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Lord shri Ganesh Temple: इस अद्भुत श्री गणेश मंदिर का श्रीराम से है खास नाता, पूजा के लिए बनाए गए पिंड बन गए थे शिवलिंग

locationभोपालPublished: Jul 21, 2021 12:06:55 am

Lord shri Ganesh day is Wednesday: यहां आज भी मौजूद हैं पिंड से बने वह शिवलिंग: जानें यहां लोग क्यों आते हैं पितरों की शांति कराने

Ganesh Temple

famous Ganesh Temple

सनातन संस्कृति में साप्ताहिक दिनों के आधार पर बुधवार के कारक देवता श्री गणेश माने गए है। वहीं ग्रहों में यह दिन बुध ग्रह का माना गया है।

ज्योतिष के अनुसार बुध को बुद्धि का ग्रह माना गया है और धर्म में श्री गणेश को ज्ञान और बुद्धि का देवता माना गया है। ऐसे में मान्यता के अनुसार बुधवार के दिन श्री गणेश की पूजा को अतिविशेष माना गया है। जानकारों के अनुसार जिस तरह सोमवार को भगवान शिव बहुत जल्द पूजा से प्रसन्न हो जाते हैं उसी प्रकार बुधवार के दिन श्री गणेश भी बहुत आसानी से प्रसन्न हो जाते हैं।

वैसे तो आपने हमेशा श्री गणेश को गजमुख में ही चित्रों व मूर्ति के रूप में देखा होगा? लेकिन आज बुधवार होने के चलते हम आपको श्री गणेश के एक ऐसे मंदिर के बारे में बता रहे हैं।

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Shri Ganesh Temple

जहां उनकी पूजा इनकी मूर्ति पर मौजूद इंसानी के चेहरे (नरमुख) के रूप में की जाती है। यहीं नहीं इस मंदिर में दूर दूर से लोग पितरों की शांति के लिए भी आते हैं।

दरअसल आज हम बात कर रहे हैं तमिलनाडु के तिरुवरुर जिले में मौजूद आदि विनायक मंदिर की…यह गणेश मंदिर यहां विराजित गणेश मूर्ति के कारण देश के अन्य सभी मंदिरों से काफी अलग है। श्री गणेश की मूर्ति की इसी खूबी और खासियत के कारण यह मंदिर अत्यधिक प्रसिद्ध है।

तिरुवरुर जिले के कुटनूर शहर से करीब 3 किमी दूर तिलतर्पण पुरी में आदि विनायक मंदिर स्थित है,जहां श्री गणेश की नरमुखी प्रतिमा यानी इंसान स्वरूप की पूजा की जाती है। वहीं इसके अलावा देश के करीब सभी मंदिरों में भगवान गणेश के गजमुखी रुपी प्रतिमा की पूजा की जाती है।

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Shri ganesh head

इस मंदिर की खासियत यहां गणपति जी का चेहरा ही है, जो गज के जैसा न होकर इंसान के जैसा है। इसी खासियत के कारण यह मंदिर बहुत प्रसिद्ध है। वहीं यहां श्रद्धालु अपने पितरों की शांति के लिए पूजा करने भी आते हैं। आइए जानते हैं मंदिर से जुड़ी कुछ रोचक बातें…

पूर्वजों की शांति के लिए आते हैं लोग…
जनश्रुतियों के अनुसार भगवान श्री राम ने इस स्थान पर पितरों की शांति के लिए पूजा-पाठ करवाई थी। इसलिए भगवान राम के द्वारा शुरु की गई इस परंपरा के चलते यहां लोग आज भी अपने पूर्वजों की शांति के लिए पूजा-पाठ करवाने आते हैं।

भले ही यहां भी पितरों की शांति के लिए पूजा नदी के तट पर की जाती है, लेकिन धार्मिक अनुष्ठान मंदिर के अंदर किए जाते हैं। इन्हीं अनोखी बातों के कारण यहां दूर-दूर से लोग दर्शन व पूजा के लिए आते हैं।

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wednesday work

भगवान शिव और मां सरस्वती भी हैं यहां विद्यमान…
इस आदि विनायक मंदिर में सिर्फ श्री गणेश ही नहीं बल्कि भगवान शिव और मां सरस्वती का मंदिर भी स्थित है। वैसे तो इस मंदिर में विशेष रूप से भगवान गणेश की ही पूजा की जाती है, लेकिन यहां आने वाले श्रद्धालु आदि विनायक के साथ मां सरस्वती और भगवान शिव के मंदिर में भी आशीर्वाद लेने अवश्य जाते हैं।

श्री राम से जुड़ा है ऐसा नाता…
मंदिर की पौराणिक कथा के अनुसार जब भगवान राम अपने पिता की शांति के लिए पूजा कर रहे थे, तो उनके द्वारा रखे गए चार पिंड (चावल के लड्डू) कीड़ों के रूप में तब्दील हो गए थे। ऐसा एक बार नहीं बल्कि उतनी बार हुआ जितनी बार पिंड बनाए गए।

इस पर भगवान श्रीराम ने शिव जी से प्रार्थना की, जिस पर भगवान शिव ने उन्हें आदि विनायक मंदिर में आकर विधि-विधान से पूजा करने को कहा। भगवान शिव द्वारा बताए जाने पर श्री राम यहां आए और उन्होंने अपने पिता की आत्मा की शांति के लिए यहां पूजा की। बताया जाता है कि पूजा के दौरान चावल के यहां बनाए गए चार पिंड चार शिवलिंग में बदल गए थे। वर्तमान में ये चार शिवलिंग आदि विनायक मंदिर के पास स्थित मुक्तेश्वर मंदिर में आज भी मौजूद हैं।

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