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हैनी के पालक माता-पिता की मदद के लिए कइयों ने बढ़ाए हाथ, एक दाता ने घर में लगवाया एसी, कुछ ने माफ किया कर्ज

तुम बेसहारा हो तो किसी का सहारा बनो, तुमको अपने आप ही सहारा मिल जाएगा

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हैनी के पालक माता-पिता की मदद के लिए कइयों ने बढ़ाए हाथ, एक दाता ने घर में लगवाया एसी, कुछ ने माफ किया कर्ज

हैनी के पालक माता-पिता की मदद के लिए कइयों ने बढ़ाए हाथ, एक दाता ने घर में लगवाया एसी, कुछ ने माफ किया कर्ज

सूरत. 'तुम बेसहारा हो तो किसी का सहारा बनो, तुमको अपने आप ही सहारा मिल जाएगा/ कश्ती कोई डूबती पहुंचा दो किनारे पर, तुमको अपने आप ही किनारा मिल जाएगा गीत मानवता को बखूबी परिभाषित करता है। जब कोई निस्वार्थ भाव से कोई सकारात्मक कार्य करता है तो उस कार्य को सफल बनाने के लिए कई और हाथ जुड़ जाते हैं। आग में झुलसी मासूम हैनी को नई जिदंगी देने के साथ उसके सिर पर माता-पिता का हाथ रखने वाले वराछा के लिंबाचिया दम्पती के मामले में भी कुछ यही हुआ। इस दम्पती की इंसानियत के बारे में पता चलने पर कई लोग उनकी मदद के लिए आगे आ रहे हैं। एक दाता ने झुलसी हैनी के लिए घर में एसी लगवा दिया तो कुछ लोगों ने दम्पती को उधार दिए रुपए छोड़ दिए हैं।

'अपने लिए जिए तो क्या जिए; आग में झुलसी डेढ़ महीने की बेसहारा हैनी के उपचार के लिए नि:संतान दम्पती ने घर का सामान तक बेच दिया


हैनी जब 45 दिन की थी, 16 जनवरी को घर में लगी आग में उसने अपने माता-पिता और भाई को खो दिया। वह खुद भी मुंह के हिस्से में गंभीर रूप से झुलस गई थी। वराछा निवासी नीलेश और काजल लिंबाचिया हैनी के लिए फरिश्ता बनकर आए। वह उसे गोद लेने के साथ पिछले नौ महीने से उसका उपचार करवा रहे हैं। उसके उपचार पर लाखों रुपए खर्च हो चुके हैं। इसके लिए फोटोग्राफर नीलेश ने अपने घर का सामान और कमाई का जरिया रहे कैमरे तक बेच दिए। अब हैनी के चेहरे पर मुस्कान लौट आई है। लिंबाचिया दम्पती और हैनी की यह कहानी राजस्थान पत्रिका में पढऩे के बाद कई लोग दम्पती की मदद के लिए आगे आ रहे हैं। नीलेश ने बताया था कि हैनी का चेहरा झुलसने के कारण उसे एयरकंडीशनर की जरूरत थी। एक दाता ने घर में एसी लगवा दिया है। उसने कई लोगों से ब्याज पर उधार रुपए लिए थे। जब इन लोगों ने अखबार में खबर पढ़ी तो इनमें से कुछ ने अपने रुपए सूद समेत छोड़ दिए। नौ महीने से स्टूडियो का किराया बकाया था। दुकान मालिक ने वह भी माफ कर दिया।


बुआ ने दिया हैनी नाम

नीलेश लिंबाचिया ने बताया कि बच्ची का नाम उसके माता-पिता ने यश्वी रखा था। हादसे के बाद जब उन्होंने उसे गोद लिया तो परिवार का भी उन्हें समर्थन मिला। सभी ने इस तरह खुशी मनाई, जैसे उनके घर में बेटी का जन्म हुआ हो। रीति-रिवाज के अनुसार नीलेश की बहन ने बुआ होने के नाते नामकरण करते हुए यश्वी का नाम हैनी रख दिया।