याचिका दायर की थी। असलम ने इस याचिका के खिलाफ याचिका दायर कर कहा कि दोनों के बीच तलाक हो गया है, पारिवारिक रिश्ता टूट चुका है, इसलिए गजाला की याचिका रद्द की जाए। गजाला की ओर से अधिवक्ता जोशी ने दलीलें पेश करते हुए कोर्ट से कहा कि तलाक एक पक्ष की ओर से दिया गया है, समझौते या सहमति से तलाक नहीं हुआ है। बचाव पक्ष पति-पत्नी के बीच तलाक के सबूत कोर्ट के समक्ष पेश नहीं कर पाया है। अंतिम सुनवाई के बाद कोर्ट ने असलम की मांग ठुकरा दी और फैसले में कहा कि एक बार मान लिया जाए कि तलाक हो गया है, फिर भी घरेलू हिंसा का मामला सुनवाई योग्य है।