
सूरत.
कपड़ा उद्योग के लिए दिन-प्रतिदिन नई समस्याएं आ रही हैं। एक ओर यार्न की कीमत बढऩे से वीवर्स परेशान हैं और वह कारखाने बंद करने की बात कर रहे हैं तो दूसरी ओर प्रोसेसिंग यूनिट में इस्तेमाल होने वाली डाइ की कीमत 15 प्रतिशत बढऩे से प्रोसेसर्स परेशानी से घिर गए हैं।
कपड़ा उद्योग के सूत्रों के अनुसार प्रोसेसर्स के लिए समय मुश्किल भरा है। दो महीने पहले केमिकल की कीमत पच्चीस प्रतिशत तक बढऩे के बाद प्रोसेसर्स अपने लाभ से कटौती कर जॉब वर्क चला रहे थे। अब डाइ की कीमत 15 प्रतिशत बढ़ जाने से जॉब वर्क की लागत बढ़ गई है। प्रोसेसर्स का कहना है कि डाइ के लिए आवश्यक कच्चा माल चीन सहित अन्य देशों से आता है। डॉलर और कच्चे माल की बढ़ी कीमतों के कारण आयात महंगा हो गया है। डाइ उत्पादक भी बढ़ी कीमतों से खुश नहीं हैं। उनका कहना है कि वैसे तो कीमत पच्चीस प्रतिशत बढ़ी है, लेकिन बाजार की परिस्थिति को देखते हुए वह 15 प्रतिशत बढ़ा रहे हैं। कपड़ा बाजार में मंदी के कारण व्यापारी ज्यादा कीमत देने को तैयार नहीं हैं। साउथ गुजरात टैक्सटाइल प्रोसेसर्स एसोसिएशन के प्रमुख जीतू वखारिया ने बताया कि एक मई से डाइ की कीमत 15 प्रतिशत बढऩे के कारण कपड़े की लागत प्रति मीटर पचास पैसे बढ़ गई है। इससे प्रोसेसर्स का लाभ घट गया है।
प्रोसेसिंग इकाइयों में श्रमिकों का अभाव
लग्नसरा के कारण अन्य राज्यों के श्रमिकों के वतन चले जाने से प्रोसेसिंग इंडस्ट्री में श्रमिकों का अभाव है। श्रमिकों की समस्या से जूझ रहे कई प्रोसेसर्स सप्ताह में दो दिन अवकाश रखने पर विचार कर रहे हैंं। प्रोसेसिंग इकाइयों के 50 प्रतिशत श्रमिक छुट्टी पर हैं। वह एक महीने बाद ही लौटेंगे। श्रमिकों की कमी के कारण काम चलाना मुश्किल हो रहा है। प्रोसेसिंग इकाइयों की तरह लूम्स कारखानों में भी यही हालत है। दक्षिण गुजरात के 40 प्रतिशत लूम्स कारखानों में एक शिफ्ट में ही काम चल रहा है।
Published on:
07 May 2018 08:57 pm
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