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फलों के राजा फिलहाल आम जेबों पर भारी

पैदावार कम होने से भाव 50 प्रतिशत बढ़े, कुछ दिन बाद घटने के आसार

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सूरत

सूरतीयों को इस साल आम का स्वाद महंगा पड़ रहा है। पिछले कुछ महीने छाए रहे कोहरे के कारण आम की पैदावार कम होने से इनके भाव में उछाल आया है। पिछले साल के मुकाबले इस साल रिटेल मार्केट में आम के भाव 25 से 50 प्रतिशत तक ज्यादा हंै। हालांकि अभी आम की आवक का शुरुआती दौर है, कुछ दिनों बाद इनके भाव घटने की संभावना है।
सूरत के बाजारों में मार्च के दूसरे सप्ताह से ही अलग-अलग किस्म के आम आने लगे थे। खासकर वलसाड और रत्नागिरी हापुस की डिमांड होने से यह बड़ी मात्रा में उपलब्ध हैं। सूरत में आम वलसाड, धरमपुर, तलाला और रत्नागिरी सहित अन्य स्थानों से आते हैं। फल विक्रेताओं का कहना है कि आम के पेड़ों पर दिसम्बर और जनवरी में मंजरी आ जाती है, जो बाद में फल का रूप लेती है। इस साल जनवरी में कई दिन तक कोहरे के असर के कारण पेड़ों से मंजरी झड़ गई। इससे आम की पैदावार कम हुई है। इस कारण इनकी कीमत पिछले साल की अपेक्षा बढ़ गई है।
पिछले 15 साल से धरमपुर से आम लाकर सूरत में बेचने वाले संतोष मिश्रा ने बताया कि इस साल आम की कीमत बढ़ी है। वातावरण की खराबी के कारण पैदावार कम होने से बाजार में माल कम उतरा है। रत्नागिरी हापुस की डिमांड ज्यादा होने से इसकी कीमत में ज्यादा उछाल आया है। पिछले साल इसकी कीमत 1200 से 1400 रुपए प्रति 20 किलो थी, जो इस साल बढ़कर 1600 से 2000 रुपए तक पहुंच गई है। वलसाड के हापुस की कीमत 700 से 800 रुपए थी, जो इस बार 1000 से 1200 रुपए है। केसर के भाव 1200 से बढ़कर 1400, देशी के 200 से 400 रुपए और राजापुरी के 500 रुपए से बढ़कर 700 रुपए हो गए हैं। कीमत बढऩे के बावजूद आम का स्वाद लोगों को फलों की दुकान तक खींच लाता है। फिलहाल आम का सीजन पूरी तरह नही जमा है। कुछ दिनों बाद इनकी कीमत घटने के आसार हैं।
रत्नागिरी हापुस की मांग ज्यादा
हर साल की तरह इस साल भी रत्नागिरी हापुस की मांग ज्यादा है। रत्नागिरी हापुस का स्वाद अच्छा होता है। यह जल्दी पक जाता है। छिलका पतला होने से भी यह ग्राहकों को ज्यादा प्रिय है। रत्नागिरी हापुस का सीजन जल्दी खत्म हो जाता है। इसका सीजन एक महीने और रहेगा, जबकि वलसाडी हापुस का सीजन जुलाई तक चलेगा।